बरेली: भोजीपुरा हॉस्पिटल स्टाफ ने एक गर्भवती को इसलिए भर्ती करने से इंकार कर दिया क्योंकि उसके पास रिश्वत देने के लिए पूरे पैसे नहीं थे। प्रसव पीड़ा से महिला तड़पती रही और उसने सड़क किनारे ही बच्ची को जन्म दे दिया।
हद तब हो गई जब जच्चा और बच्ची को फिर हॉस्पिटल लाया गया तो डॉक्टरों ने यह कहते हुए देखने से इंकार कर दिया कि प्रभारी डॉक्टर के आदेश के बिना भर्ती नहीं करेंगे।
क्या है मामला?
-जननी सुरक्षा योजना वसूली का हथकंडा बनकर सामने आई है।
-प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती सीएचसी पहुंची तो उससे 500 रूपए मांगे गए।
-पति गिड़गिड़ाया कि पत्नी की हालत ठीक नहीं, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई।
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-उसे जिला हॉस्पिटल के लिए रेफर करने की स्लिप थमा दी गई।
-गरीब परिवार के पास जिला हॉस्पिटल तक जाने के पैसे नहीं थे।
-गर्भवती ने सड़क किनारे ही बच्ची को जन्म दे दिया।
-राहगीरों ने लखनऊ फोन कर एंबुलेंस बुलाई शायद सीएचसीवाले मान जाएं।
-पति दोनों को लेकर फिर सीएचसी पहुंचा लेकिन स्टाफ ने देखने से इंकार कर दिया।
-कहा गया कि डॉक्टर के आदेश के बिना भर्ती नहीं करेंगे और वह मीटिंग में गए हैं।
-डेढ़ घंटे इंतजार के बाद फिर परिवार जच्चा और बच्चा को लेकर घर लौट गया।
बताई गई थी हीमोग्लोबिन की कमी
-मंगलवार को सुबह आशा बहू किरन और मीना को सीएचसी भोजीपुरा ले आईं।
-डॉक्टर और स्टाफ नर्स ने उन्हें बरेली जिला हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया।
-दोनों का हीमोग्लोबिन कम होने का हवाला दिया गया।
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-आशा बहू मीना को लेकर एंबुलेस से जिला हॉस्पिटल चली गई।
-रामपाल पत्नी किरन को लेकर टेंपो से आठ किमी दूर नैनीताल रोड पर आ गया।
-साढ़े 12 बजे उसे दर्द उठा तो रामपाल ने उसे सड़क किनारे लिटा दिया।
-आधे घंटे बाद उसने बेटी को जन्म दिया।
मांगे गए थे 500 रूपये
-चाची सुनीता ने कहा कि सुबह साढ़े दस बजे वह हॉस्पिटल पहुंची।
-11 बजे एक लेडी डॉक्टर आई और पांच सौ रूपए मांगे।
-हमने रूपए नहीं होने की बात कही तो बरेली जाने को कह दिया गया।
-बरेली जाकर ज्यादा रूपए न मांग ले, इसलिए वहां नहीं गए।
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जांच के बाद होगी कार्रवाई
-सुपरवाइजर शांता के मुताबिक किरन ने जनवरी में जांच कराई तो हीमोग्लोबिन कम था।
-उसका मुंह पीला पड़ गया था, इसलिए उसे जिला हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया।
-लेडी डॉक्टर नहीं है। स्टाफ नर्स इतना बड़ा रिस्क कैसे उठा सकती है।
-स्वास्थ और परिवार कल्याण के निदेशक डा.सुबोध शर्मा ने कहा कि सुरक्षित प्रसव सरकार की प्राथमिकता में है।
-यह बहुत गंभीर मामला है। पहले जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी।
अस्पातल ने दी सफाई
-डॉ. सौरभ सिंह के मुताबिक गर्भवती महिला का हीमोग्लोबिन 8 ग्राम पाया गया।
-प्रसव के बाद खून चढ़ाने और कोई दिक्कत न हो इसके लिए रेफर किया गया।
-102 और 108 बुलाने की ड्यूटी हमारी नहीं है। वह लखनऊ से देखी जाती है।
-परिजन प्रसव होने के बाद महिला को फिर हॉस्पिटल लेकर आए थे।
-महिला को भर्ती भी किया गया लेकिन तीमारदार उसे ले गए।
नहीं मिलेगा पीड़िता को जननी सुरक्षा योजना का लाभ
-डा.सौरभ सिंह ने कहा कि इमरजेंसी ड्यूटी पर डॉ. अमित थे।
-प्रसव हॉस्पिटल के बाहर हुआ है इसलिए प्रसूता को जननी सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
-लिखित शिकायत मिली तो दोषियों के खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
-सीएचसी पर लेडी डॉक्टर की तैनाती नहीं है।
-डिलीवरी का काम स्टाफ नर्स और एचबी शांता दत्ता देखती हैं।
योजना के तहत मिलनेवाले पैसों की होती है बंदरबांट
-अगर कहा जाए कि जननी सुरक्षा योजना का मतलब 1400 रुपए.. तो गलत नहीं होगा।
-ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में प्रसव होने पर योजना के तहत जननी को चेक मिलता है।
-सीएचसी लानेवाले से लेकर इलाज करनेवाले तक की इस धन पर निगाह रहती है।
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देर रात सीएचसी पहुंच गए सीएमओ, मचा हड़कप
-गर्भवती महिला का प्रसव सड़क पर होने की सूचना देर शाम सीएमओ को मिली।
-रात करीब साढ़े नौ बजे के बाद डॉ विजय यादव भोजीपुरा सीएचसी पहुंच गए।
-यहां स्टाफ नर्स और लेडी हेल्थ वर्कर को नोटिस जारी किया गया है।
-सीएमओ ने निरीक्षण में पाया कि स्वास्थ्य केंद्र पर चादर गंदी थी।
-सीएमओ ने गर्भवती महिला से जुड़े मामले पर पूछताछ की।
-सीएमओ के मुताबिक आशा अपने साथ दो महिलाओं को लेकर आई थी।
-दोनों का हीमोग्लोबिन चेक करने के बाद बरेली जिला हॉस्पिटल रेफर किया गया।
एक साल से क्यों नहीं हो रही तैनाती
-भोजीपुरा सीएचसी में एक साल से लेडी डॉक्टर का पद खाली है।
-लोगों की शिकायत के बावजूद तैनाती नहीं हो रही है।
-डॉ.सौरभ सिंह यह कहकर जिम्मेदारी से बच रहे हैं कि मामला सीएमओ साहब के संज्ञान में है।
-लोगों का आरोप है कि लेडी डॉक्टर के न होने का बहाना कर उन्हें रेफर कर दिया जाता है।
-कई बार तो मिठाई के नाम पर वसूली की जाती है।