Prayagraj: 10 फरवरी से चलेगा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान, CMO बोले- जिले की 80% आबादी पर खतरा, दवा से ही जीत संभव

Prayagraj News: प्रयागराज के 13 ब्लॉक में 10 फरवरी से 28 फरवरी तक फाइलेरिया से बचाव के लिए ट्रिपल ड्रग थेरेपी (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अपने सामने कराएंगी।

Report :  Syed Raza
Update: 2024-01-29 13:31 GMT

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की जानकारी देते अधिकारी (Social  Media) 

Prayagraj News: प्रयागराज के 13 ब्लॉक में आगामी 10 फरवरी से 28 फरवरी तक फाइलेरिया से बचाव के लिए ट्रिपल ड्रग थेरेपी (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा। अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अपने सामने कराएंगी। दवा खिलाने के तुरंत बाद उंगली पर निशान भी बनाया जाएगा, ताकि सभी तक दवा का सेवन सुनिश्चित किया जाए। ट्रिपल ड्रग थेरेपी में आइवेर्मेक्टिन, डीईसी और एल्बेण्डाज़ोल की गोली उम्र और ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी।

तैयारियां पूरी, अब जागरूकता है जरूरी

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आशु पांडे (CMO Dr. Ashu Pandey) ने बताया कि 'देश में 74 करोड़ भारतीयों को फाइलेरिया (What is Filariasis) का खतरा है। इस नजरिए से देखें तो जिले में 80 फीसदी आबादी पर फाइलेरिया का खतरा है। पूरी तरह से स्वस्थ दिखने वाला व्यक्ति भी फाइलेरिया का ए सिम्टोमैटिक मरीज हो सकता है। फाइलेरिया के लक्षण दिखने में पांच से 15 वर्ष लगते हैं, इसलिए अपने आपको फाइलेरिया से पूरी तरह सुरक्षित न समझें। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इससे बचना है तो दवा का सेवन बेहतर विकल्प है। साल में एक बार कम से कम तीन वर्ष तक लगातार फाइलेरिया रोधी दवा सभी लोग खाएंगे तभी फाइलेरिया से जीतना संभव है।'

10 फरवरी से फाइलेरिया के विरुद्ध अभियान 

उन्होंने बताया कि, 'प्रयागराज जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने के उद्देश्य से आईडीए चलेगा। इसलिए सभी 10 फरवरी की तारीख याद रखें। इस अभियान के अंतर्गत लक्षित आबादी में सभी लोग दवा खाएं। इसके प्रति जन जागरुकता बढ़ाने को लेकर हम हर स्तर पर काम कर रहे हैं। इसके लिए सभी स्टेक होल्डर्स को प्रशिक्षण दिया गया है। इस अभियान को सफल बनाने में स्टेक-होल्डर जैसे ग्राम प्रधान, कोटेदार, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा, रोजगार सेवक और समूह सखी अहम भूमिका निभाएंगे। यह अपने क्षेत्र में सामुदायिक बैठक कर लोगों को आईडीए के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सीफार संस्था के सहयोग से  कौंधियारा एवं सैदाबाद ब्लॉक के सभी गांव में पेशेंट प्लेटफार्म बनाकर सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) के संबंध में मरीजों और क्षेत्र के लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही, अभियान में पाथ व पीसीआई संस्था का भी सहयोग लिया जा रहा है। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में विभाग की ओर से 609  पर्यवेक्षक व 27 रैपिड रिस्पांस टीम भी लगाई गई है।'

इन जिलों में चलेगा आईडीए अभियान

जिला मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि 'आईडीए अभियान जिले के 13 ब्लॉक धनु पुर, हंडिया, कोटवा, कोरांव, प्रतापपुर, रामनगर, सैदाबाद, बहरिया, होलागढ़, कौडिहार, कौंधियारा, मेजा व सोरांव में चलेगा।अभियान को सफल बनाने के लिए जिलाधिकारी की निगरानी में जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक व जनपद स्तरीय प्रशिक्षण संपन्न हो चुका है। साथ ही पांच ब्लॉक में टास्क फोर्स की बैठक भी पूरी हो गई है। उन्होंने बताया कि, फाइलेरिया उन्मूलन के तहत पिछले साल जनपद में चलाये गए ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (टास) में 8 ब्लॉक  पास हो चुके हैं। साथ ही नगर की 23 पीएचसी टास को पास करे चुके हैं। इसलिए इन क्षेत्रों में आईडीए अभियान नहीं चलेगा।'

पूरी तरह सुरक्षित है दवा

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. परवेज अख्तर ने बताया कि, 'फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है की उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। ऐसे किसी भी लक्षण से घबराएं नहीं क्योंकि यह लक्षण कुछ समय के बाद स्वतः ठीक हो जाते हैं। इस दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति और गर्भवती को नहीं करना है। हृदय रोग, कैंसर जैसी बीमारियों को ही गंभीर बीमारी की श्रेणी में माना जाता है। बीपी, शुगर, थायराइड और कोलेस्ट्रॉल के मरीज इन दवाओं का सेवन कर सकते हैं। इन दवाओं का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।'

इसका सम्पूर्ण इलाज नहीं

पाथ संस्था के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. शाश्वत ने बताया कि, 'फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जिसे हाथी पांव भी कहा जाता है। फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ और पैर या हाइड्रोसील (अंडकोष) में सूजन का होना है। समय से पहचान होने पर हाइड्रोसील का सफल इलाज संभव है,लेकिन  शरीर के अन्य हिस्सों में  यह बीमारी हो जाने पर इसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो पाता है। रोग से प्रभावित अंग के साफ सफाई और व्यायाम से इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे में अगर आईडीए अभियान के दौरान  तीन साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया जाए तो इस गंभीर बीमारी से हमेशा के लिए बचा जा सकता है। संक्रमण से बचने के लिए घर के आसपास साफ सफाई करना और मच्छरों से बचाव के सभी उपायों को अपनाना जरूरी है।

जिले में कुल 2228 फाइलेरिया मरीज  

फाइलेरिया इंस्पेक्टर संतोष सिंह ने बताया कि 'जिले में लिम्फोडिमा  के 1294 व 926 हाइड्रोसील के मरीज हैं। 758 हाइड्रोसील मरीजों की सफल सर्जरी हो चुकी है और वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। लिम्फोडिमा के मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा एमएमडीपी किट दी जाती है। प्रभावित अंग के साफ सफाई और व्यायाम का तरीका भी सिखाया जाता है।'

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