दुर्घटना में अक्षम संविदा ड्राइवर को बाहर नहीं कर सकता परिवहन निगम: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के स्थायी व संविदा कर्मचारी में भेद नहीं है। धारा 47 दोनों तरह के कर्मचारियों पर समान रूप से लागू है।

Update: 2019-01-25 13:30 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के स्थायी व संविदा कर्मचारी में भेद नहीं है। धारा 47 दोनों तरह के कर्मचारियों पर समान रूप से लागू है। कोर्ट ने कहा है कि परिवहन निगम 9 साल की सेवा के बाद संविदा ड्राइवर को अक्षम होने के कारण सेवा से बाहर नहीं किया जा सकता। संविदा कर्मी को अक्षम होने के कारण वैकल्पिक नियुक्ति देने से इंकार नहीं किया जा सकता।

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कोर्ट ने कहा है कि परिवहन निगम एक मॉडल नियोक्ता होने के नाते अपने मजबूर कर्मी को सेवा से बाहर संविदा खत्म होने के कारण नहीं फेंक सकता। कोर्ट ने याची ड्राइवर की बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया और एक माह में मेडिकल बोर्ड से जांच के बाद ड्राइवरी के अयोग्य करार दिये जाने के बाद अन्य विभाग में कार्यभार ग्रहण कराने का आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति डीके सिंह ने बांदा के ड्राइवर सुरेश सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

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याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्या ने बहस की। याची 16 जून 05 को बस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया। सीएमओ ने ड्राइविंग के अयोग्य करार दिया। क्षेत्रीय प्रबंधक चित्रकूट धाम ने उसे गैर हाजिर रहने के कारण बर्खास्त कर दिया। कहा संविदाकर्मी को दूसरे विभाग में रखने का नियम नहीं है। इस आदेश को याचिका में चुनौती दी गयी थी।

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