इस मंदिर में चढ़ाएंगे ये प्रसाद तो मुराद पूरी होने के मिलेंगे संकेत

Update: 2016-04-11 09:09 GMT

बाराबंकी: मन की मुराद पूरी होगी या नहीं ये जानने के लिए अक्सर लोग परेशान होते रहते है, लेकिन अब परेशान होने की जरूरत नहीं है हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में जहां देवी मां अपने भक्तों को उनकी मुराद पूरी होने का संकेत देती है ! यू तो पूजा-पाठ से लेकर हर धार्मिक अनुष्ठान में नारियल का अपना ही महत्व होता है, लेकिन बाराबंकी के मनोकामना सिद्ध मंदिर के भक्तों के लिए यही नारियल कुछ और मायने रखता है और हो भी क्यों ना? आखिर देवी मां उनकी मन की मुराद पूरी करेंगी या नहीं, इसका संकेत उन्हें इसी नारियल से ही मिलता है !

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आपको भले ही हैरानी हो रही हो, लेकिन ये सच है। इस मंदिर में देवी मां के चरणों में चढ़ाया गया नारियल अगर चटक जाता है तो भक्त के मन की मुराद जरूर पूरी होती है। चाहे वो नौकरी-व्यापार से जुड़ी समस्या हो या फिर संतान या परिवार से जुड़ा दर्द!

नारियल में छिपा है रहस्य

यहां आने से पहले इस बात पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन जब आंखों के सामने नारियल अपने आप चिटकते है तो हर आने वाले को यहां की दैवीय शक्ति का एहसास हो जाता है !

मनोकामना सिद्ध मंदिर में वैसे तो रोजाना ही सैकड़ो भक्त देवी के चरणों में नारियल चढ़ाते है, लेकिन उसी भक्त का नारियल चटकता है जिसकी मनोकामना पूरी होनी होती है। भक्त अपने नारियल पर अपनी निशानी लगाकर देवी के चरणों में चढ़ाते है और फिर नारियल चटकने का इंतज़ार करते है !

माता के चरणों में पड़े सैकड़ों नारियल में से जिस किसी भक्त का चढ़ाया नारियल चटकता है तो माना जाता है के भक्त की मनोकामना जल्द पूरी होगी। अगर नारियल चटकने में कई दिन लग जाये तो समझ लीजिए की मनोकामना पूरी होनी में अभी समय लगेगा !

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मनोकामना सिद्ध मंदिर की एक और खासियत ये है कि अन्य मंदिरों की तरह यहां माता को मिठाई या लड्डू का भोग नहीं चढ़ाया जाता है। यहां भक्त माता को सिर्फ नारियल का भोग चढ़ाते है और वही नारियल भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है !

आस-पास के जिलों से ही नहीं, बल्कि कई प्रदेशों से भक्त यहां नारियल चढ़ाने आते है और नारियल पर अपना नाम लिख कर चढ़ा देते है और यदि उनके यहां से जाने तक नारियल नहीं चटकता है तो अपना पता और फोन नंबर मंदिर की पुजारिन के पास दे जाते है यदि उनका नारियल चिटकता है तो मंदिर की पुजारिन उन्हें नारियल चटकने की सूचना दे देती है ! मनोकामना सिद्ध मंदिर में चढ़ावे का कोई रिवाज नहीं है जिस भक्त की मनोकामना पूरी होती है वो अपनी श्रद्धा से मंदिर में मूर्ति की स्थापना करते है या मंदिर में भण्डारा करा देते है !

मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी

बचपन से ही माता की भक्ति में लीन लाजवती को एक रात सोते समय स्वप्न में देवी माता ने दर्शन देकर उनसे इस मंदिर की स्थापना करने को कहा, लेकिन गरीबी से जूझ रही लाजवती ने उस स्वप्न को देखकर इसलिए विचलित हो गयी। मंदिर के निर्माण के लिए धन की व्यवस्था कहा से होगी। दूसरी रात माता फिर उनके स्वप्न में आई और कहा की चिंता न करो, तुम शुरुआत करो मंदिर अपने आप बन जाएगा !

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माता के आदेश पर जब लाजवती ने अपने परिवार के साथ मिलकर मंदिर का निर्माण शुरू कराया तो नींव खोदते समय ज़मीन के अंदर से माता की मूर्ति निकली। इस चमत्कार के बाद मंदिर निर्माण में इस महिला भक्त का साथ देने के लिए कई लोग आगे आए और देखते ही देखते मंदिर बनकर तैयार हो गया !

जब मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू हुआ तो लाजवती ने भूमि पूजन के समय माता के चरणों में नारियल चढ़ा कर प्रार्थना की कि इस मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द हो जाए और उसी समय नारियल अपने आप चटक गया, तब से लेकर आज तक इस मंदिर में उन भक्तों के चढ़ाए नारियल चटकते है जिनकी मनोकामना पूरी होनी होती है इसी के चलते इस मंदिर को मनोकामना सिद्ध मंदिर कहा जाता है !

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