Sonbhadra News: कोयला आयात न करने वाले बिजली घरों का घटेगा घरेलू कोटा, एआइपीईएफ ने जताई आपत्ति
Sonbhadra News: कोयला खदानों के मुहाने पर स्थित बिजलीघरों सहित अन्य पर आयातित कोयला खरीद के लिए बनाए जा रहे दबाव को लेकर सरकार और ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के बीच गतिरोध की स्थिति बनने लगी है।
Sonbhadra News: कोयला खदानों के मुहाने पर स्थित बिजलीघरों सहित अन्य पर आयातित कोयला खरीद के लिए बनाए जा रहे दबाव को लेकर सरकार और ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के बीच गतिरोध की स्थिति बनने लगी है। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय की तरफ से जारी ताजा फरमान में जहां कोयला आयात के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू न करने वाले बिजलीघरों को मिलने वाले घरेलू कोयले के आवंटन में 30 प्रतिशत कटौती की चेतावनी दी गई है।
वहीं ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे केंद्र सरकार पर, राज्यों के उपर बेजा दबाव डालने की कोशिश बताया है। अपनी मांग दोहराते हुए कहा है कि कोयला संकट में राज्य के बिजली उत्पादन गृहों का कोई दोष नहीं है। इसलिए कोयला आयात का अतिरिक्त खर्च केंद्र सरकार को वहन करना चाहिए।
बताते चलें कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय की तरफ से गत एक जून को जारी निर्देश में कहा गया है कि राज्यों के जिन बिजली घरों ने तीन जून तक कोयला आयात करने के टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ नही कर दी है अथवा आयातित कोयले के लिए कोल इंडिया को इंडेंट नही दिया है, उनके डोमेस्टिक कोयले के आवंटन में सात जून से कटौती कर उन्हें आवंटन का 70 प्रतिशत कोयला ही दिया जायेगा।
आदेश में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि कोयला आयात न करने पर ऐसे बिजली घरों के डोमेस्टिक कोयला आवंटन में और कटौती करते हुए 15 जून से उन्हें आवंटन का 60 प्रतिशत ही कोयला दिया जायेगा। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने जारी निर्देश को मनमाना बताते हुए बयान जारी कर, देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आम जनता के हित मे इसका प्रबल विरोध करने की मांग की है।
बताते चलें कि कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों जैसे तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल, हरियाणा ने कोयला आयात न करने का निर्णय लिया है। शैलेंद्र दूबे ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार अप्रैल तक यह दावा करती रही कि कोल इंडिया का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है। कोयले का कोई संकट नहीं है। वहीं अब इसके उलट राज्य के ताप बिजली घरों पर कोयला आयात के लिए दबाव बनाते हुए, कोयला आयात कार्यक्रम को 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया है।
कहा कि यह जानते हुए भी कि राज्यों के अधिकांश ताप बिजली घर आयातित कोयले के लिए डिजाइन नही किए गए हैं, कोयला आयात के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जबकि ऐसे बिजलीघरों में आयातित कोयला ब्लेंड करने से इनके ब्वायलर में ट्यूब लीकेज की समस्या बढ़ जाएगी। शैलेंद्र दुबे का कहना है कि कोयला संकट की एक बड़ी वजह रेलवे रेक में कमी के रूप में सामने आई है।
ऐसे में बंदरगाहों तक आने वाले आयातित कोयले को, कई हजार किलोमीटर दूर स्थित ताप बिजली घरों तक किस तरह पहुंचाया जाएगा, इसके बादे में भी केंद्रीय विद्युत मंत्री को विचार करना चाहिए। फेडरेशन का कहना है कि मौजदा कोयला संकट केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों बिजली, कोयला और रेल के आपसी समन्वय की भारी कमी के कारण पैदा हुआ है।
इसलिए राज्यों पर कोयला आयात के लिए दबाव बढ़ाने की बजाय, घरेलू कोयले के परिवहन के लिए रेल रैक में बढ़ोत्तरी की जाए या फिर आयातित कोयले का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार स्वयं वहन करे।