Meerut News: ठंड तो आ गई पर, नहीं आए बच्चों के स्वेटरजूते

Meerut News: दली व्यवस्था के तहत इस बार परिषदीय विद्यालयों में ड्रेस, स्वेटर, जूते-मौजे और बस्ते के लिए 1100 रुपये सीधे अभिभावकों के खातों में दिया जाना था।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Shraddha
Update: 2021-11-03 08:27 GMT

तमाम बच्चों को जूते-मोजे और स्वेटर नहीं मिल सके (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

Meerut News : ठंड शुरू हो गई है। लेकिन बेसिक स्कूलों (basic schools) के तमाम बच्चों को जूते-मोजे और स्वेटर नहीं मिल सके हैं, जिस गति से विभाग काम कर रहा है। उससे लगता है कि इंतजाम होने में अभी लंबा वक्त लगेगा। बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) अभी तक 80 फीसदी डाटा का ही सत्यापन कर पाया है। सत्यापन के बाद ही खातों में पैसा पहुंचेगा।

स्थानीय विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रत्येक छात्र के अभिभावक के बैंक खातों को लिंक किया जाना था। प्रेरणा एप (Prerna App) पर अपलोड करने का काम करीब 80 फीसदी से अधिक हो चुका है। इस अधिकारी के अनुसार पीएफएमएस (PFMS) से अपलोड करने के बाद खातों की बैंक द्वारा जांच की जाती है। यह प्रक्रिया अगले महीने तक पूरी होने की उम्मीद है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही छात्र-छात्राओं को जूते-मोज़े ,स्वेटर और यूनिफार्म मिल सकेगी।

नहीं आए बच्चों के स्वेटर, जूते (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेन्द्र कुमार (District Basic Education Officer Yogendra Kumar) का कहना है कि बच्चों के अभिभावकों के खाते में सरकार द्वारा पैसा जमा कराया जाना है। क्योंकि अभी खातों की बैंक जांच पूरी नही हो सकी है। इसलिए पैसा खाते में पहुंचना शुरु नहीं हुआ है। जैसे ही जांच पूरी हो जाएगी। बच्चों के अभिभावकों के खाते में पैसा पहुंचना शुरु हो जाएगा। जनपद में परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक करीब 1.29 लाख बच्चे हैं। अधिकतर बच्चे संसाधन विहीन हैं।

बता दें कि बदली व्यवस्था के तहत इस बार परिषदीय विद्यालयों में ड्रेस, स्वेटर, जूते-मौजे और बस्ते के लिए 1100 रुपये सीधे अभिभावकों के खातों में दिया जाना था। इसके लिए विद्यालय स्तर से डीबीटी (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) एप पर अभिभावकों का डाटा अपलोड किया जाना था। सितंबर तक खाते में पैसा पहुंचना था, लेकिन अभी तक आधे से ज्यादा अभिभावकों के खातों का डाटा डीबीटी एप पर सत्यापित नहीं हो पाया है। ऐसे में बच्चों के ड्रेस का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। नई व्यवस्था होने से अभिभावकों और शिक्षकों दोनों को परेशानी हो रही है। इससे पहले तक स्कूल बच्चों को ड्रेस खरीद कर देते थे। इसमें तमाम शिकायतों को देखते हुए विभाग ने नई व्यवस्था लागू की है।

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