आजम खान ने कहा- कंस को खोजिए, कन्हैया को बचा ​लीजिए

Update: 2016-03-05 11:18 GMT

लखनऊ: जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया की जुबान काटकर लाने वाले को इनाम देने की भाजयुमो नेता की घोषणा का मुद्दा शनिवार को यूपी विधानसभा में गूंजा। कांग्रेस ने यह मुद्दा उठाते हुए भाजयुमो पदाधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने भी बीजेपी को निशाना बनाया।

क्या कहा आजम खान ने?

-आजम खान ने कहा- इन बातों से अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। इन लोगों (बीजेपी) के पास माहौल खराब करने के सिवाय कोई काम नहीं रह गया है।

-बात हमसे शुरू हुई और अब बात कन्हैया तक पहुंच चुकी है। अहमद अली तो चुप हो गए।

-अब कन्हैया को चुप कराया जा रहा है। कन्हैया खतरे में है। अब कंस को खोजिए, कन्हैया को बचाइए।

-देश में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर बहुत छूट मिल गई है।

-अब तो सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों पर कार्रवाई करने वाली धारा ही हटा दी है।

-आप जुबान बंद रखेंगे तो लोगों को काटने का मौका ही नहीं मिल पाएगा।

सत्येंद्र कुमार की हत्या का मामला भी गूंजा

-विधानसभा में शनिवार को आगरा की एक यूनिवर्सिटी में क्लर्क सत्येंद्र कुमार की हत्या का मामला भी गूंजा।

-बसपा के एमएलए सरकार से मृतक परिजनों को 20 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग करते हुए बैनर लहराए और वेल में आ गए।

-उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में फीस की धांधली हो रही है। फीस माफिया क्लर्क सत्येंद्र कुमार पर दबाव बना रहे थे कि यूनिवर्सिटी की वेबसाइट को खोल दी जाए।

कब और कैसे हुई थी सत्येंद्र की हत्या

-सत्येंद्र कुमार को एक महीने से माफिया धमकी दे रहे थे। 3 फरवरी को घर जाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई।

अब तो किसी अधिकारी, कर्मचारी को हटा नहीं सकते

-आजम खान ने कहा- इस मामले में कई पहलू है। यूनिवर्सिटी में माफिया ग्रुप है। जब यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों की नियुक्ति हुई तो उस समय हमारी सरकार नहीं थी।

-वहां का कोई भी स्टॉफ हमारे जमाने का नहीं है। अब तो किसी अधिकारी व कर्मचारी को हटा भी नहीं सकते है।

-हद यह हो गई है कि अधिकारियों की तैनाती भी न्यायालय करता है। उन्होंने कहा कि मुआवजे की तुलना मत कीजिए कि किस को कितना मुआवजा दिया गया है।

-उन्होंने बसपा सदस्यों को आश्वासन दिया कि आपकी बात वाजिब है इस मामले पर नेता सदन से बात की जाएगी।

बीजेपी ने किया वाकआउट

-बीजेपी के डॉ.राधामोहन दास अग्रवाल ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत यूपी में बनी नियमावली का प्रकरण कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए उठाया।

-डॉ. अग्रवाल का कहना था कि राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम की गाइड लाइन को नजरअंदाज कर एक नई नियमावली बनाई।

-बाद में इस पर न्यायालय द्वारा आपत्ति किए जाने के बाद बीती 24 फरवरी को सरकार ने नई गाइड लाइन बना दी है।

-उसमें भी तीन मार्च को कुछ और संशोधन किया गया है, जोकि अधिनियम की अनुरूप नहीं है।

सरकार ने रखा अपना पक्ष

-सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्य मंत्री मो. आजम खान ने कहा कि सरकार जिन स्कूलों को वित्तीय सहायता नहीं देती है, उन पर कोई पाबंदी कैसे लगा सकती है।

-उन्होंने आश्वस्त किया कि नियमावली की कमियों पर सरकार विचार करेगी।

-इसी विषय पर समाज कल्याण मंत्री राम गोविंद चौधरी ने कहा कि सरकार बच्चों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध करा रही है।

-ऐसे में निजी स्कूलों में बच्चों की 450 रुपए प्रति माह की प्रतिपूर्ति उचित नहीं है। बाद में सरकार पर बेसिक शिक्षा के प्रति गंभीर होने का आरोप लगाते हुए भाजपा सदस्यों ने वॉकआउट किया। इसके साथ ही सदन में आज 27 विभागों के बजट भी रखे गए।

 

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