लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाने वाले यश भारती पुरस्कार को संस्पेंड आईपीएस ऑफिसर अमिताभ ठाकुर ने शनिवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में चुनौती दी है।उन्होंने नाम के चयन में सरकार द्वारा मनमानी करने और अपने लोगों को पुरस्कृत किए जाने का आरोप लगाया है।
अपनी याचिका में अमिताभ ठाकुर ने कहा कि यश भारती पुरस्कारों में कई ऐसे नाम हैं जिनसे उनके सामाजिक क्षेत्र में किए गए कार्य निश्चित रूप से श्रेष्ठतर हैं, लेकिन स्थवी अस्थाना, इकबाल अहमद सिद्दीकी, वजीर अहमद खान, चक्रेश जैन सहित तमाम ऐसे नाम हैं जिनकी सार्वजनिक उपलब्धियों के संबंध में पूरे इंटरनेट पर लगभग शून्य प्रायः जानकारी है।
अमिताभ ने कहा है कि जिस प्रकार पहले चुपके-चुपके 22 नाम घोषित किए गए और बाद में एक बार 12 और दुबारा 12 नाम बढ़ाकर कुल 46 नाम कर दिए गए हैं, उससे साफ जाहिर हो जाता है कि ये पुरस्कार मनमाने तरीके से दिए जा रहे हैं।
सीएस की पत्नी को कैसे मिल सकता है पुरस्कार
अपनी याचिका में अमिताभ ठाकुर ने कहा कि स्वयं मुख्य सचिव आलोक रंजन की पत्नी सुरभि रंजन को यह पुरस्कार दिया जाना सीधे-सीधे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है और इन पुरस्कारों की विश्वसनीयता को समाप्त कर देता है। इसी प्रकार तमाम ऐसे नाम हैं जो स्पष्टतया इस योग्य नहीं हैं कि उन्हें ये पुरस्कार दिए जाएं।
बिना किसी प्रक्रिया के इतनी बड़ी राशि और पुरस्कार दिया जाना गलत है
याचिका के अनुसार इस प्रकार बिना किसी सम्यक प्रक्रिया के 11 लाख रुपए का पुरस्कार और 50 हजार रुपए प्रति माह का पेंशन दिया जाना स्थापित प्रशासनिक सिद्धांतों के विरुद्ध है और मनमानेपन की निशानी है। अतः उन्होंने इस पुरस्कार को रद्द करते हुए नियमानुसार अवार्ड देने की प्रार्थना की है।