हाईकोर्ट ने NHAI से पूछा- पॉलिटेक्निक फ्लाईओवर का काम कब तक पूरा होगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से पूछा है कि पॉलीटेक्निक फ्लाई ओवर का अपूर्ण काम कब तक पूरा हो जाएगा।

Update:2017-02-22 21:18 IST

 

 

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार (22 फरवरी) को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से पूछा है कि पॉलिटेक्निक फ्लाईओवर का अधूरा काम कब तक पूरा हो जाएगा। जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की डिवीजन बेंच ने यह आदेश लोक न्यायार्थ संस्था के महासचिव विवेक मनीषी शुक्ला की जनहित याचिका पर दिया।

याचिका में राष्ट्रीय राजमार्गों पर कतिपय सुविधाओं के बाबत भी निर्देश देने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस संबंध में एनएचएआई को तीन हफ्ते में जवाब देने के आदेश दिए हैं। पॉलिटेक्निक फ्लाईओवर से इंदिरानगर के अलावा लखनऊ-गोरखपुर और आजमगढ़ समेत पूर्वांचल के 15 जिलों के लोगों का यहां से आना जाना होता है।

ऐसे में यहां से प्रतिदिन दो लाख से ज्यादा गाड़ियां गुजरती हैं। फ्लाईओवर पिछले साल जुलाई से गड्ढा होने के कारण बंद पड़ा है।

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NRHM घोटाले के तीन आरोपित डॉक्टरों का केस खारिज करने की याचिका खारिज

लखनऊ: हाईकोर्ट ने एनआरएचएम घोटाले के तीन आरोपित डॉक्टरों की ओर से दायर उन याचिकाओं को बुधवार (22 फरवरी) को खारिज कर दिया जिनमें सीबीआई द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों को अपर्याप्त बताते हुए आरोप पत्र खारिज करने की मांग की गई थी। यह आदेश जस्टिस ए पी साही की बेंच ने डॉ. रोमा गुप्ता, डॉ. बसंती वर्मा और डॉ. सुमन बाजपेयी की ओर से अलग-अलग दायर याचिकाओं पर दिया।

क्या कहा गया था याचियों की ओर से ?

सीबीआई आरोपों के समर्थन में पर्याप्त साक्ष्य जुटाने में असमर्थ रही है।

सीबीआई कोई भी ऐसा विश्वसनीय साक्ष्य पेश नहीं कर पाई, जो अपराध और आरोपियों के बीच संबंध को दर्शाता हो।

याचियों का तर्क था कि उनके खिलाफ विभागीय जांच भी हुई थी

लेकिन वे ऐसे किसी भी मामले में संलिप्त नहीं पाए गए।

क्या था सीबीआई के वकील का तर्क ?

याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई के वकील का तर्क था कि विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोप पत्र को चुनौती नहीं दी जा सकती। इस बात के साक्ष्य हैं कि फर्जी बिलों के आधार पर पैसों का गबन हुआ। फर्जी बिलों का भुगतान किया गया और यहां तक कि फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर के वाहनों का भी भुगतान कर दिया गया।

क्या कहा कोर्ट ने ?

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट साक्ष्यों का आकलन का इस स्तर पर नहीं कर सकती है।यदि याचियों को भरोसा है कि सीबीआई उनके खिलाफ साक्ष्य नहीं पेश कर सकी, तो वे सत्र न्यायालय के समक्ष खुद को आरोप मुक्त करने की अर्जी दे सकते हैं। बेंच ने तीनों आरोपियों की याचिका को खारिज कर दिया।

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