Mulayam Singh Yadav Birthday: सादगी से मनेगा नेता जी का जन्म दिन, जिलों में अर्पित किए जाएंगे पुष्पांजलि

Mulayam Singh Yadav Birthday: 'नेताजी' भले ही न रहे हों, लेकिन उनकी यादें, प्यार और स्नेह सदैव पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाता रहेगा।

Written By :  Anant kumar shukla
Update: 2022-11-21 10:43 GMT

Mulayam Singh Yadav Birthday (Social Media)

Mulayam Singh Yadav Birthday: समाजवादी पार्टी के संस्थापक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के 10 अक्टूबर, 2022 को निधन के साथ ही राजनीति के एक युग का अवसान हो गया। 'नेताजी' भले ही न रहे हों, लेकिन उनकी यादें, प्यार और स्नेह सदैव पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाता रहेगा। कल 22 नवंबर को मुलायम सिंह का 83वां जन्मदिन है। उस दिन को खास बनाने के लिए समाजवादी पार्टी और उसके कार्यकर्ता जी-जान से जुटे हैं।

नेताजी के निधन के बाद यह उनका पहला जन्मदिन होगा। समाजवादी पार्टी द्वारा इसे सादगी से मानाया जाएगा। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने न्यूजट्रैक को बताया कि इस बार नेताजी के जन्मदिन को प्रत्येक जिले में सादगी से मनाया जाएगा। जिलों में पार्टी कार्यकर्ता नेताजी को पुष्पांजली अर्पित करेंगे। कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा अस्पतालों में फल का वितरण किया जाएगा। वहीं जिला पार्टी कार्यालयों पर पूजा-पाठ के बाद भंडारे का आयोजन होगा।

सपा बच रही है किसी भव्य आयोजन से

बता दें कि नेता जी के निधन के बाद पार्टी किसी भव्य आयोजन से बच रही है। यही कारण है कि डिंपल यादव ने नेता जी की सीट मैनपुरी पर हो रहे उपचुनाव के लिए अपना नामांकन बड़े सादगी भरे तरीके से किया था। नामांकन में पार्टी द्वारा स्वागत आदि के कार्यक्रम न करने के निर्देश दिए गए थे। बता दें कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के नामांकन के बाद एक सभा का भी आयोजन किया गया था। इस बार ऐसी कोई सभा नहीं रखी गई थी।

इस बार सादगी से मनाया जाएगा 'नेताजी' का जन्मदिन

आगामी 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन है। समाजवादी पार्टी ने इस बार अपने नेता की जयंती सादगी से मनाने की योजना बनाई है। सपा प्रदेश के सभी जिलों में नेताजी का जन्मदिन मनाएगी। जिसके तहत कार्यकर्ता और पार्टी के बड़े नेता मुलायम सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इस दिन अस्पतालों में फल वितरण भी किया जाएगा। रक्तदान शिविर का भी आयोजन होगा। लखनऊ जिला कार्यालय पर पुष्पांजली अर्पित करने के बाद भंडारे का आयोजन किया जाएगा साथ ही, गरीबों में वस्त्र वितरण भी किए जाएंगे। समाजवादी पार्टी 22 नवंबर को प्रदेश के सभी जिलों में गरीबों और भूखे लोगों के बीच भोजन वितरण का प्रबंध भी करने की योजना बना चुकी है।

ऐसे थे मुलायम

मुलायम सिंह यादव समाजवादी विचारधारा के थे। 'नेताजी' ने अपने राजनीतिक जीवन में राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण और चौधरी चरण सिंह जैसी शख्सियतों के साथ काम किया था। जिसका असर ये हुआ कि उन्होंने यूपी की सियासी जमीन को समाजवाद के लिए उर्वर बनाया। अपने जवानी के दिनों में मुलायम सिंह पहलवानी किया करते थे। जब सियासत में आए तो अपना पुराना 'चरखा दांव' नहीं भूले। जब जरूरत हुई उन्होंने पॉलिटिक्स में इस दांव का भरपूर इस्तेमाल किया। तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने अपने सियासी जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, मगर अपने समर्थकों के बीच वो हमेशा 'नेताजी' ही रहे।

नाम के अनुरूप ही थे 'मुलायम'

मुलायम सिंह यादव अपने नाम के ही अनुरूप व्यक्तित्व भी रखते थे। अपने समर्थकों और विरोधियों के प्रति भी उनका 'मुलायम' रुख बाकियों से अलग करता था। यही वजह थी कि, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद बीजेपी हो या कांग्रेस या उनकी कट्टर विरोधी बसपा, सभी से मुलायम सिंह यादव के अच्छे रिश्ते बने रहे। बीते 10 अक्टूबर 2022 को उन्होंने अंतिम सांसें ली। निधन के बावजूद वो आज भी कार्यकर्ताओं के अंदर वैसे ही जिंदा हैं।

किसान परिवार में हुआ था जन्म

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर, 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में हुआ था। इनकी माता मूर्ति देवी और पिता सुघर सिंह यादव किसान थे। मुलायम कुल पांच भाई-बहन थे। नेताजी रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े थे। पिता इन्हे पहलवान बनाना चाहते थे लेकिन किस्मत में और कुछ लिखा था। अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह सिंह से प्रभावित होकर राजनीति में कदम रखे। नेता जी ने आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के बाद बी. टी. की। इसके बाद इण्टर कॉलेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए लेकिन राजनीति में सक्रीय रहने के लिए नौकरी से त्याग पत्र दे दिए। उन्होंने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया। वे 5 दिसम्बर, 1989 से 24 जनवरी, 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त, 2003 से 11 मई, 2007 तक कुल तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

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