लखनऊ। सूबे के नोएडा इलाके में लंका के राजा रहे रावण की मूर्ति लगाने की कवायद शुरू हो गई है यह मूर्ति एक हजार किलोग्राम की होगी। इलाकायी लोगों के मुताबिक विशालकाय मूर्ति बनवाई जा रही है।
हलांकि दो मंदिरों के पुजारियों की आपसी गुटबाजी के चलते मूर्ति स्थापित करने का समय लगातार आगे बढ़ा जा रहा है। प्राचीन शिव मंदिर के सामने बने नये मंदिर के परिसर में रावण की मूर्ति रखी हुई है। गांव वाले इसकी पूजा भी करते हैं। यहां स्थित शिव मंदिर को ही रावण का मंदिर कहकर पूजा जाता है। जिसकी दिवारों पर रावण के पिता की आकृति भी बनी हुई है।
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बिसरख ऋषि विश्रवा की तपोस्थली है। यहीं रावण का जन्म भी हुआ था। बिसरख में ही रावण द्वारा स्थापित अष्टभुजी शिवलिंग है। अशोकानन्द महाराज के मुताबिक लंकापति रावण बाल्यकाल से ही शिवभक्त थे। उन्होने शिव की घोर उपासना की थी। शिव मंत्रावली की भी रचना की थी। जब पूरा देश अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में रावण के पुतले का दहन करता है तब इस गांव में खुशी का माहौल नहीं होता। यहां लोग इस दिन शोक मनाते हैं। रामलीला नहीं करते।
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मंदिर के महंत अशोकानन्द आर्या के मुताबिक पहले रावण की 5.5 फीट ऊंची मूर्ति और 42 फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित करने की तैयारी की गई थी। लेकिन लोगों की मांग के चलते मूर्ति का वजन एक हजार किलो कर दिया गया। पिछले साल 11 अगस्त को राम के साथ रावण की मूर्ति स्थापित की जानी थी पर नाराज लोगों ने रावण की मूर्ति को तोड़ दिया।
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गाजियाबाद के दूधेश्वरनाथ मठ में जूना अखाडेे के मंत्री महंत नारायण गिरी महाराज, दिल्ली के कालिका मंदिर के महंत सुरेन्द्र नाथ अवधूत और डासना के देवी मंदिर के महंत यति बाबा नरसिंहानन्द सरस्वती जी महाराज ने ऐलान किया था कि राम के साथ रावण की मूर्ति स्थापित नहीं होने दी जायेगी। मूर्ति सात लाख की लागत से बनवाई जा रही है जो 20 भुजा वाली होगी इसका 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है।