मथुरा/लखनऊः गुरुवार रात देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। यूं तो देशभर के मंदिरों में इस दौरान भक्त जुटे थे, लेकिन मुख्य समारोह मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान पर हुआ। यहां 25 किलो चांदी से बनाए गए कमल दल से भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप प्रकट हुआ। मथुरा में इस समारोह में हिस्सा लेने देश-विदेश से लाखों भक्त पहुंचे थे।
इस तरह हुआ कान्हा का प्राकट्य
पहले जन्मस्थान मंदिर में गणेश और नवग्रह पूजन किया गया। इसके बाद रात 12 बजते ही कमल दल की पंखुड़ियां खुलनी शुरू हुईं। इससे भगवान कृष्ण प्रकट हुए। कान्हा के जन्म के साथ ही श्याम की नगरी जयकारों से गूंज उठी। भागवत भवन के श्रीकेशवदेव मंदिर में ढोल-नगाड़े, झांझ-मजीरे, संकीर्तन के बीच भक्तों ने राधाकृष्ण का दिव्य दर्शन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दी हैं।
1958 में बना था योग
इस साल जैसा योग बना, जैसा 52 साल पहले 1958 में बना था। बता दें कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा के वृष राशि में भ्रमण के दौरान हुआ था। इस साल भी ठीक ऐसा ही योग था। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी की रात रोहिणी नक्षत्र के शुरू के दौरान हुआ था। इस साल रोहिणी नक्षत्र की स्थिति में मामूली अंतर था।
लखनऊ में भी हुआ जन्मोत्सव
लखनऊ के तमाम मंदिरों के साथ ही पुलिस लाइन्स में भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम रही। यहां पुलिस मॉर्डर्न स्कूल के छात्र-छात्राओं ने गणपति वंदना की। इसके बाद नृत्य नाटिका हुई। मथुरा से आए पंडित मुरारी लाल और उनके साथियों ने मयूर नृत्य और ब्रज की फूलों की होली की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में गवर्नर राम नाईक और सीएम अखिलेश यादव भी शामिल हुए।
अन्य जगह भी हुए कार्यक्रम
राजधानी लखनऊ में इस्कॉन के मंदिर में राधा-कृष्ण के लिए करीब डेढ़ लाख रुपए का रत्नजटित वस्त्र मंगाया गया था। दिल्ली में लक्ष्मी-नारायण मंदिर समेत सभी मंदिरों में जन्माष्टमी की तैयारी की गई थी। वहीं, नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर और गुजरात के द्वारिकाधीश मंदिर में भी जन्माष्टमी पर्व उल्लास से मनाया गया।