Prayagraj News: ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ASI सर्वेक्षण व वाराणसी जिला कोर्ट की कार्यवाही पर रोक, पढ़ें पूरी खबर

इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी खबर आ रही है जहां विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन विवाद पर आज हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Raj
Update: 2021-09-09 14:33 GMT

ज्ञान वापी मस्जिद व काशी विश्वनाथ मंदिर (फाइल फोटो-सोर्स-सोशल मीडिया)

Prayag Raj News:  इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी खबर आ रही है जहां विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन विवाद पर आज हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एएसआई सर्वेक्षण के आदेश पर रोक लगा दी है। वहीं कोर्ट ने इस मामले पर वाराणसी जिला कोर्ट में होने वाली कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है। अब देखना ये होगा कि इस पर दोनों पक्षों कि क्या प्रतिक्रिया रहती है और उनका अगला फैसला क्या होता है। इस फैसले से मुस्लिम समाज के लिए थोड़ी राहत की खबर जैसी है तो हिंदू पक्ष इस फैसले से असंतुष्ट हो सकते हैं।

जानिए क्या था मामला


ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी, फाइव फोटो सोर्स-सोशल मीडिया


ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण की याचिका पर सिविल जज सीनियर डिवीजन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में गत 2 अप्रैल को बहस पूरी हुई थी। दिसंबर 2019 में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज की अदालत में स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से एक आवेदन दायर किया था, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पूरे ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने ख़ुद को भगवान विश्वेश्वर के 'वाद मित्र' के रूप में याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था। हालांकि पहली बार 1991 में वाराणसी सिविल कोर्ट में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी।

जनवरी 2020 में ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन यानी अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद और परिसर का एएसआई द्वारा सर्वेक्षण कराए जाने की माँग पर प्रतिवाद दाख़िल किया। याचिकाकर्ता रस्तोगी ने दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण लगभग क़रीब दो हज़ार साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने कराया था, लेकिन मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब ने साल 1664 में मंदिर को नष्ट कर दिया था। विजय शंकर रस्तोगी कहते हैं, "इसके अवशेषों का इस्तेमाल मस्जिद बनाने के लिए किया था जिसे मंदिर भूमि पर निर्मित ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। हमने वास्तविकता जानने के लिए अदालत से पूरे परिसर का सर्वेक्षण कराने के निर्देश देने की अपील की थी।"

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