वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अब उनका वह आइडिया काम आता दिखाई दे रहा है जिसमें उन्होंने गंगा में फेंके जाने वाले फूलों से अगरबत्ती, परफ्यूम, सेंट इत्यादि बनाने की राय दी थी। दरअसल, यहां एक ऐसे केंद्र की स्थापना की जा रही है जो देवालयों, मंदिरों और गंगा में विसर्जित किये जाने वाले फूलों की खुशबू को सहेज कर अन्य प्रयोग में लाएगा। सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) सबसे पहले वाराणसी में खोला जाएगा।
क्या कहना है संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो.विश्वम्भरनाथ मिश्र का
-केंद्र को स्थापित करने के लिए संकट मोचन मंदिर के महंत और बीएचयू के प्रो.विश्वम्भरनाथ मिश्र से बातचीत चल रही है।
-प्रो.विश्वम्भरनाथ मिश्र ने बताया कि इस बाबत उसने केंद्र के सहायक निदेशक भक्ति विनय शुक्ला ने मुलाकात की थी।
-वैसे संकट मोचन मंदिर में जो फूल चढ़ाए जाते है उनका रि-साइकिलिंग कर खाद बनाकर खेतों में इस्तेमाल किया जाता है।
-फूलों के सुगंध का इस्तेमाल करने के लिए अगर ऐसा कोई केन्द्र स्थापित होगा तो अच्छा होगा।
-काशी के तमाम मंदिरों में भारी मात्रा में फूल माला चढ़ाये जाते है जो बाद में बेकार हो जाते हैं।
-पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्री कलराज सिंह से भी मुलाक़ात कर इस बाबत बातचीत की गई थी।
-कलराज मिश्र ने हर संभव मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया था।
आठ से दस कुंटल निकलता है फूल माला
काशी मंदिरों का शहर है इस शहर में कई प्रसिद्ध और प्राचिन मंदिर है। यहां के मंदिरों से प्रतिदिन आठ से दस कुंटल फूल माला निकलता है। अभी तक तो ये फूल माला गंगा में नदी में ही फेंके जाते थे, लेकिन अब संकट मोचन से लगाकर तमाम मंदिरों से निकलने वाले फूल माला को गंगा में नहीं डाला जाता है। ये फूल माला ऐसे ही बेकार हो जाते हैं। लिहाजा इस केन्द्र के खुल जाने पर इन फूल मालाओं के खुशबू और कलर को संजोया जा सकेगा।
कलर और सुगंध का हो प्रयोग
एफएफडीसी द्वारा विकसित नई तकनीक से इस प्लांट में फूलों से सुगंध निकाली जाएगी। इन फूलों से कलर भी निकाला जाएगा जो पूरी तरह नेचुरल कलर होगा। इन फूलों से निकलने वाली सुगंध को मंदिर और मजारों को ही वापस कर दिया जायेगा। मंदिर और मजारों के लोग इस सुगंध को प्रसाद के रुप में श्रद्धालुओं को वितरित कर सकेंगे। यही नहीं बचे अवशेष का इस्तेमाल अगरबत्ती निर्माण और कच्चा माल बनाने में किया जायेगा। बायो गैस निकलने के बाद बचे गूदड़ से जैविक खाद तैयार की जा सकती है।
15 मार्च को दिल्ली में हो चुका प्लांट का प्रदर्शन
बतादें कि इस तकनीक वाले प्लांट का प्रदर्शन विगत 17 मार्च को दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में किया जा चुका है।
काशी में कहां लगेगा ये प्लांट
पीएम मोदी की सोंच को साकार करने के लिए केन्द्र सरकार इस दिशा में तेजी काम कर रही है। इस प्लांट के लिए ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है हालांकि काशी में देश का पहला प्लांट किस स्थान पर स्थापित होगा अभी ये तय नहीं है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों की माने तो काफी कम जगह में ये प्लांट स्थापित हो जाएगा।