Lucknow News: पहली बार दूसरे परिवार का कारीगर बनाएगा रामलीला में रावण का पुतला, जानें क्या है वजह

Lucknow News: रामलीला समिति के अध्यक्ष हरिश्चंद्र अग्रवाल ने बताया कि नए कारीगर के लिए राजू फकीरा से कहा गया है। समिति की ओर से भी नए कारीगर की तलाश की जा रही है। ऐशबाग में राजधानी का सबसे ऊंचा रावण बनता है।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-10-08 17:30 IST

Lucknow News: ऐशबाग स्थित रामलीला मैदान में रावण दहन के लिए पुतला इस बार दूसरे कारीगर द्वारा बनाया जाएगा। सैकड़ों वर्षों से एक ही परिवार रावण का पुतला बनाता आ रहा है। परिवार की पांचवीं पीढ़ी परंपरा को आगे बढ़ाती हुई आई है। लेकिन इस बार कारीगर राजू फकीरा के दाहिने हाथ में फ्रैक्चर के कारण वह पुतला नहीं बना पाएंगे। 

नए कारीगर की चल रही तलाश

कारीगर राजू फकीरा का दाहिने हाथ में फ्रैक्टर हो गया है। इसकी वजह से निर्माण नहीं कर पाएंगे। ऐशबाग रामलीला समिति के अध्यक्ष हरिश्चंद्र अग्रवाल ने बताया कि नए कारीगर के लिए राजू फकीरा से कहा गया है। समिति की ओर से भी नए कारीगर की तलाश की जा रही है। ऐशबाग में राजधानी का सबसे ऊंचा रावण बनता है। 12 को रावण दहन होगा। कारीगर राजू फकीरा ने बताया कि पिता फकीरा दास, बाबा मक्का दास, दादा नारायण दास ऐशबाग की रामलीला मैदान में रावण का पुतला बनाने का कार्य कर रहे थे। पुतले का निर्माण दादा नारायण दास के पिता ने शुरू किया था।

पूजा के बाद शुरू होता कार्य

रावण बनाने से पहले आस्था के देव के सामने बांस और औजारों की पूजा की जाती है, तब कार्य शुरू होता है। रामलीला मैदान में आकर जब पुतले का निर्माण शुरू करते हैं। दशहरे के दिन करीब तीन बजे मैदान में पुतला खड़ा करने की चुनौती होती है। बेटा ऋषभ फकीरा के साथ रावण के पुतले का निर्माण करते हैं। उन्होंने बताया कि मेरा ही परिवार मुहर्रम में ताजिया और दशहरे के लिए पुतला बनाता है। पांच पीढ़ियों से नूरवाड़ी में मुस्लिम आबादी के बीच रहते हुए ऐशबाग के रामलीला मैदान में रावण और मेघनाद के पुतले का निर्माण करते हैं। हाथ टूटने से निर्माण नहीं कर पाएंगे। बेटा भी बाहर है।

ऐशबाग रामलीला का इतिहास

गोस्वामी तुलसीदास ने 400 साल पहले जब ऐशबाग में आम जनता के लिए श्रीरामचरितमानस के प्रसंगों को लेकर रामलीला का मंचन शुरू किया था, उस समय रावण दहन के लिए जिस परिवार ने पुतला बनाया था, आज भी उस परिवार की पांचवीं पीढ़ी परंपरा को आगे बढ़ा रही है। रावण को आकार देने वाले कारीगर मेहनत करके पुतला बनाते हैं। इस बार निर्माण पर ग्रहण लग गया है।


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