Janeshwar Mishra : नेहरू की सीट से ही पहली बार जीत कर जनेश्वर मिश्र पहुंचे थे लोकसभा, वीपी सिंह को भी चटा दी थी धूल
Janeshwar Mishra Jayanti: कहा जाता है कि संसद पहुंचने के बाद जनेश्वर मिश्र को सबसे पहले राजनारायण ने ही छोटे लोहिया कहकर पुकारा था और उसके बाद यही संबोधन जनेश्वर मिश्र की पहचान बन गई।
Janeshwar Mishra Jayanti: 5 अगस्त को जनेश्वर मिश्र की जन्म दिन है। खाटी समाजवादी जनेश्वर मिश्र नेता ही नहीं एक विचारक भी थे। उत्तर प्रदेश में जब भी समाजवादी राजनीति की चर्चा होती है तो जनेश्वर मिश्र का नाम जरूर आता है। बिना उनका नाम लिए यह चर्चा पूरी नहीं होती। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जब भी समाजवाद पर बोलते थे तो जनेश्वर मिश्र का नाम जरूर लेते थे। सपा मुखिया अखिलेश यादव भी समाजवाद पर बोलते हुए जनेश्वर मिश्र को जरूर याद करते हैं। जनेश्वर मिश्र थे ही ऐसे। उन्हें छोटे लोहिया के नाम से भी जाना जाता है।
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तो इसलिए उन्हें कहा जाता है छोटे लोहिया-
जनेश्वर मिश्र का जन्म 5 अगस्त 1933 को यूपी के बलिया जिले के शुभ नाथहि गांव में हुआ था। जनेश्वर मिश्र समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के बड़े अनुयायियों में से एक थे। मिश्र पर छात्र जीवन में ही लोहिया के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ गया था। मिश्र समाजवादी युवजन सभा जॉइन करने के बाद पहली बार राम मनोहर लोहिया के संपर्क में आए। उन्होंने लोहिया के साथ लंबे समय तक काम किया था और इसी दौरान उन्होंने लोहिया के विचारों और उनके काम करने के तरीकों को ऐसे अपना लिया था, जैसे वह उनका साया हों। यही कारण था कि एक बार इलाहाबाद में आयोजित जनसभा में समाजवादी नेता छुन्नू ने कहा था कि जनेश्वर मिश्र के अंदर राम मनोहर लोहिया के सारे गुण हैं और इसलिए वे एक तरह से ‘छोटे लोहिया‘ हैं। इसके बाद से ही जनेश्वर मिश्र का नाम छोटे लोहिया के नाम से मशहूर हो गया।
फूलपुर से बने पहली बार सांसद-
जनेश्वर मिश्र ने 1967 में अपने कॅरियर का पहला संसदीय चुनाव फूलपुर से लड़ा था। इस चुनाव में उनका मुकाबला जवाहर लाल नेहरू की बहन और कांग्रेस नेता विजयलक्ष्मी पंडित से था। छोटे लोहिया के लिए यह चुनौती बहुत मुश्किल थी। वे यह चुनाव हार गए। लेकिन 1968 में विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र चली गईं। इसके बाद फूलपुर में उपचुनाव हुआ और इस बार जनेश्वर मिश्र जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के केडी मालवीय को हराया। इस सीट से चुनाव जीतने वाले मिश्र पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे। फूलपुर से पंडित नेहरू भी सांसद रहे हैं।
राजनारायण ने भी कहा छोटे लोहिया-
कहा जाता है कि जब मिश्र पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे तो राजनारायण से उनकी मुलाकता हुई। राजनारायण भी देश के बड़े समाजवादी नेताओं में से एक थे। कहा जाता है कि संसद पहुंचने के बाद जनेश्वर मिश्र को सबसे पहले राजनारायण ने ही छोटे लोहिया कहकर पुकारा था और उसके बाद यही संबोधन जनेश्वर मिश्र की पहचान बन गई।
वीपी सिंह को भी चटा दिया था धूल-
यह भले ही तय न हो कि जनेश्वर मिश्र को सबसे पहले किसने छोटे लोहिया कह कर संबोधित किया, लेकिन अपनी सादगी और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता के कारण लोगों को जनेश्वर मिश्र में राम मनोहर लोहिया का अक्स दिखता रहा और लोग उन्हें आज भी छोटे लोहिया ही कहकर याद करते हैं। जनेश्वर मिश्र की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1977 में उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी विश्वनाथ प्रताप सिंह को 89 हजार वोटों के अंतर से धूल चटा दी थी। जनेश्वर मिश्र केंद्र में मंत्री भी रहे। वे अपने सादगी और लोगों के बीच घुल मिल जाने के कारण भी काफी लोकप्रिय रहे। जनेश्वर मिश्र अपनी सादगी और विचारों के कारण आज भी लोगों के बीच खासे चर्चा में रहते हैं।