Kushinagar News: गन्ना किसानों पर संकट, रेड राट रोग की वजह से खेतों सूख रही गन्ने की फसल
Kushinagar News: किसान असहाय होकर भाग्य को कोस रहे हैं। गन्ना फसल बीमा योजना के दायरे से बाहर होने के कारण किसानो को कोई आर्थिक सहयोग नही मिल पा रहा है।
Kushinagar News: जनपद के गन्ना बहुल्य इलाको मे इस वर्ष भी गन्ने की फसल सूख रही हैं जिससे एक बार फिर गन्ना किसानों को आर्थिक क्षति होने जा रही है। किसान असहाय होकर भाग्य को कोस रहे हैं। गन्ना फसल बीमा योजना के दायरे से बाहर होने के कारण किसानो को कोई आर्थिक सहयोग नही मिल पा रहा है। रामकोला, कप्तानगंज, पडरौना, खड्डा क्षेत्र के अधिकतर गांव क्षेत्रों में शीघ्र पकने वाली गन्ने की प्रजातियाँ खेतों में सूख रही है।
खासकर निचले इलाकों में जहां जलजमाव हो रहा हैं। जनपद गन्ने की खेती के लिए अग्रणी माना जाता है। कुछ वर्षों से इस क्षेत्र में गन्ने की शीघ्र पकने वाली गन्ने की दो प्रजातियाँ 0238 और 0236 खूब पदवार दे रही थी। किसान और चीनी मिल दोनों को लाभ हो रहा था।
आज भी किसान अधिकतम क्षेत्रफल पर इन्हीं प्रजातियों की बुवाई किए हैं। इन्हीं प्रजातियों के गन्ना उत्पादन के आधार पर किसानों के दिन बदलने के आसार दिखने लगे थे। लेकिन इन प्रजातियों के सूखने से किसानों के अरमानों पर पानी फिर रहा है।
इन प्रजातियो के सूखने कारण रेड राट बताया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक रामकोला परिक्षेत्र में क्षेत्र में लगभग हजारो हेक्टेयर गन्ना सूख रही है । जिसके चलते गन्ना किसानो को काफी क्षति हो रहा है।
इतनी बड़ी रकम का गन्ना जिसको किसान अपने खून पसीने से खींच कर तैयार किया था बर्बाद हो रही है । गन्ना विभाग इन दोनों प्रकार के अगेती किस्मो के गन्ने का विकल्प नहीं दे पाया है। अभी तक इतना उत्पादन क्षमता वाला गन्ना किसी भी गन्ना शोध संस्थान में उपलब्ध नहीं है।
इसलिए किसान हार थक कर 0238 और 0236 प्रजाति के गन्ने की बुवाई अधिकतम क्षेत्रफल पर किया है। अधिकतम क्षेत्रफल पर अगेती प्रजाति के गन्ने की खेती हुई हैं और इसी प्रजाति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। किसान आस भरी नजरों से सरकार और चीनी मिलों के तरफ टकटकी लगाए हैं।
गन्ने की बुआई सीजन के समय गन्ना विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई जिसका परिणाम आज किसान भुगत रहे हैं। हलाकि चीनी मिल ने रोग ग्रस्त 0238 प्रजाति के गन्ने को नही बोने का खूब प्रचार किया।
लेकिन दूसरे अन्य प्रजाति के गन्ने के पर्याप्त बीज नहीं मिलने के वजह से अधिकतर किसान पुरानी प्रजाति के ही गन्ने की बुआई कर दिया। पिछले वर्ष की गलतियो से विभाग सीख नही लिया।
किसानों ने बताया कि गन्ने सूखने से सारी पूंजी डूब जा रही है। गन्ना फसल बीमा योजना के दायरे से बाहर होने के कारण किसानो को कोई आर्थिक सहयोग नही मिल पा रहा है । पिछले वर्ष भी इसी तरह का भारी नुकसान किसानो को हुआ।
जन प्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र के गन्ना किसानों की समस्याओं को नहीं उठाया। किसान लागातार सरकार से मांग करते रहे कि नुकसान का सर्वे कराकर गन्ना किसानो को आर्थिक मदद की जाय लेकिन उनको कुछ नहीं मिला। ऐसे में गन्ने की खेती इस क्षेत्र में घाटे का सौदा बन गया है । लागातार किसानो पर आर्थिक दबाव बनता जा रहा है।