फार्मेसिस्टों का डाटा बेस न तैयार करने पर प्रमुख सचिव FSDA अवमानना में तलब

Update: 2018-01-19 15:18 GMT
10832 सहायक अध्यापक भर्ती को चुनौती, सुनवाई 29 मार्च को

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश भर के सभी फार्मेसिस्टों का डाटा बेस तैयार कर उसे आधार से न जोड़ने पर गंभीर रूख अपनाते हुए फूड सेफ्टी एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से 5 फरवरी केा तलब किया है।

कोर्ट ने प्रमुुख सचिव से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न जानबूझकर आदेश की अवहेलना करने पर उनके खिलाफ अवमानना का आरेाप तय किया जाए।

यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल व जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने श्रीमती आशा वर्मा की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया। याचिका में कहा गया है कि पूरे प्रदेश में रजिस्टर्ड फार्मेंसिस्टेां की संख्या की तुलना में दवा की दुकानेां की संख्या काफी अधिक है। तर्क दिया गया था कि ड्रग्स एवं कास्मेटिक एक्ट 1940 एवं उसके आधीन बने नियमेां के तहत यह अनिवार्य है कि हर दवा की दुकान पर एक फार्मेंसिस्ट होगा जो दुकान खुलने तक दुकान पर मौजूद रहेगा।

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आरोप लगाया गया कि वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा है। अपितु बड़ी संख्या में फर्जी फार्मेसिस्ट दवा की दुकानें चला रहें है। कई बार तो यह भी देखने में आता है कि एक फार्मेसिस्ट के लाइसेस से कई कई दुकाने चलायी जा रही हैं जबकि नियमतः यह गैरकानूनी है। याची ने सरकार पर आरेाप लगाया है कि वह इस मसले पर कोई प्रभावी कदम नही उठा रही है।

राज्य सरकार की ओर से जवाब में कहा गया था कि 22 मार्च 2017 को इस विषय मेे बैठक हुई थी जिसमें यह तय किया गया था कि रजिस्टर्ड फार्मेसिस्टों का डाटा बेस तैयार किया जायेगा और फिर कार्यवाही की जायेगा।

इसके बाद कोर्ट ने 23 मई 2017 को सरकार को आदेश दिया था कि तीन महीने के भीतर सभी फार्मेसिस्टों का डाटा बेस तैयार किया जाये और यह करते समय सभी फार्मेसिस्टों का डाटा उनके आधार नंबर से जोड़ा जाए। कोर्ट ने फिर 29 मई 2017 से आदेश दिया।

गत हफ्ते सुनवाई के समय कोर्ट ने पाया कि तीन माह का समय बीत जाने के बाद भी आदेश का अनुपालन नही हुआ। इस पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई और प्रमुख सचिव फूड सेफ्टी एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के कृत्य को प्रथम दृष्टया अवमानना मानते हुए उनको व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश सुना दिया।

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