Sonbhadra: BJP के साथ दांव पर पूर्व मंत्री की साख, आदिवासी वोटरों पर नजर

Sonbhadra News: भाजपा विधायक रामदुलार गोंड़ को नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सजा के बाद रिक्त हुई दुद्धी विधानसभा सीट से एक बार फिर सात बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड़ चुनावी मैदान में है।

Update: 2024-05-10 14:15 GMT

Sonbhadra News (Pic:Newstrack) 

Sonbhadra News: वर्ष 2022 में पहली बार भाजपा को जीत की सौगात देने वाली दुद्धी विधानसभा के उपचुनाव में, इस बार कांटे की लड़ाई दिख रही है। भाजपा और सपा दोनों ने जहां जीत का समीकरण तय करने वाले आदिवासी तबके से उम्मीदवार उतारकर चुनावी समर को खासा दिलचस्प बना दिया है। वहीं, बसपा ने दुद्धी विधानसभा में दूसरी बड़ी तादाद रखने वाले आदिवासी समाज के व्यक्ति को टिकट देकर यहां की चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय रूप दे दिया है। ऐसे में जीत का सेहरा किसके सर बंधेगा? इसको लेकर अटकलबाजी जारी है।

कुछ यह है यहां का सियासी समीकरण

बताते चलें कि दुद्धी विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या 3,44,766 है। इसमें आदिवासी वोटरों की संख्या 40 प्रतिशत से अधिक है। वहीं एससी वोटरों की भी अच्छी खासी तादाद है। सबसे ज्यादा तादाद गोंड़ बिरादरी के मतदाताओं की और इसके बाद खरवार बिरादरी के मतदाताओं की है। पूर्व के चुनावी में यह समीकरण जीत का रास्ता तय करता रहा है। दुद्धी से सात बार विधायक चुने जाने वाले विजय सिंह गोंड़ की सबसे बड़ी ताकत उनके सजातीय वोटरों की बहुलता रही है लेकिन पिछले तीन चुनावों से यह आंकड़ा गलत साबित हो रहा है।

विजय देंगे मात या फिर श्रवण के सिर सजेगा ताज

भाजपा विधायक रामदुलार गोंड़ को नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सजा के बाद रिक्त हुई दुद्धी विधानसभा सीट से एक बार फिर सात बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड़ चुनावी मैदान में है। वह सपा से उम्मीदवार हैं। नामांकन के लिए उनके द्वारा पर्चा भी खरीदा जा चुका है। वहीं, उनसे मुकाबले के लिए भाजपा की तरफ से कभी आरएसएस खेमे में रह चुके श्रवण गोंड़ को चुनावी मैदान में उतारा गया है। दिलचस्प मसला यह है कि दोनों प्रत्याशियों की गोंड़ बिरादरी में मजबूत पकड़ बताई जा रही है। विजय सिंह जहां, पूर्व में आदिवासी हित में किए गए कार्य/प्रयासों को उनके बीच पहुंचकर गिना रहे हैं। वहीं, श्रवण गोंड़ को आरएसएस से जुड़े रहने के दौरान, लोगों से बनाए गए संबंध और भाजपा की तरफ से तैयार किए गए विजन-उपलब्धियों के जरिए जीत का भरोसा है। हालांकि जो हालात हैं उसमें दोनों के बीच सजातीय वोटरों में पैठ को लेकर जहां कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, वहीं आदिवासी तबका किसके साथ होगा, इसकी चर्चाएं बनी हुई हैं।

रवि बिगाड़ेंगे समीकरण या फिर तय करेंगे जीत का सफर

बसपा की तरफ से चुनावी समर में उतारे गए रवि सिंह खरवार को अपने सजातीय वोटरों के साथ ही, अन्य आदिवासी वोटरों के साथ दलित वर्ग के वोटरों का साथ मिलने का भरोसा है। वहीं, दूसरी तरफ बदले घटनाक्रम में भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को सपा ज्वाइन करने के बाद यह चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि खरवार वोटरों का साथ सपा प्रत्याशी को मिल सकता है। किसकी होगी जीत, किसकी होगी हार यह तो मतदाताओं का रूख तय करेगा ? फिलहाल सत्तापक्ष की ओर से हो रही जीत की रस्साकसी और विपक्षी दलों की ओर से की जा रही घेरेबंदी को लेकर चट्टी-चौराहों पर बतकही जारी है।

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