MahaKumbh 2025: सीएम योगी की मंशा के अनुरूप जन मन का आयोजन बना महाकुंभ

MahaKumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे दिव्य और पवित्र महाकुंभ में आम लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में आज बाबा रामदेव और सीएम योगी आदित्यनाथ महाकुंभ पहुंचे।;

Newstrack :  Network
Update:2025-01-27 16:48 IST

CM Yogi and Baba Ramdev did Yoga (Photo: Social Media)

MahaKumbh 2025: तीरथराज प्रयाग का महाकुंभ जन मन का महापर्व बन चुका है। अपवाद छोड़ दें तो हर कोई एक-दूसरे का हर संभव सहयोग कर रहा है। बिना पूछे भी। प्रशासन की तो खैर हर जगह प्रभावी उपस्थित है ही। हमारे सनातन धर्म का हर आयोजन, जन मन का आयोजन बने। स्थानीय लोगों के अलावा बाकी लोग भी उस जगह और आयोजन का अपने संभव सहयोग के जरिये ब्रांड एंबेसडर की भी भूमिका निभाएं। यही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा भी है। इसी मानसिकता से पर्यटन जन उद्योग बनेगा। विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ इसका बहुत बड़ा अवसर बन रहा है।

फाफामऊ से सिविल लाइंस

शुरुआत फाफामऊ से करते हैं। लखनऊ की बस फाफामऊ के बेला कछार में उतार देती है। रात होने को थी। उतरकर एक राहगीर से पूछता हूं। भैया ये कौन सी जगह है। सिविल लाइंस जाना है। जवाब मिला, बेला कछार फाफामऊ। यहां से आपको सिविल लाइंस के लिए ऑटो मिल जाएंगे। सामने कुछ ऑटो दिख भी रहे थे। पास जाकर एक से अभी मोलभाव ही कर रहा था कि दूसरा आटो वाला रुका। उसने कहा सामने 200 कदम आगे पानी की टंकी के उस पार सड़क पर खड़ी हर ऑटो सिविल लाइंस ही जाएगी। 30 रुपए किराया है। उससे ज्यादा नहीं देना है। योगी सरकार ने यही रेट निर्धारित किया है।

योग करते बाबा रामदेव और योगी आदित्यनाथ

महाकुंभ में सिविल लाइंस होते हुए महाकुंभ में डेरे तक पहुंचते-पहुंचते रात हो गई। हाथ मुंह धोकर निकल पड़े मानवता के इस महासमागम का हिस्सा बनने। संगम नोज पर एक सज्जन मिले। बिहार से थे। उन्होंने यूं ही पूछ लिया, संगम नहाना है। मैंने हां में जवाब दिया तो वह वहां तक जाने का पूरा प्रोसिजर बता गए। मसलन, नाव कहां से मिलेगी। किराया क्या होगा। सब एक सांस में। साथ ही यह भी कहा, भाई साहब बिना संगम स्नान के मत जाइयेगा। खैर घूम फिरकर देर रात अपने डेरे में आ गया।

दूसरे दिन सुबह सबेरे

दूसरे दिन सुबह सेक्टर चार से निकल कर पास स्थित वीआईपी घाट पर पहुंचा। संगम स्नान के इरादे से। अच्छी खासी भीड़ थी। प्रोटोकॉल वालों को भी प्रतीक्षा करनी पड़ रही थी। यहां भी अनायास एक सज्जन टकरा गए। पूछा? आप तो रुके होंगे। मैंने जवाब हां में दिया। फिर उन्होंने कहा, भाई साहब प्रोटोकॉल वालों के पास तो समय नहीं होता। उनको नहा लेने दीजिए। आप भी बिना नहाए मत जाएगा। भले शाम हो जाय। मैने कहा जरूर। आया ही उसी मकसद से हूं। करीब घंटे भर बाद अपनी भी बारी आ गई। संगम में स्नान-ध्यान के बाद इत्मीनान से कुंभ देखा। शाम तक यह सिलसिला चलता रहा। डेरे में आकर थोड़ा आराम और भोजन के बाद देर रात फिर मानवता के इस सबसे बड़े समायोजन को देखने निकल पड़ा।

योग करते बाबा रामदेव और योगी आदित्यनाथ

महाकुंभ कभी सोता नहीं

सेक्टर चार से निकलकर किला घाट पहुंचा। वहां से यमुना के पक्के घाट पर। रास्ते से लेकर घाट तक चहल-पहल। रौशनी में किला अद्भुत लग रहा था। घाट से अरैल का जगमग इलाका किसी दूसरी दुनिया का अहसास करा रहा था। घाट पर लोग मौजूद लोग इस मनमोहक तस्वीर को मोबाइल कैमरों में कैद कर रहे थे। कुछ युवा उस रात में भी यमुना में डुबकी भी लगा रहे थे। रह रहकर पुलिस की गाड़ियों से बजते हुए हूटर मानों यह कह रहे थे, बेफ्रिक रहें, हम हैं। यही तो योगी जी भी सबसे कहते हैं। हर नागरिक की सुरक्षा हमारी गारंटी है। यह गारंटी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के महाकुंभ में भी दिख रही है। और, लोग उस पर मुकम्मल भरोसा भी कर रहे हैं। वाकई अदभुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय है ये महाकुंभ।

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