Lucknow Crime: जियाउल हक हत्याकांड में 10 आरोपियों को उम्र कैद, सभी पर लगा जुर्माना

Lucknow Crime: बहुचर्चित DSP जिया उल हक हत्याकांड में बुधवार की शाम लखनऊ में CBI कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

Report :  Santosh Tiwari
Update:2024-10-09 18:26 IST

Lucknow Crime: बहुचर्चित DSP जिया उल हक हत्याकांड में बुधवार की शाम लखनऊ में CBI कोर्ट ने फैसला सुनाया है। हत्याकांड के 11 साल बाद आए फैसले में कुल 10 आरोपियों को CBI के स्पेशल जज ने 10 वर्ष की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक आरोपी पर 19,500 का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की कुल रकम का 50 प्रतिशत जियाउल हक की पत्नी को दिया जाएगा। बुधवार की देर शाम आए फैसले के बाद सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।

2 मार्च 2013 को हुआ था बवाल

प्रतापगढ़ के ग्राम प्रधान नन्हे सिंह की गांव के ही कामता पाल से रंजिश चल रह थी। 2 मार्च 2013 को प्रधान नन्हें पाल बलीपुर चौराहे पर एक झोपड़ी के विवाद में समझौते को लेकर मौके पर पहुंचे थे और वहां लोगों से बात कर रहे थे। इसी बीच बाइक सवार दो बदमाशों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। प्रधान की हत्या से ग्रामीण आक्रोशित हो गए और उन्होंने बड़ी संख्या में कामता पाल के घर को घेर लिया। उग्र भीड़ ने कामता के घर में आग लगा दी।

इसके बाद सूचना पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझाने का प्रयास किया लेकिन लोग नहीं माने। बवाल इस कदर बढ़ा कि थाने की फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे तत्कालीन कुंडा थानेदार सर्वेश मिश्र को भी लोग आगे नहीं बढ़ने दे रहे थे। सूचना पर सीओ जिया उल हक अतिरिक्त फोर्स लेकर गांव में पहुंचे और पीछे के रास्ते से अंदर जाने का प्रयास करने लगे। इसी बीच लोगों ने उन्हें चारों तरफ से घेरकर फायरिंग शुरू कर दी।

पहले पीटा फिर गोली मारकर कर दी हत्या

गांव में पहुंचे सीओ जिया उल हक बवाल को शांत कराने के प्रयास में थे इसी बीच लोगों ने उन पर हमला बोल दिया। लोगों ने पहले उन्हें बुरी तरह पीटा इसके बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। वहीं गोली लगने से प्रधान नन्हे के भाई सुरेश की भी मौत हो गई थी। इस तिहरे हत्याकांड से पूरा प्रदेश हिल उठा था। हत्या के बाद कई दिन तक प्रतापगढ़ का बलीपुर गांव छावनी बना रहा। मामला इतना बढ़ा की तत्कालीन CM अखिलेश यादव को भी गांव जाना पड़ा था।

सीओ की पत्नी ने दर्ज कराया था केस, राजा भैया थे नामजद

तिहरे हत्याकांड के बाद कुल चार FIR दर्ज हुई थी। चौथी और आखिरी FIR सीओ जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद ने तत्कालीन कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह, उनके सहयोगी गुलशन यादव, हरिओम, रोहित और संजय के खिलाफ दर्ज कराई थी। हालांकि इस केस में राजा भैया समेत अन्य पांचों को क्लीन चिट मिल गई। वहीं, बुधवार को CBI कोर्ट ने कुल 10 लोगों को सजा सुनाई है।

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