UP Assembly Election 2022: झांसी की गरौठा विधानसभा सीट पर एक बार फिर से भाजपा और सपा में भिड़ंत

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में झांसी के गरौठा विधानसभा सीट पर एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। गरौठा विधानसभा सीट पर 1974 में वोटिंग शुरु हुई थी। इस सीट से रणजीत सिंह जूदेव 7 बार विधायक चुने गए।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Report :  B.K Kushwaha
Update:2022-01-29 19:59 IST

UP Assembly Election

झाँसी। गरौठा विधानसभा सीट (Garautha assembly seat) में हमेशा ही रोचक मुकाबला देखने को मिलता रहा है। वर्ष 2017 में यहां से बीजेपी के जवाहर लाल राजपूत ने सपा के दिग्गज माने जाने वाले नेता दीपनारायण सिंह यादव (Deepnarayan Singh Yadav) को चुनाव मैदान में पटखनी दी थी। जवाहर लाल राजपूत (Jawahar Lal Rajput) किसान नेता माने जाते हैं। जवाहर ने बैलगाड़ी से नामंकन दाखिल कर पूरे चुनाव को फॅच्यूनर बनाम बैलगाड़ी का मुकाबला बना दिया और जीत भी लिया था। इस बार एक बार फिर गरौठा विधानसभा की चुनावी महफिल में जोर आजमाइश का खेल शुरू हो गया है। हालांकि इक्का दुक्का राजनीतिक दलों ने अपने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) से वीर सिंह लकारा, सपा ने दीप नारायणसिंह यादव, भाजपा से जवाहर लाल राजपूत को अधिकृत प्रत्याशी के रूप में घोषित किया गया है अन्य पार्टी कांग्रेस (Congress) ने अभी अपने उम्मीदवार अधिकृत रूप से घोषित नहीं किया हैं। लेकिन फिर भी संभावित उम्मीदवार अपना टिकट पक्का मानकर चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं और जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगे हुए हैं। पिछले कुछ विधानसभा के चुनाव पर अगर नजर डालें तो कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पा रही है यही हालत बहुजन समाज पार्टी की भी बनी हुई है। जहां इस सीट पर त्रिकोणीय या चतुर्शकोणीय मुकाबला होता था। अब यह मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बीच सिमट कर रहने की संभावना देखी जा रही है।

कांग्रेस का अभेद किला है गरौठा

गरौठा विधानसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यहां से कांग्रेस सर्वाधिक चुनाव जीती है। झाँसी जिले में राजा समथर रणजीत सिंह जूदेव गरौठा विधानसभा से 7 बार विधायक चुने गए। बुंदलेखंड की राजनीति में राजा समथर यानी राजा रणजीत सिंह जूदेव (Ranjit Singh Judeo) का बड़ा नाम रहा है। उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक दौर में उनकी सीधे इंदिरा और राजीव गांधी जैसे शीर्षस्थ नेताओं से बात होती थी। गरौठा सीट पर रणजीत सिंह के नाम का ही सिक्का चलता था। बुंदलेखंड की यही इकलौती सीट है जहां कांग्रेस नेता व समथर रियासत के राजा रणजीत सिंह जूदेव के नाम जीत की डबल हैट्रिक रही।

गरौठा विधान सीट पर सभी पार्टियों को जीत मिलती रही है लेकिन कांग्रेस के लिए अधिक मुफीद सीट है। यहां से रणजीत सिंह जुदेव 6 बार कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हैं। वर्ष 1957 से 2012 तक हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 9 बार विजय मिली हैं। समाजवादी पार्टी को लगातार दो बार जीत मिली है। सपा का हैट्रीक लगाने का मौका था लेकिन 2017 में बीजेपी के जवाहर राजपूत ने एसपी को मात दे दी थी।

1981 में भाजपा के गढ़ में गई थी सीट

गरौठा सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस के रणजीत सिंह जू देव (राजा समथर) काबिज रहे। एक बार यह सीट भाजपा के मानवेंद्र के खाते में गई और एक बार बसपा के बृजेंद्र व्यास डमडम महाराज भी विधानसभा पहुंचे। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले 1996 में अपना परचम फहराया था। तब यहां से सपा के टिकट पर चंद्रपाल सिंह यादव विधायक चुने गए थे। इसके बाद 2002 में सपा से यह सीट बसपा ने छीन ली। फिर 2007 और 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी के दीपनारायण सिंह यादव (दीपक यादव) विधायक चुने गए।

दीपनारायण का तीसरी बार विधानसभा पहुंचने का रास्ता जवाहर ने रोका

गरौठा विधानसभा सीट पर सपा के प्रत्याशी विधायक दीपनारायण सिंह का तीसरी बार विधानसभा में पहुंचने का रास्ता किसान नेता जवाहर राजपूत ने रोक दिया था। जवाहर राजपूत किसानों की हितैषी छवि तथा दैवीय आपदा में उनके लिए किए गए संघर्ष के जरिए बनायी जमीन विरोधियों पर भारी पड़ गयी। इस सीट पर 35 साल बाद भाजपा ने वापसी की थी। इस जीत को मोदी लहर ने और गहरा कर दिया था।

कामयाब नहीं हो सका था SP-कांग्रेस का गठबंधन

वर्ष 2017 में गरौठा विधानसभा में पिछली बार कांग्रेस ने सपा प्रत्याशी को समर्थन दिया था। इस कारण प्रत्येक चुनाव को प्रभावित करने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता रणजीत सिंह जूदेव चुनाव से बाहर रहे, लेकिन सपा-कांग्रेस गठबन्धन इसका लाभ नहीं ले सका। हालांकि वोट जरूर बढ़े, लेकिन ये निर्णायक साबित नहीं।

गरौठा विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव वर्ष 2007 व 2012 में सपा के दीपनारायण सिंह यादव ने लगातार दो जीत दर्ज कर अपना कद बढ़ा लिया। वह तीसरी बार विधानसभा में पहुँचने के लिए इस चुनाव में फिर सपा की साइकिल पर सवार थे। पर, इस बार नामांकन के समय बैलगाड़ी लेकर कलेक्टरेट पहुँचे भाजपा के प्रत्याशी जवाहर लाल राजपूत ने किसानों के बीच खासी पैठ बनाकर विधायक के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए।

गरौठा विधानसभा सीट पर वर्ष 1981 में भाजपा अन्तिम बार जीत दर्ज कर सकी। इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह ने जीत दर्ज की थी। हालाँकि अगले ही चुनाव वर्ष 1989 में कांग्रेस के रणजीत सिंह जूदेव ने अपनी सीट भाजपा से वापस छीन ली। इसके बाद कांग्रेस ने यहाँ वर्ष 1989, 1991, 1993 के चुनाव में लगातार जीत दर्ज की।

वर्ष 1981 के पहले भी लगातार तीन चुनाव वर्ष 1974, 1977 व 1980 में भी कांग्रेस के रणजीत सिंह जूदेव ने जनसंघ, जनता पार्टी व भाजपा को पराजित किया था। कांग्रेस का तिलस्म वर्ष 1996 में सपा के चन्द्रपाल सिंह यादव ने तोड़ा था और इसके बाद कांग्रेस वापसी नहीं कर सकी। वर्ष 2002 में बसपा के बृजेन्द्र कुमार व्यास ने यहाँ से जीत दर्ज कर कांग्रेस के साथ सपा को भी झटका दिया, लेकिन सपा के दीपनारायण सिंह ने वर्ष 2007 में जीत दर्ज कर अपनी पार्टी की झोली में सीट वापस कर दी। दीपनारायण सिंह को इन चुनाव में 57,981 मत प्राप्त हुए थे और कांग्रेस दूसरे नम्बर तथा भाजपा को तीसरे स्थान पर सन्तोष करना पड़ा था। पिछले चुनाव वर्ष 2012 में सपा के दीपनारायण सिंह लगातार दूसरी बार 70,041 वोट लेकर जीते थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत सिंह जू देव को 45,001 मत मिले थे। इन चुनाव में भाजपा तीसरे नम्बर पर रही थी, उनके प्रत्याशी टीकाराम पटेल को 19,123 मत ही प्राप्त हुए थे। वर्ष 2017 में गरौठा विधानसभा में भाजपा ने सारे तिलस्म तोड़ दिए। भाजपा के जवाहर लाल राजपूत ने 93,378 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की, जबकि सपा के प्रत्याशी दीपनारायण सिंह को 77,547 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे। बसपा के प्रत्याशी डॉ. अरुण कुमार मिश्रा को 48,387 मत से ही सन्तोष करना पड़ा था।

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