Mahakumbh 2025: अंतरिक्ष से दिखा महाकुंभ का भव्य नजारा, ISRO ने दिखाई तस्वीरें, उड़ जायेंगे होश

Mahakumbh 2025: ISRO ने महाकुंभ मेला की शानदार सैटेलाइट तस्वीरें जारी की, जो आस्था, संस्कृति और आध्यात्म के इस अद्वितीय संगम को अंतरिक्ष से दर्शाती हैं।;

Newstrack :  Network
Update:2025-01-23 08:30 IST

Mahakumbh 2025: ISRO Reveals Majestic Satellite Images (Photo: ISRO/X) 

Mahakumbh 2025: महाकुंभ, जो सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और आध्यात्म का अद्वितीय संगम है, इस बार अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में महाकुंभ मेला की तस्वीरें जारी की हैं, जो दिखाती हैं कि यह भव्य आयोजन अंतरिक्ष से कैसा नजर आता है। 


ISRO की उपग्रह तस्वीरें

ISRO द्वारा जारी की गई ये तस्वीरें EOS-04 (RISAT-1A) ‘C’ बैंड माइक्रोवेव सैटेलाइट से ली गई हैं। ये तस्वीरें महाकुंभ मेला क्षेत्र की टेंट सिटी, पंटून पुलों के नेटवर्क और सहायक बुनियादी ढांचे के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं। ISRO ने 15 सितंबर 2023 और 29 दिसंबर 2024 के बीच के बदलावों को दिखाने वाली इन तस्वीरों के जरिए महाकुंभ की भव्यता को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है। 


सैटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीरों में प्रयागराज में स्थित भारत के आकार वाले शिवालय पार्क का निर्माण दिखाई दे रहा है, जो 12 एकड़ क्षेत्र में फैला है और इसे प्रमुख आकर्षण के रूप में डिज़ाइन किया गया है। तीन अलग-अलग तारीखों पर ली गई इन तस्वीरों में इस महत्वपूर्ण स्थल के निर्माण की प्रक्रिया को दर्शाया गया है। 


दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन

महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस बार का महाकुंभ विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 144 साल बाद ग्रहों के दुर्लभ संयोग में हो रहा है। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर आयोजित इस महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु, साधु और पर्यटक शामिल हो रहे हैं। इस बार 1.6 लाख टेंट और 50,000 दुकानें मेले के लिए स्थापित की गई हैं।


आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम

महाकुंभ में श्रद्धालु अपनी चिंताओं को भूलकर संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं, जो इसे एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव बनाता है। ISRO की यह तस्वीरें महाकुंभ की भव्यता और इसके आयोजन की कठिनाइयों को भी उजागर करती हैं, जिससे यह साबित होता है कि महाकुंभ सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समागम का अद्वितीय उदाहरण है।

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