लखनऊ : पीएम नरेंद्र मोदी के खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) मिशन की राह तकनीकी ने आसान कर दी है। एटा के विधानसभा क्षेत्र मारहरा का गांव नगला अकोली इसका गवाह बना। एक ही दिन में इस गांव में 98 शौचालय बनें और गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। भीम एप से शौचालय के सभी लाभार्थियों को खाते में पहली किश्त ट्रांसफर की गई। जिसने इस काम को और आसान बना दिया। सांसद, विधायक समेत सभी ने जाति—धर्म के बंधनों को भुलाकर कर गांव में खिचड़ी भोज भी किया।
बीता दस दिसम्बर नगला अकोली गांव के लिए इतिहास बन कर आया। यह सब क्षेत्रीय विधायक वीरेंद्र सिंह लोधी के प्रयास से सम्भव हो सका। उन्हें जब इस बात का पता चला कि गांव में शौचालय नहीं है तो उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से बात की। उनकी पहल पर गांव को ओडीएफ बनाने के लिए ग्रामवासी भी एक साथ खड़े हो गए। फिर क्या था 500 आबादी वाले इस गांव के प्रधान राजवीर को सामानों की सूची दे दी गई जो उन्हें ग्रामीणों को उपलब्ध करानी थी। सामानों की सूची में ईंट, सीमेंट, बालू, गिट्टी, रूलर पैन, पाइप और दरवाजे शामिल थे। अगले दिन ब्लाक के प्रशिक्षित राज मिस्त्रियों और सफाई कर्मचारियों की बैठक बुलाई गई। उसी समय तय हुआ कि लाभार्थी के खाते में भीम एप के जरिए सीधे धनराशि ट्रांसफर की जाएगी। इस प्रक्रिया ने काम को और आसान बना दिया। काम शुरू होने के एक दिन पहले ही लाभार्थियों ने सोख्ता गडढा खोद कर तैयार रखा। इसके अगले दिन दस दिसम्बर की वह सुबह आई, जब योजना को अमली जामा पहनाया गया। सबसे पहले गांव में हवन पूजन कर शौचालयों के निर्माण की शुरूआत की गई। सांसद राजवीर सिंह, विधायक वीरेंद्र लोधी, डीएम अमित किशोर ने हवन में आहुतियां दीं और फिर गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया।
शौचालय का नाम ‘इज्जत घर’
शौचालय बनने के बाद ग्रामीणों की खुशी का ठीकाना नहीं था। हर शौचालय का नाम ‘इज्जत घर’ रखा गया। इसी से समझा जा सकता है कि यह शौचालय उनके लिए कितना महत्व रखते हैं। हर शौचालय के लिए रंगीन दरवाजे मंगाए गए थे। हर दरवाजे पर ‘इज्ज्त घर—दरवाजा बंद तो बीमारी बंद’ लिखा था। जिस दिन गांव में शौचालय बन रहे थे। उस दिन किसी के घर चूल्हा नहीं जला बल्कि पूरे दिन ग्रामीण इसी काम में जुटे रहे। सभी ने अपने सामर्थ्य के अनुसार चावल, घी, दाल, सब्जियां आदि गांव के खिचड़ी भोज में दी।
सांसद राजवीर सिंह और विधायक वीरेंद्र सिंह ने किया श्रमदान
इस योजना को जमीन पर उतारने में कुल 201 अनुभवी लोगों ने मिलकर काम किया। इसमें 98 प्रशिक्षित राजमिस्त्री, 78 सफाई कर्मी और नौ सचिव साथ मिलकर काम कर रहे थे। सांसद एटा राजवीर सिंह और विधायक मारहरा वीरेंद्र सिंह लोधी ने खुद गांव की सफाई और शौचालय निर्माण में श्रमदान दिया।