Atiq Ahmad Death: मेन बात गुड्डू मुस्लिम... और तड़तड़ाने लगीं गोलियां, अतीक के साम्राज्य की भयावह कहानी के अंत को पूरा हुआ एक साल
Atiq Ahmad Death: आज ही के दिन 9 बजकर 15 मिनट पर यूपी का बेखौफ माफिया अतीक अहमद मी़डिया कैमरे के सामने गोलियों से छलनी होकर जमीन पर गिर पड़ा था।
Atiq Ahmad Death: आज ही के दिन शाम करीब 9 बजे यूपी का बेखौफ माफिया अतीक अहमद मीडिया के कैमरे के सामने गोलियों से छलनी होकर जमीन पर गिर पड़ा था। उस दिन अतीक अहमद के साथ उसका साढ़े तीन दशक का अपराधिक साम्राज्य भी मिट्टी में मिल गया था। आज अतीक अहमद की मौत को पूरा एक साल हो गया है। आज भी माफिया अतीक के जुर्म की दास्तां सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती है। अतीक अहमद के अपराधों की तरह उसके जीवन के पन्ने भी जुर्म की काली स्याही से रंगे हैं। आईए माफिया अतीक अहमद की पहली बरसी पर उसके जीवन से जुड़े कुछ काले पन्नों पर नजर डालते हैं...
अतीक की हत्या को हुआ एक साल
15 अप्रैल 2023, शाम 9 बजकर 15 मिनट पर प्रयागराज के काल्विन हॉस्पिटल में पुलिस कस्टडी में ही माफिया अतीक अहमद और उसके भाई को अशरफ को तीन शूटरों ने गोली से भून दिया था। जिसके बाद यूपी सरकार अतीक के गैंग को पूरी तरह नष्ट करने की दिशा में काम कर रही है।
पहली बार चुनाव से दूर है अतीक का परिवार
देश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। लेकिन शायद ही किसी ने ध्यान दिया होगा कि इस चुनाव में इस बार माफिया अतीक अहमद का कोई जिक्र नहीं है। पिछले 35 सालों में पहली बार अतीक का परिवार चुनाव से बाहर है। अतीक के साथ अतीक का पूरा परिवार भी गुनाहों की दलदल में सना हुआ है। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीर साल भर से फरार है। पुलिस शाइस्ता को जगह-जगह तलाश कर रही है।
17 साल की उम्र में की थी पहली हत्या
साल 1962 में एक तांगे वाले के परिवार में पैदा हुआ माफिया अतीक अहमद का अपराधिक सफर 44 साल का था। अतीक 10वीं फेल था। महज 17 साल की आयु में ही अतीक अहमद का नाम हत्या जैसे अपराध में आने लगा था। धीरे-धीरे वह राज्य में कई गैंगस्टरों का नेटवर्क चलाने लगा। यूपी में अतीक का दबदबा काफी बढ़ गया था। साल 1989 में अपराधों की दुनिया में जब उसका सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी शौकत इलाही पुलिस मुठभेड़ में मारा गया, तो वह अंडरवर्ल्ड का निर्विवाद बादशाह बन बैठा। इसके बाद खुद को कानून से बचाने के लिए अतीक अहमद ने राजनीति में एंट्री कर ली थी। पहली बार अतीक अहमद ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीता भी था।
सपाकाल में फला-फूला था अतीक का साम्राज्य
अतीक अहमद पांच बार विधायक और सपा के टिकट पर सांसद रह चुका था। राजनीति में भी लंबे समय तक सक्रीय रहने के बाद भी अतीक अहमद गुनाहों का बादशाह बना रहा। अपना दबदबा बढ़ाने के लिए अतीक अहमद साल 2004 में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के संरक्षण में आ गया। साल 1996 में पहली बार अतीक ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। सपाकाल में ही अतीक अहमद का साम्राज्य ज्यादा फला-फूला था। हालांकि बाद में सपा के साथ उसकी दूरी बन गई थी और वह अपना दल के साथ जुड़ गया था। उसने आखिरी बार साबरमती जेल से ही वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
पहेली बनी हुई है माफिया की मौत
हालांकि आज भी अतीक अहमद की मौत सभी के लिए एक पहली बनी हुई है। अतीक की हत्या के बाद यूपी पुलिस ने मौके से तीन शूटरों को गिरफ्तार किया था। लेकिन इन शूटरों के पास अतीक की मौत करने की कोई ठोस वजह नहीं थी। तीनों शूटरों के पास से विदेशी हथियार बरामद हुए थे, जो इस बात का संकेत करती हैं कि हत्या की रूपरेखा पहले से तैयार की गई थी और पर्दे के पीछे से किरदार कोई और निभा रहा था। इस संबंध में कोर्ट में साल भर से ट्रायल केस भी चल रहे हैं।