स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित लोग चला रहे आजमगढ़ में ‘गुलाब आन्दोलन’

Update: 2017-10-06 07:52 GMT

आन्दोलन को को मिल रहा भरपूर जनसमर्थन

संदीप अस्थाना की रिपोर्ट

आजमगढ़। विश्वपटल पर आजमगढ़ की पहचान अपराध और आतंकवाद के नर्सरी के रूप में है। इसके विपरीत इस सच को कभी नहीं नकारा जा सकता है कि आजमगढ़ के लोग उर्दू साहित्य के नामचीन शायर इकबाल सुहेल की लाइनों ‘इस खित्तये आजमगढ़ पे मगर फैजाने तजल्ली है यक्सर, जो जर्रा यहां से उठता है वो नैय्यरे आजम होता हैु’ को जीते चले आ रहे हैं। अब यहां के लोग गांधीगीरी को जी रहे हैं और ‘गुलाब आन्दोलन’ चला रहे हैं। आन्दोलन को भरपूर जनसमर्थन भी मिल रहा है।

आन्दोलन को चलाने वाले लोगों का हौसला बुलन्द है और वह यह कह रहे हैं कि वह इस समाज को एक नया स्वरूप देने में निश्चित रूप से कामयाब होंगे। गांधीगीरी की सोच एक मामूली रंगकर्मी विवेक पाण्डेयके दिमाग की उपज है। जहानागंज थानान्तर्गत सुम्भी गांव के रहने वाले विवेक पाण्डेय के साथ आशीष उपाध्याय, ऋषभ उपाध्याय, प्रीतेश अस्थाना व अखण्ड प्रताप दूबे भी जुड़ गये और अब तो इस गांधीगीरी को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।

मोदी के स्वच्छता मिशन ने किया प्रभावित

गांधीगीरी अभियान स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित है। विवेक की टीम ने शहर के नरौली पुल के पास कूड़ा डम्प के खिलाफ आन्दोलन चलाया। आजमगढ़ के अलावा लखनऊ में भी प्रदर्शन किया। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और जिले के अधिकारियों से मिले। डीएम चन्द्रभूषण सिंह ने विवेक से कहा कि यहां की जनसंख्या मानक से काफी अधिक है। यही वजह है कि वह और सरकार जो चाह रहे हैं वह संभव नहीं है। इसके बाद विवेक ने सफाई के लिये गांधीगीरी की शुरुआत की।

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गांधीगीरी टीम ने अपना पहला टारगेट बच्चों को बनाया है। इस टीम के लोग बच्चों से मिल रहे हैं और उनसे कहते हैं कि अगर घर में उनके पापा गंदगी फैला रहे हैं तो वह अपने पापा से यह कहें कि पापा, प्लीज गंदगी मत फैलाईये। इस टीम के लोगों का यह मानना है कि अगर बच्चे अपने पापा को स्वच्छता के प्रति सचेत करेंगे तो उसका अपना अगला असर होगा। साथ ही पापा के साथ-साथ परिवार के सभी लोग स्वच्छता के प्रति सचेष्ट होंगे और देश स्वच्छ होगा।

प्रयाग पहुंचा अभियान

साठ दिन पुराना गांधीगीरी अभियान इस जिले से बाहर निकलकर प्रयाग तक पहुंच चुका है। प्रयाग में इस आन्दोलन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं आजमगढ़ के ही आशीष यादव। गांधीगीरी टीम के लोग जब भी कोई आन्दोलन चलाते हैं तो लोगों से मिलकर उन्हें गुलाब का एक फूल भेंट करते हैं और उस आन्दोलन के प्रति जागरूक करते हैं। स्वच्छता अभियान के दौरान जब कोई गंदगी फैलता नजर आया तो उसे गुलाब भेंट कर स्वच्छता के प्रति जागरूक किया।

गांधीगीरी टीम के लोगों ने अभी तक अपना कोई संगठन नहीं बनाया है जबकि इसके सदस्यों की संख्या हजारों में हो चुकी है। उन्होंने सरकारी स्कूलों की बेहतरी, नशामुक्ति, शौचालय व हेलमेट के प्रति लोगों को जागरूक करने का फैसला किया है।आन्दोलन के अगुवा विवेक पाण्डेय एक सम्पन्न किसान परिवार के हैं, वहीं उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे आशीष उपाध्याय एमटेक की डिग्री लेने के बाद आईटी का बिजनेस कर रहे हैं। ऋषभ उपाध्याय एमसीए के बाद अपना कम्प्यूटर संस्थान चला रहे हैं। प्रीतेश अस्थाना ने बीटेक के बाद एमएसडब्लू किया है और अखण्ड प्रताप दूबे पेशे से शिक्षक हैं।

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मन में कैसे आई यह सोच

विवेक पाण्डेय जब छोटे थे तो बीमारी के दौरान एक झोला छाप डाक्टर ने उनको इंजेक्शन लगाया जिससे उनकी तबियत और भी खराब हो गयी। इस घटना के बाद चौथी कक्षा के इस विद्यार्थी ने ‘झोला छाप डाक्टर’ नाम से नाटक लिखा और कई जगह इसका मंचन भी किया। इसके बाद से उन्होंने समाज की कुरीतियों को खत्म करने का संकल्प लिया।

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