टीवी चैनलों पर दवाइयों का 'चमत्कार' बताने वालों की अब खैर नहीं, होगी कार्रवाई
लखनऊ: आजकल टीवी चैनलों, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में ऐसे विज्ञापनों की भरमार है जिसमें आयुर्वेदिक व यूनानी दवाओं के लाभ को बढ़ा-चढ़ाकर बखान किया जाता है। लोग यह विज्ञापन देखकर दवाइयां मंगाते हैं पर उसका लाभ नहीं होता। समय-समय पर ऐसी शिकायतें मिलती रही हैं। पर अब टीवी चैनलों पर इन दवाओं का चमत्कार बताने वालों की खैर नहीं।
यूपी सरकार ने ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। Drugs & Magic Remedies (Objectionable Advt.) Act,1954 (औषधि एवं चमत्कारिक उपचार आक्षेपणीय विज्ञापन अधिनियम-1954) में इसका प्रावधान है।
इन रोगों के उपचार संबंधी विज्ञापनों पर लगाई गई रोक
-महिलाओं में गर्भपात या गर्भाधान की रोकथाम संबंधी विज्ञापन।
-सेक्स संबंधी दवाओं के विज्ञापन।
-महिलाओं के मासिक धर्म के विकार में सुधार संबंधी विज्ञापन।
-किसी बीमारी के उपचार या निदान संबंधी विज्ञापन।
-इसके अलावा एक्ट के नियमों के अधीन रोगों के विज्ञापन।
औषधि निरीक्षक कार्रवाई के लिए अधिकृत
ऐसे विज्ञापनों की रोकथाम के लिए औषधि एवं चमत्कारिक उपचार आक्षेपणीय विज्ञापन अधिनियम-1954 में दी गई व्यवस्था के तहत कार्रवाई की व्यवस्था की गई है। इसके तहत राज्य के सभी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारियों समेत औषधि निरीक्षकों को अधिकृत किया गया है।
निदेशक आयुर्वेद और यूनानी सेवाओं को भी निर्देश जारी
इस सिलसिले में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष विभाग डॉ.अनिता भटनागर जैन ने 25 नवंबर को आदेश जारी किया है। इसमें निदेशक आयुर्वेद सेवाएं एवं निदेशक यूनानी सेवाएं को एक्ट का कड़ाई से पालन कराने को कहा गया है। कार्रवाई की हर माह सूचना शासन को उपलब्ध करानी होगी।