Sonbhadra News: निकाय चुनाव लेगा दिग्गजों की परीक्षा, साबित हो सकता है 2024 का सेमीफाइनल
Sonbhadra News: इस बार का निकाय चुनाव जहां लोस चुनाव 2024 का सेमीफाइनल साबित हो सकता है। वहीं मौजूदा हालात को देखते हुए, भाजपा के लिए निकाय चुनाव में साख और जीत दोनों को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
Sonbhadra News: एक नगरपालिका और नौ नगर पंचायत वाले सोनभद्र में, इस बार का निकाय चुनाव जहां लोस चुनाव 2024 का सेमीफाइनल साबित हो सकता है। वहीं मौजूदा हालात को देखते हुए, भाजपा के लिए निकाय चुनाव में साख और जीत दोनों को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है। फिलहाल जहां, जिले के सभी निकायों में टिकट की दावेदारी को लेकर मारामारी मची हुई है। वहीं, भाजपा के साथ ही, सपा, बसपा सहित अन्य प्रमुख दलों के सामने भी वजूद और जीत दोनों को लेकर चुनौती बनी हुई है।
भाजपा ने 2022 में रचा था इतिहास, 2023 पर टिकी सभी की निगाहें
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सोनभद्र की चारों विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कराकर एक नया इतिहास रचा था। ऐसे में निकाय चुनाव में जीत का आंकड़ा क्या रहेगा, इस पर जहां सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। वहीं मौजूदा भाजपा संगठन के पदाधिकारियों के लिए भी इसे बड़ी चुनौती और संगठन में उनकी भविष्य की भूमिका, खासकर लोस चुनाव के दौरान किस रूप में सामने आएगी, इसके लिए निकाय चुनाव को एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।
रेणुकूट में मिली थी भाजपा को शर्मनाक हार
विधानसभा चुनाव में जीत का इतिहास दर्ज करने वाले भाजपा के लिए 2021 में हुआ रेणुकूट नगर पंचायत का उपचुनाव, शर्मसार करने वाला रहा था। यहां भाजपा उम्मीदवार को महज 51 वोट प्राप्त हुए थे। वहीं कभी भाजपा खेमे के दिग्गज रहे अनिल सिंह की पत्नी ममता सिंह पर 1890 मतदाताओं ने भरोसा जताया था। इस चुनाव में चेयरमैन रहे शिवप्रताप सिंह बबलू की हत्या के कारण रिक्त हुई सीट से उम्मीदवारी कर रहीं, उनकी पत्नी निशा सिंह को 3576 मत प्राप्त हुए थे। इससे पूर्व हुए 2017 के चुनाव में यहां शिवप्रताप ने भी निर्दल उम्मीदवार के रूप में ही बाजी मारी थी। बताते चलें कि वर्ष 2017 में एक नगरपालिका और सात नगर पंचायतों में चुनाव कराए गए थे। इस बार एक नगरपालिका और नौ नगर पंचायतों में चुनाव कराए जा रहे हैं। दो नई नगर पंचायतें अनपरा और डाला बाजार पहली बार अपने अध्यक्ष का चुनाव करेंगी।
इन आंकड़ों की रहेगी जीत में अहम भूमिका
जनसंख्या को लेकर सामने आए एक अनुमानित आंकड़े पर गौर करें तो राबटर्संगंज नगर पालिका में अनुसूचित जाति 20.96 प्रतिशत, जनजाति 0.46 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 39.72 प्रतिशत, ओबरा नगर पंचायत में अनुसूचित जाति 23.15 प्रतिशत, जनजाति 1.43 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 35.31 प्रतिशत, चुर्क-घुर्मा में अनुसूचित जाति 19.89 प्रतिशत, जनजाति 0.76 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 55.27 प्रतिशत, नगर पंचायत अनपरा में अनुसूचित जाति 18.08 प्रतिशत, जनजाति 3.45 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 25.61 प्रतिशत, नगर पंचायत दुद्धी में अनुसूचित जाति 14.64 प्रतिशत, जनजाति 0.40 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 48.64 प्रतिशत, डाला बाजार में अनुसूचित जाति 14.23 प्रतिशत, जनजाति 22.67 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 39.89 प्रतिशत, घोरावल में अनुसूचित जाति 13.13 प्रतिशत, जनजाति 1.43 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 43.74 प्रतिशत, नगर पंचायत रेणुकूट में अनुसूचित जाति 12.71 प्रतिशत, जनजाति 5.01 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग प्रतिशत, पिपरी में अनुसूचित जाति 11.52 प्रतिशत, जनजाति 3.55 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 2.15 प्रतिशत है। शेष आबादी सामान्य वर्ग की है।
इस तरह निर्धारित किया गया है सीटों का आरक्षण
राबटर्सगंज नगरपालिका जहां अनुसूचित महिला के लिए आरक्षित है। वहीं ओबरा नगर पंचायत को अनुसूचित महिला, चुर्क-घुर्मा को पिछड़ा वर्ग महिला, अनपरा को अनारक्षित, दुद्धी को पिछड़ा वर्ग, डाला बाजार को अनुसूचित जनजाति महिला के लिए सुरक्षित और घोरावल, रेणुकूट, पिपरी, चोपन को अनारक्षित रखा गया है।
भाजपा के सामने परंपरागत वोटों को साधे रखने की चुनौती
इस बार के निकाय चुनाव में जहां अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के वोटरों की भूमिका अहम मानी जा रही है। वहीं सामान्य वर्ग, जिसकी जिले के सभी नगर निकायों को मिलाकर कुल 44.32 हिस्सेदारी बताई जा रही है, उसे साधे रखना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। बता दें कि सामान्य वर्ग को भाजपा का परंपरागत वोट माना जाता है। इसलिए राजनीतिक पंडित जहां निकाय चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल मान रहे हैं। वहीं भाजपा के लिए साख और जीत दोनों बचाए रखने को भी एक चुनौती माना जा रहा है।