आज अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता को पता चला की कोर्ट क्या कर सकता है

 इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक आदेश की जानबूझकर और हठपूर्वक अवमानना करने के आरेाप में अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन विभाग महेश कुमार गुप्ता को दोषी पाते हुए कोर्ट के उठने तक हिरासत में रहने की सजा सुनाई। सजा भुगत रहे अपर मुख्य सचिव कोर्ट रूम में मौजूद आम वादकारियों की पंक्ति में बैठे रहे।

Update:2019-03-26 22:04 IST

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक आदेश की जानबूझकर और हठपूर्वक अवमानना करने के आरेाप में अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन विभाग महेश कुमार गुप्ता को दोषी पाते हुए कोर्ट के उठने तक हिरासत में रहने की सजा सुनाई। सजा भुगत रहे अपर मुख्य सचिव कोर्ट रूम में मौजूद आम वादकारियों की पंक्ति में बैठे रहे। कोर्ट ने उन पर व्यक्तिगत रूप से 25 हजार रुपये जुर्माना भी ठोंका है जिसे उन्हें एक सप्ताह के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करना होगा।

यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने डॉ. किशोर टंडन व आठ अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया। कोर्ट के सोमवार के आदेश के अनुपालन में मंगलवार की सुबह महेश कुमार गुप्ता कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। मामले की पुकार होने पर उनकी ओर से जूनियर अधिवक्ता ने कुछ देर बाद मामले की सुनवाई करने का अनुरोध किया क्योंकि उनके वरिष्ठ अधिवक्ता किसी अन्य कोर्ट में उपस्थित थे।

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कोर्ट ने अनुरोध को स्वीकार कर लिया लेकिन महेश कुमार गुप्ता को हिरासत में लेने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति के वह कोर्ट के बाहर नहीं जाएंगे। इस दौरान यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर व कुछ कांस्टेबिल कोर्ट रूम के दोनों दरवाजों पर खड़े कर दिये गए। महेश कुमार गुप्ता कोर्ट रूम में पीछे के तरफ बनी वादकारियों की पंक्ति में हिरासत के तहत बैठ गए। दोपहर साढे 12 बजे मामले की सुनवाई पुनः शुरू हुई। कोर्ट के आदेश पर गुप्ता आगे आये। वे अपने देानों हाथ पीठ पर पीछे की तरफ मोड़े हुए बिना कुछ बोले खड़े हेा गये। इस दौरान गुप्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट के आदेश के अनुपालन सम्बंधी शपथ पत्र प्रस्तुत किया।

इस पर कोर्ट ने कहा कि वह अनुपालन के सम्बंध में अगली तिथि पर सुनवाई करेगी, फिलहाल अवमानना के दोषी करार दिये जा चुके, महेश कुमार गुप्ता के सजा के बिंदु पर सुनवाई की जाएगी।

गुप्ता के वकील ने दलील दी कि अनुपालन किया जा चुका है लिहाजा उन्हें अवमानना से आरोप मुक्त किया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह 10 जुलाई 2018 व 25 मार्च 2019 के आदेशों में ही दोषी करार दिये जा चुके हैं।

अधिवक्ता ने पुनः अनुरोध किया कि काफी देर से वह हिरासत में बैठाए गए हैं, इसे ही पर्याप्त सजा माना जाए। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों को लगता है कि वे अदालत की अवमानना करने के बाद माफी मांग कर बच जाएंगे। लगभग आधे घंटे चली बहस के बाद कोर्ट ने महेश कुमार गुप्ता को कोर्ट के उठने तक सजा के तौर पर कोर्ट रूम में ही हिरासत में रहने की सजा सुनाई।

हालांकि उनके अधिवक्ता के अनुरोध पर लंच टाइम में नाश्ता वगैरह के लिए कोर्ट रूम के बाहर जाने की छूट प्रदान की। वहीं याचियों की ओर से महेश कुमार गुप्ता की ओर से दाखिल हुए, अनुपालन शपथ पत्र पर कहा गया कि कोर्ट के आदेश का पूर्णतया पालन अब भी नहीं हुआ है। कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए अगली तिथि 3 अप्रैल निर्धारित कर दी।

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सजा सुनाए जाने के कुछ ही मिनटों बाद जस्टिस विवेक ने देखा कि महेश कुमार गुप्ता कोर्ट रूम से नदारद हैं। उन्होंने पुलिसकर्मियों को बुलाने का निर्देश दिया। जिसके तत्काल बाद ही महेश कुमार गुप्ता पुनः कोर्ट रूम में आ गए। इस पर कोर्ट ने उन्हें जमकर फटकार लगाई। महेश कुमार गुप्ता ने कई बार सॉरी बोलते हुए, सफाई दी कि वह टॉयलेट गए थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह बिना अनुमति के कहीं नहीं हिल सकते। महेश कुमार गुप्ता ने पुनः कई बार सॉरी बोला। कोर्ट ने वहां मौजूद सब-इंस्पेक्टर को भी फटकार लगाई। मंगलवार को लगे सभी मामलों की सुनवाई होने के बाद कोर्ट जब उठने लगी तब महेश कुमार गुप्ता को रिहा करने का आदेश दिया।

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