लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा शिविर के उद्घाटन के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि वह इससे पूर्व अनेक चिकित्सा शिविरों का उद्घाटन कर चुके हैं परन्तु यह प्रथम अवसर है जब सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा शिविर का उद्घाटन कर रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि कई प्रकार के दान होते हैं जैसे रक्तदान, अंगदान, शरीरदान। चिकित्सकों द्वारा अवकाश के दिनों में रोगी सेवा का काम करना समाज के प्रति एक तरह का समयदान है।
उन्होंने कहा कि आकस्मिकता को देखते हुए अवकाश दिवस भी कार्य दिवस बन जाता है। रोगी ऐसे सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा शिविर का लाभ उठाकर चिकित्सकों द्वारा दी गई सलाह का गंभीरता से पालन करें। बदलती एवं अनियमित जीवन शैली से अनेक प्रकार के गंभीर रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक विज्ञान की प्रगति की जानकारी रखें तथा रोगियों को भी उससे लाभान्वित करें।
राज्यपाल ने राजेश्वरी देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा शिविर का उद्घाटन किया
श्री राम नाईक ने आज राजेश्वरी देवी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित निःशुल्क ‘सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा शिविर’ का उद्घाटन किया। यह ट्रस्ट की ओर से प्रथम सार्वजनिक कार्यक्रम है जिसमें प्रदेश एवं देश से चिकित्सा विशेषज्ञों ने भाग लिया तथा सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा शिविर में निःशुल्क परामर्श, जाँच और औषधि भी वितरित की गई।
प्रो. राम गोपाल गुप्त द्वारा लिखित पुस्तक ‘मनुस्मृति और आधुनिक समाज’ का विमोचन
इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टण्डन, विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक, कुलपति किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय एम.एल.बी. भट्ट, महानिदेशक दूरसंचार प्रमोद कुमार तिवारी, राजेश्वरी देवी ट्रस्ट के संस्थापक एवं अध्यक्ष प्रो. राम लाल गुप्त, ट्रस्ट के उपाध्यक्ष डाॅ. पी.सी. गुप्ता सहित अन्य लोग उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर प्रो. राम गोपाल गुप्त द्वारा लिखित पुस्तक ‘मनुस्मृति और आधुनिक समाज’ का विमोचन भी किया।
परिस्थिति के साथ परिवर्तन ही जिंदा समाज की विशेषता होती है - श्री नाईक
श्री नाईक ने विमोचित पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मनुस्मृति हजारों साल पूर्व लिखा गया ग्रंथ है जिसे उस समय की परिस्थितियों के अनुसार लिखा गया था। किसी भी समाज में समय के आधार पर शैक्षिक, सामाजिक सहित अनेक बदलाव होते हैं। ऐसे में विद्यमान परिस्थितियों में पुस्तक का अध्ययन लाभदायक है। भारतीय संविधान 1950 में लागू हुआ और आवश्यकता के आधार पर 68 वर्षों में अब तक 102 संशोधन किये गये हैं। उन्होंने कहा कि परिस्थिति के साथ परिवर्तन ही जिंदा समाज की विशेषता होती है।
इस अवसर पर मंत्री आशुतोष टण्डन, मंत्री बृजेश पाठक, संस्था के अध्यक्ष प्रो. राम गोपाल गुप्त सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में चिकित्सकों को सम्मानित भी किया गया।