कोरोना: स्वास्थ्य विभाग की खुली पोल, यात्रियों की स्क्रीनिंग में लापरवाही

एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना 19 से जंग लड़ रहा है। वहीं जिले के स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही अभी भी दूर नहीं हो पा रही है। लोगों की स्क्रीनिंग में लापरवाही।

Update:2020-03-22 16:46 IST

अंबेडकरनगर: एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना 19 से जंग लड़ रहा है। वहीं जिले के स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही अभी भी दूर नहीं हो पा रही है। रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान दोपहर में जब दिल्ली से आई सरजू जमुना एक्सप्रेस से भारी संख्या में लोग अकबरपुर रेलवे स्टेशन पर उतरे तो अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।

अधिशासी अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज

अकबरपुर विकासखंड के सामने लोगों की भीड़ को देख जिला अधिकारी राकेश कुमार मिश्र व पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी अपने काफिले के साथ रुक गए। उन्होंने पैदल जा रहे सैकड़ों लोगों को तुरंत सड़क के किनारे रुकने को कहा। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फोन कर तत्काल मौके पर पहुंचने व सभी लोगों की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिए।

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लेकिन जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगभग एक घंटे के बाद मौके पर पहुंचे। इस दौरान जिलाधिकारी के तेवर काफी तल्ख हो गए थे। उन्होंने दो दिन से गायब चल रहे अकबरपुर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करवाने के भी निर्देश दिए।

बिना प्रशिक्षित लोगों ने की स्क्रीनिंग

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स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की निगरानी में जैसे ही लोगों की इंफ्रारेड थर्मामीटर से स्क्रीनिंग शुरू हुई। थर्मामीटर की बैटरी बैठ गई। इसके बाद लगभग एक घंटे तक अफरातफरी का माहौल बना रहा। किसी तरह बैटरी की व्यवस्था करा कर लोगों की स्क्रीनिंग की गई। स्क्रीनिंग की व्यवस्था को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जो लोग लोगों की स्क्रीनिंग कर रहे थे वह पूरी तरह से अप्रशिक्षित थे। कारण कि कम तापमान वाले लोगों को भी उनके द्वारा भीड़ से बाहर कर दिया जा रहा था। जिसके बाद सीएमओ व सीएमएस उन्हें सामान्य बताकर बाहर भेज रहे थे।

लापरवाह स्वास्थ्य विभाग

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लगभग दो घण्टे तक चले इस तथाकथित स्क्रीनिंग के बाद लोगों को एक निजी बस व मैजिक से भेजने की व्यवस्था की गई। लेकिन न तो बस को सेनेटाइज़ किया गया था और ना ही संबंधित मैजिक को। जाहिर है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि जिले की स्थिति बिगड़ती है तो जिले का स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से हाथ खड़ा करने को मजबूर दिखेगा।

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