Sonbhadra: वनकर्मियों के नाते-रिश्तेदार गटक गए पौधरोपण के लाखों रुपये, 173 वर्ग किमी सिमटे जंगल

Sonbhadra: वन विकास के तहत पौधरोपण के लिए आई करोड़ों की धनराशि का एक बड़ा हिस्सा वनकर्मियों के सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली और वाराणसी में रिश्तेदारों द्वारा गटके जाने से हड़कंप मच गया;

Update:2022-06-05 16:43 IST

वनकर्मियों के नाते-रिश्तेदार गटक गए पौधरोपण के लाखों रुपये। 

Sonbhadra: आज पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है। बारिश में ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण को लेकर ढेरों कार्ययोजनाएं बनाई गई हैं। धरती को हरा-भरा रखने के अनगिनत संकल्प भी दिलाए जा रहे हैं।...लेकिन एफएसआई (फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया) की तरफ से वनों को लेकर किए गए सर्वे में जो हालिया रिपोर्ट आई हैं, उसमें पूर्वांचल के सर्वाधित वन क्षेत्र वाले जनपद (सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली) में महज दो सालों के भीतर 173 वर्ग किमी तक जंगल के सिमटने की दी गई जानकारी ने हर किसी के होश उड़ा रखे हैं। वहीं वन विकास के तहत पौधरोपण के लिए आई करोड़ों की धनराशि का एक बड़ा हिस्सा वनकर्मियों के सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली और वाराणसी निवासी नात-रिश्तेदारों द्वारा गटक लिए जाने की, हो रही शिकायत और इसको लेकर लगाए जा रहे आरोपों ने हड़कंप मचाकर रख दिया है।

सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली को लेकर यह बोलते हैं आंकड़ें

एफएसआई (FSI) की तरफ से वर्ष 2021 में सूबे में जनपदवार जंगल का सर्वे किया गया। 2022 की पहली तिमाही में इसकी रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि यूपी के प्रमुख वन क्षेत्र वाले जिलों में शुमार तथा पूर्वांचल में सबसे ज्यादा जंगल क्षेत्र रखने वाले सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली में 2019 के मुकाबले कुल लगभग 173वर्ग किमी हरियाली गायब हो गई है। सबसे ज्यादा खराब स्थित प्रदूषण की जबरदस्त मार झेल रहे सोनभद्र की सामने आई है। आजादी के समय जहां यहां दो तिहाई हिस्सा वन से आच्छादित था। उस जिले में महज दो सालों के भीतर 103.54 वर्गकिमी हरियाली लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। उक्त अवधि में मिर्जापुर में भी वन विभाग की जमीन पर हरियाली का दायरार 57.62 वर्गकिमी तक सिमटने का जिक्र किया गया है। बताते चलें कि वनों के संरक्षण के लिए एक पूरा तंत्र मौजूद हैं। वहीं हर साल पौधरोपण और उसके देखभाल के नाम पर अच्छा खासा बजट भी खर्च होता है। बावजूद सिमटती हरियाली में फैलाव दिखने की बजाय, ...और दायरा सिमटने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।


लग रहे आरोप, कैसे बढ़े हरियाली, जब नात-रिश्तेदारों से जुड़े खातों में पहुंच जा रही धनराशि

एक तरफ जहां एसएसआई के सर्वे में तेजी से हरियाली का दायरा सिमटने का मामला सामने आया है। वहीं की जा रही शिकायतों में, वन विकास तथा पौधरोपण के लिए आई धनराशि को नात-रिश्तेदारों से जु़ड़े खातों में पहुंचने के कथित मामले ने हर किसी को चौंका कर रख दिया है। सीएम, पीएम सहित अन्य को भेजी गई एक शिकायत में जिक्र किया गया है कि सोनभद्र से सटे चंदौली के जयमोहनी रेंज में तैनात महज दो वनकर्मियों एक पेशकार और एक माली के (सोनभद्र, चंदौली, मिर्जापुर और वाराणसी निवासी) रिश्तेदारों के खाते में दो करोड़ से अधिक की रकम भेज दी गई है। कुछ यहीं स्थिति सोनभद्र और मिर्जापुर की भी होने का दावा किया जा रहा है। शिकायत में दावा किया गया है कि विजय इंटरप्राइजेज जयमोहनी में अस्थाई रूप से तैनात पेशकार बाबूनंदन के पिता की फर्म है।


वहीं इसके जरिए उनके पिता, माता, बहन, पत्नी, ससुर और साले के खाते में मजदूरी की धनराशि भेजी गई है। सोनभद्र में तैनात बताए जा रहे वन दरोगा कुबेर के पुत्र के नाम भी कार्य और मजदूरी दोनों के भुगतान का दावा किया गया है। इसी तरह दूधनाथ यादव माली के परिवार के कई सदस्यों, अस्थाई कर्मी रामबली के पुत्र और मझगाईं रेज के पेशकार रामजी की पत्नी के नाम कई भुगतान करने का आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि अधिकांश खाताधारकों के भुगतान शीट पर एक ही मोबाइल नंबर डाला गया है। इसके आधार पर, वन विकास के लिए आई करोड़ों की धनराशि का एक बड़ा हिस्सा बंटरबांट की भेंट चढ़ने का आरोप लगाया जा रहा है।


एफएसआई से मांगी गई है विस्तृत जानकारी

सोनभद्र वन प्रभाग के डीएफओ संजीव सिंह (Sonbhadra Forest Division DFO Sanjeev Singh) कहते हैं कि जंगल हमारे जीवन के लिए जरूरी हैं। उनसे ऑक्सीजन के अलावा जीवन के लिए उपयोगी वस्तुएं भी प्राप्त होती हैं। इसको देखते हुए उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए हर संभव प्रयास भी अमल में लाए जा रहे हैं। जहां तक जंगल में हरियाली का दायरा सिमटने का सवाल है तो इसको लेकर एफएसआई से विस्तृत जानकारी मांगी गई हैं। उसे मिलने के बाद, उसकी वास्तविकता जांची जाएगी और उसके आधार पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उधर, सोनभद्र से सटे जयमोहनी रेंज में हुए कथित घपलों के बाबत काशी वन्य जीव वन प्रभाग रामनगर के डीएफओ दिनेश सिंह का कहना है कि जिन पर कर्मियों का नाम लिया जा रहा है। वह अस्थाई कर्मचारी थे। वर्तमान में वह काम छोड़ चुके हैं। जिस भी फर्म को काम दिया गया है। एक विधिक प्रक्रिया अपनाई गई है और उनके काम की निगरानी के बाद ही भुगतान किया गया है। बावजूद अगर कहीं कोई गड़बड़ी की शिकायत मिलती है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

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