Jhansi News: प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री रणजीत सिंह जूदेव का निधन, जानिए कैसा रहा सियासी रहा सफर
Jhansi News: बुन्देलखण्ड झाँसी की पूर्व रियासत समथर के अन्तिम शासक राधाचरण सिंह जूदेव के पुत्र समथर के महाराजा कहे जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मंत्री महाराजा रणजीत सिंह जूदेव का निधन हो गया।
Jhansi News: बुन्देलखण्ड के लिए बुधवार को एक बेहद दुःखद खबर आयी। बुन्देलखण्ड झाँसी की पूर्व रियासत समथर के अन्तिम शासक राधाचरण सिंह जूदेव के पुत्र समथर के महाराजा कहे जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मंत्री महाराजा रणजीत सिंह जूदेव का निधन हो गया। महाराजा समथर बुन्देलखण्ड के ही नहीं बल्कि भारत के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के रूप में माने जाते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के गरौठा विधानसभा से 6 बार विधायक तथा एक बार एमएलसी रहे। उत्तर प्रदेश मंत्री मण्डल में उन्होंने गृहराज्य मंत्री, लोक निर्माण राज्य मंत्री, नगर विकास राज्य मंत्री तथा वन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। करीब 50 वर्ष से अधिक सक्रिय राजनीति में अपनी उपयोगिता सिद्ध करते आ रहे राजा समथर की पैठ गरौठा विधानसभा के हर गाँव में रही। राजा समथर ने जीत की दो बार हैट्रिक लगायी। उन्होंने सन् 1970 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया तब वह यूथ कांग्रेस झाँसी के जिलाध्यक्ष बनाये गये थे। सन् 1974 में कांग्रेस विरोधी लहर के बाबजूद राजा समथर ने अपना पहला चुुनाव जन संघ के कन्हैयालाल को हराकर जीता था और सियासत में धमाकेदार इण्ट्री की थी।
झाँसी जिला ही नहीं पूरे बुन्देलखण्ड की राजनीति में महाराजा रणजीत सिंह जूदेव का व्यक्तित्व सबसे ज्यादा प्रभावशाली था। 1974 के बाद 1977 में जब जनता लहर में कांग्रेस के पैर उखड गये थे उस समय जूदेव ने एक मात्र गरौठा सीट कांग्रेस की झोली में डालकर राजनैतिक पण्डितों को चौंका दिया था। जब जेपी आन्दोलन की आग में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए जमानत बचाना भी मुश्किल था तब भी 1989 में राजा समथर ने जीत दर्ज की थी। श्रीराम मन्दिर आन्दोलन से भाजपा की लहर में भी 1991 में राजा समथर ने जीत दर्ज कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया था।
राजा समथर ने 1974, 1977, 1980 में लगातार जीत हासिल की। इसके बाद 1985 में जब वह उत्तर प्रदेश के गृहराज्य मंत्री थे तब वह भाजपा के कुंवर मानवेन्द्र सिंह से चुनाव हार गये थे। इसके बाद 1989, 1991,1993 में राजा समथर ने फिर से जीत की हैट्रिक लगायी। गरौठा विधानसभा की जनता ने अपने राजा पर विश्वास कर क्षेत्र की बागडोर उनके हाथों में सौंपी। 1996 में वह समाजवादी पार्टी के चन्द्रपाल सिंह यादव से चुनाव हार गये। 2002 में फिर वह बसपा के बृजेन्द्र कुमार व्यास डमडम महाराज से चुनाव हारे। इसके बाद 2007 और 2012 में सपा के दीपनारायण सिंह ने राजा समथर को चुनाव हराया। 2012 में चुनाव हारने के बाद उन्होंने फिर चुनाव नहीं लडा। इस बीच 2003 से 2009 तक वह कांग्रेस की तरफ से विधान परिषद सदस्य रहे।
राजनीति में साफ-सुथरी सख्सियत छवि बाले राजा समथर की देश के विभिन्न राजघरानों में रिश्तेदारियाँ हैं। कुण्डा के विधायक राजा रघुराज प्रताप सिंह राजा भईया उनकी बहन के बेटे है। रिश्ते में वह राजा भईया के मामा थे। राजा समथर की एक मात्र बेटी निहारिका राजे का विवाह राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र सांसद दुष्यंत्र प्रताप सिंह के साथ हुआ। ग्वालियर सिंधिया घराने में भी जूदेव की रिश्तेदारी है। जूदेव के निधन की खबर सुनकर विधानसभा ही नहीं बल्कि बुन्देलखण्ड का हर व्यक्ति शोकाकुल है। उनके अन्तिम दर्शन के लिए काफी संख्या में राजनीतिक हस्तियाँ उद्योगपति, सीनियर प्रशासनिक अधिकारी समथर किले पहुँचे और उन्हें अन्तिम विदाई दी। एक स्वच्छ साफ छवि वाले राजनेता के अन्तिम दर्शन के लिए जनसैलाव उमड पडा।
राजा समथर का जन्म 2 अगस्त 1944 में हुआ था और उन्होंने 8 मार्च 2023 में अन्तिम सांस ली। राजा समथर की कांग्रेस के संगठन में भी अच्छी पकड थी। 1996 का चुनाव हारने के बाद वह कांग्रेस के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा महामंत्री जैसे पदों पर भी रहे। वर्तमान में वह अखिल भारतीय कमेटी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सक्रिय सदस्य थे। राजा समथर सन् 1980 से 85 के बीच प्रदेश सरकार में कांग्रेस के मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह एवं श्रीपत मिश्रा के कार्यकाल में नगर विकास, पीडब्लूडी, वन, तथा गृहराज्य मंत्री के पदों पर आसीन रहे। कांग्रेस में राजा समथर की पकड सीधे इन्दिरा गाँधी और राजीव गाँधी तक थी। 1979 में इन्दिरा गाँधी जब झाँसी दौरे पर आयी तो उन्होंने समथर किले में रात्रि विश्राम किया था।
1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने झाँसी भ्रमण के दौरान राजा समथर को अपने साथ रखा था। जूदेव ने राजीव गाँधी के बुन्देलखण्ड झाँसी, ललितपुर तथा जालौन भ्रमण के दौरान उनकी कार ड्राईव कर राजीव के नजदीक होने का राजनीतिक संदेश भी दिया था। जूदेव के निधन से कांग्रेस को भारी क्षति हुयी है। लोगों का कहना है कि जूदेव बुन्देलखण्ड के लोगों के लिए लखनऊ में सरल सुलभ नेताओं में एक थे। बुन्देलखण्ड के लोगों की समस्याओं के लिए वह हमेशा तैयार रहते थे। जूदेव के कार्यकाल में एरच घाट का पुल नदी के दोनों तरफ बसे लोगों के लिए बडी सौगात है। प्रत्येक वर्ष क्षेत्र के सैकडों लोगों का विभिन्न बीमारियों का इलाज वह लखनऊ में फ्री कराते थे।
राजा समथर उत्तर प्रदेश ओलम्पिक तैराकी संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। खेल में भी उनकी विशेष रूचि रहती थी। क्षेत्र के खिलाडियों को उचित प्लेटफार्म मुहैया कराना वह अपनी जिम्मेदारी समझते थे। महाराजा रणजीत सिंह जूदेव का पार्थिव शरीर बुधवार देर शाम उनके पैतृक आवास अन्दर किला समथर लाया गया । गुरुवार को सुबह 9 बजे किला प्रांगण में जनमानस को अन्तिम दर्शन करने के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा गया जहाँ भारी संख्या में लोगों ने पहुंचकर उनके अन्तिम दर्शन किये। दोपहर बाद किला से निकली अंतिम यात्रा में भारी जन सैलाब उमड़ पड़ा । राज परिवार परंपरा के अनुसार बृन्दावन बाग में उनका अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ।