Lucknow News: लखनऊ में यूनेस्को-बायोएथिक्स केंद्र का उद्घाटन: बायोएथिक्स शिक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नैतिक पहलुओं पर हुई चर्चा

लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से बुधवार को यूनेस्को-बायोएथिक्स केंद्र की स्थापना की गई है।;

Update:2025-04-09 20:01 IST
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Lucknow Today News: लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से बुधवार को यूनेस्को-बायोएथिक्स केंद्र की स्थापना की गई है। केंद्र का उद्घाटन शिक्षा विभाग के प्रमुख और अध्यक्ष, आईसीबी यूनेस्को अध्यक्ष, और ग्लोबल नेटवर्क मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के सह-अध्यक्ष प्रो रसेल डिसूजा ने किया। इस दौरान कार्यक्रम में प्रोफेसर संजीव मिश्रा (कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय), प्रोफेसर सीएम सिंह (निदेशक, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान) और कई अन्य प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी रही।

इस दौरान बायोएथिक्स केंद्र के कुशल संचालन के लिए गठित बायोएथिक्स स्टेयरिंग समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सीएम सिंह और अन्य समिति सदस्य को प्रोफेसर रसेल डिसूजा द्वारा रिट सौंपे गए। बता दें कि यह केंद्र स्वास्थ्य पेशेवरों को बायोएथिक्स में प्रशिक्षण देने और उनके नैतिक निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने का काम करेगा।

बायोएथिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर चर्चा

उद्घाटन के बाद, संकाय विकास कार्यक्रम (Faculty Development Program) का आयोजन किया गया, जिसमें बायोएथिक्स शिक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नैतिक पहलुओं पर गहरी चर्चा की गई।

कार्यक्रम में बायोएथिक्स शिक्षा के तीन प्रमुख प्रतिमानों पर चर्चा की गई

स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए बायोएथिक्स प्रशिक्षण: बायोएथिक्स को स्वास्थ्य व्यवसाय शिक्षा में किस प्रकार प्रभावी तरीके से पढ़ाया और प्रशिक्षित किया जा सकता है, इस पर विस्तार से चर्चा की गई।

बायोएथिक्स पढ़ाने के तरीकों की खोज: बायोएथिक्स में शिक्षा देने के नए तरीकों और एकीकरण के लिए योजना बनाने पर विचार किया गया।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नैतिक सीमाएं: स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग के नैतिक पहलुओं और इसके कार्यान्वयन में उठने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई।

वहीं कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने चिंतनशील चर्चा के माध्यम से अपने विचार साझा किए और प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया। यह आयोजन बायोएथिक्स और स्वास्थ्य सेवा में नैतिक निर्णय लेने को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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