और जब मुख्यमंत्री के सामने पूरा माहौल आध्यात्मिक हो गया

समापन के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ महाराज, मुख्यमंत्री, ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कहा कि कथा के माध्यम से हमें ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है जिससे हम अच्छा करने के लिए सदैव प्रेरित होते है। दुनिया के अन्दर किसी भी मत-मजहब की उतनी आयु नही है जितने वर्षों से हम श्रीमद्भगवत कथा सुनते आ रहे है।

Update: 2023-05-09 20:08 GMT

लखनऊ : बह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज 50वींपुण्यतिथि एवं महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की पांचवी पुण्यतिथि समारोह के तहत श्री गोरक्षनाथ मन्दिर में चल रहे ‘श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ’ में आज समापन दिन कथाव्यास अनन्त श्रीविभूषित जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने रूखमणि विवाह, सुदामा चरित्र, मार्कण्डेय भगवान की कथा, सुकदेव पूजन कथा, राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाई।

आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है

समापन के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ महाराज, मुख्यमंत्री, ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कहा कि कथा के माध्यम से हमें ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है जिससे हम अच्छा करने के लिए सदैव प्रेरित होते है। दुनिया के अन्दर किसी भी मत-मजहब की उतनी आयु नही है जितने वर्षों से हम श्रीमद्भगवत कथा सुनते आ रहे है।

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पॉच हजार वर्षो से ऐसा केवल भारत में देखा जाता है कि एक वक्ता हो और तीन-चार घण्टे तक बोलता हो और हजारों की संख्या में लोग पूरे मनोयोग से उसे सुनते हो। यही कारण है कि बाकी देशों के लोगों को हमारी आध्यात्मिक ऊर्जा पर आश्चर्य होता है। यही आस्था भारत को जीवन्त और पवित्र बना रखा है।

भारतीय मनीषियों ने शब्द को ब्रह्म माना है भागवत महापुराण की कथा सुनने से मनुष्य का जीवन सुखमय हो जाता है और वह स्वतः गौरवान्वित महसूस करता है क्योकि जीवन के तमाम रहस्यों का समाधान कथाओं के माध्यम से रहता है।

ये कथाये हमारे इतिहास को जीवन्त और अक्षुण्य रखी है। गोरक्षपीठाधीश्वर ने कथाव्यास सहित श्रोताओं, यजमानों तथा व्यवस्था में जुड़े लोगों को आशीर्वचन देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

व्यक्ति मोही के बजाय प्रेमी बन जाता है

कथाव्यास ने श्रीकृष्ण राम संकीर्तण से कथा प्रारम्भ करते हुए कहा कि जब भगवान की असीम कृपा होती है तब सत्संग का अवसर मिलता है और कथा सुनने से ही जीव का भाग्य का उदय होता है। अज्ञान के द्वारा उत्पन्न मोह भागवत भजन से समाप्त हो जाता है और व्यक्ति मोही के बजाय प्रेमी बन जाता है। जैसे सम्पति में लोगो का मोह हो जाता ठीक उसी प्रकार भक्तों के लिए कथा में मोह हो जाता है क्योंकि कथा और भगवान ही परम धन है। मीरा जी ने कहा ‘पायो जी मैने रामरतन धन पायो’ मीरा के लिए भगवान श्रीकृष्ण से बड़ा कोई धन नहीं है।

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एक जीव जब दूसरे जीव से मिलता है तो केवल जन्म मरण की ही चर्चा करता है, यही बन्धन का कारण इसलिए भगवान गीता में कहते है जो जीव मेरे जन्म कार्य का गायन करता उसे मैं जन्म कर्म के अनुसार अपने धाम में बुला लेते है। हम जब अपने जीवन को दैहिक, दैविक, भैविक तॉव से तपाते है, तो कोई सद्गुरू आकर भगवद् शरणागति करा देते है उसे भगवान की शरण में लगा देते है।

परमात्मा की प्राप्ती हो जायेगी

जिस प्रकार दूध को गर्म कर के गोपिया थोड़ी दही डाल देती दही डालने के बाद चुप चार रख दो यदि हिलाते डुलाते रहोगे तो दही नहीं जमेगा। उसी प्रकार सदगुरू के द्वारा शरणागति करा देने के बाद यदि श्रद्धा विश्वास से बताये मार्ग पर चलते रहोगे तो निश्चय ही परमात्मा की प्राप्ती हो जायेगी।

इसके बाद भी उस दही की विपत्ती कम नहीं हुई गोपियॉ एक बड़ी मढ़की में दही डालकर उपर मथानी डालकर उस दही के टुकड़े-टुकड़े कर दिया लेकिन, जिसने इतने प्रहार सहने के बाद हार नहीं मानी, वह तो नवनीत बन गया और जो नीचे बैठ गया वह छाछ रह गया।

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भगवान नवनीत के लिए मचल जाते है। जीव को कभी हार नहीं मानना चाहिए धैर्य ही परमात्मा की प्राप्त कराता है। भगवान कहते जो मुझे जैसा भजता है मैं भी उसे वैसे ही भजता हूॅ। भक्त मेरे लिए आंसु बहाते है तो भगवान भी अपने भक्तो के लिए रोते हैं।

श्रीमद्भागवत कथा के पूर्णाहुति के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री परमपूज्य महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज, जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज, पूर्व केन्द्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती जी, स्वामी राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने व्यासपीठ की आरती में सम्मिलित हुऐ।

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