हापुड़ : आस्था की डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने कमाया पुण्य, गंगा में किया स्नान
यूपी के जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले कार्तिक गंगा मेले में 18 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। जबकि बृहस्पतिवार शाम यानि कल गंगा में दीपदान किया जााएगा। वहीं शनिवार की सुबह को बृहम काल में पूर्णिमा का मुख्य स्नान का आयोजन किया जाएगा। यहां गंगा किनारे पिछले एक सप्ताह से धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं।
हापुड़: यूपी के जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले कार्तिक गंगा मेले में 18 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। जबकि बृहस्पतिवार शाम यानि कल गंगा में दीपदान किया जााएगा। वहीं शनिवार की सुबह को बृहम काल में पूर्णिमा का मुख्य स्नान का आयोजन किया जाएगा। यहां गंगा किनारे पिछले एक सप्ताह से धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। बुधवार को गंगा नगरी में आए 18 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मां गंगा की जल धारा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य कमाया।
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पिछले एक सप्ताह से गंगा किनारे चल रहे थे धार्मिक अनुष्ठान
महिलाओं ने गंगा किनारे पुरोहितों से मंत्रोच्चारण कराकर पूजा अर्चना की और गरीब लोगों को वस्त्र वितरण करते हुए पुण्य कमाया। बृहस्पतिवार यानि कल शाम श्रद्धालुओं द्वारा मृतकों के लिए यहीं पर गंगा किनारे दीप दान किया जाएगा। प्राचीन गंगा मंदिर के कुल पुरोहित पंडित संतोष कौशिक का कहना है कि महाभारत के युद्ध में जान गंवाने वालों की आत्मशांति को चतुर्दशी की संध्या में दीपदान करने पर पांडवों के व्याकुल मन को शांति मिल गई थी। जिसके उपरांत कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में डुबकी लगवाकर श्रीकृष्ण पांडवों को लेकर वापिस लौट गए थे। तभी से प्रतिवर्ष गढ़ खादर में कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेला लगता आ रहा है। जिसमें दीपदान सबसे महत्वपूर्ण पर्व कहलाया जाता है।
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दीपदान का शुभ मुहूर्त 6:18 बजे से
"एक वर्ष के भीतर दिवंगत हुए परिजन और सगे संबंधियों की आत्मशांति तथा मोक्ष प्राप्ति को लाखों श्रद्धालु मोक्ष दायिनी में दीप दान करेंगे। क्या है दीपदान का शुभ मुहूर्त पंडित परमानंद शर्मा ने बताया कि की शाम 6:18 बजे से दीपदान शुरू होगा जो देर रात तक जारी रहेगा। उसके उपरांत बृहम काल में कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व प्रारंभ हो जाएगा।
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कैसे होता है दीपदान
घास या पटेर से निर्मित आसनों पर मिट्टी से बने 5, 7, 9, 11 अथवा 21 दीपक रखकर उनमें घी अथवा तेल भर दिया जाता है। जिसके उपरांत दीपकों की जोत जलाकार अपने दिवंगतों की आत्मशांति की कामना करते हुए गंगा में खड़े होकर उन्हें जलधारा में प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे मोक्ष दायिनी दीपदान पर्व के दौरान आकाश गंगा का रूप लेकर बेहद मनोहारी दृश्य से जुड़ी जाती है।
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उमड़ रहा है श्रद्धालुओं का सैलाब
पूर्णिमा पर डुबकी का शुभ मुहूर्त प्रात: काल में कार्तिक पूर्णिमा के मुख्य स्नान पर्व की परवी लूटने को हर तरफ से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा। प्रात:काल 4.15 बजे से शुभ मुहूर्त प्रारंभ होगा, पूर्णिमा का योग शनिवार की रात्रि 8.40बजे तक रहेगा।