UP Election 2022: बीजेपी-सपा में यादव गैर यादव की जंग, यूपी का पासा पलटने का मद्दा रखते हैं गैर यादव ओबीसी मतदाता

UP Election 2022: समाजवादी पार्टी के साथ जहां यादव मतदाता पूरी तरह से खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है तो बीजेपी इस बार उसमें सेंधमारी की कोशिशों में लगी हुई है। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि गैर यादव मतदाता उनके साथ है। अगर नौ प्रतिशत से ज्यादा यादव भी कुछ टूट कर उनके साथ आ गए तो उनकी बल्ले बल्ले हो जाएगी।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Published By :  Shreya
Update: 2021-10-27 07:33 GMT

अखिलेश यादव-योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

UP Election 2022: विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunaav) के लिए सियासी पार्टियों में जंग शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (SP) में ओबीसी जातियों को साधने के लिए जोरआजमाइश तेजी से दिखाई दे रही है। बीजेपी जहां लखनऊ (Lucknow) में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन (Pichhada Varg Sammelan) के जरिए ओबीसी की 27 अलग-अलग जातियों को साधने की कोशिश कर रही है। 

बीजेपी का यह सम्मेलन (BJP Ka Sammelan) पिछले कई दिनों से राजधानी में चल रहा है। जिसमें खास फोकस यादवों पर किया गया था। तो वहीं अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पूर्वांचल में अपनी रेगिस्तान जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। अखिलेश यादव भलीभांति जानते हैं कि यादव मतदाता (Yadav Voters) उनके साथ हैं। इसलिए गैर यादव (Non-Yadav) और दलितों को अपने पाले में करने के लिए पूर्वांचल में ओपी राजभर (Om Prakash Rajbhar) को साथ मिलाकर बड़ा दांव चला है।

दरअसल, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ जहां यादव मतदाता (Yadav Matdata) पूरी तरह से खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है तो बीजेपी इस बार उसमें सेंधमारी की कोशिशों में लगी हुई है। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि गैर यादव मतदाता (Non-Yadav Matdata) उनके साथ है। अगर नौ प्रतिशत से ज्यादा यादव भी कुछ टूट कर उनके साथ आ गए तो उनकी बल्ले बल्ले हो जाएगी।

वहीं अखिलेश भी इसी रणनीति के तहत कार्य कर रहे हैं कि अगर यादवों के अलावा गैर ओबीसी और दलित उनसे जुड़ गए तो उनकी राह आसान हो जाएगी। अखिलेश जहां यादव वोटरों को लेकर आश्वस्त हैं तो गैर यादव ओबीसी जातियों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश यादव आज 27 अक्टूबर मऊ में ओपी राजभर के साथ मंच साझा कर राजभर, दलितों के साथ अन्य गैर यादव ओबीसी मतदाताओं को साधने का काम करेंगे।  

ओम प्रकाश राजभर (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

ओपी राजभर की बड़ी रैली (OP Rajbhar Ki Rally)

बता दें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bhartiya Samaj Party- SBSP) का आज 19वां स्थापना दिवस (SBSP Sthapna Diwas) है। इस मौके पर मऊ के हलधर मैदान में ओपी राजभर बड़ी रैली (Om Prakash Rajbhar Rally) कर रहे हैं। राजभर ने जो भागीदारी मोर्चा (Bhagidari Sankalp Morcha) खड़ा करने का सपना देखा है, उसे आज साकार करेंगे। हालांकि अखिलेश के साथ चले जाने के बाद अब कुछ दल उनसे छिटक भी गए हैं। पहले ओपी राजभर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi), शिवपाल (Shivpal), भीम आर्मी (Bhim Army) के प्रमुख चंद्रशेखर (Chandrashekhar Azad Ravan) समेत कई छोटे दलों के साथ संपर्क में थे।

उन्हें इस भागीदारी मोर्चा में शामिल कर गठबंधन तैयार कर रहे थे। लेकिन अखिलेश की आने से इसमें से कई दल अब अलग राह देख रहे हैं। ओपी राजभर का कहना है कि वह वंचितों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्कों की लड़ाई लड़ने के लिए ये महापंचायत कर रहे हैं। 2022 के चुनाव (UP Chunav 2022) में बीजेपी को उखाड़ फेंकने के लिए सपा इस साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। 

(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

गैर यादव पिछड़े वोटरों को लेकर सबसे बड़ी लड़ाई

दरअसल, यूपी में यह माना जाता है कि यादव वोटर ज्यादातर सपा के पाले में जाता है। इसलिए सबसे बड़ी लड़ाई गैर यादव पिछड़े वोटरों को लेकर इस बार दिखाई दे रही है। सियासी विश्लेषण के मुताबिक यूपी में पिछड़ा वोट 42 से 45 फ़ीसदी के करीब माना जाता है। पिछड़ों में यादवों की बात करें तो इनकी संख्या छह फ़ीसदी से ज्यादा है। गैर यादव ओबीसी वोट 32 से 35 फीसद हैं। जिसमें कुर्मी चार फ़ीसदी, राजभर दो फीसदी, निषाद दो फीसदी, लोध तीन फ़ीसदी, मौर्य, कुशवाहा चार फ़ीसदी की अहमियत बहुत बढ़ जाती है।

पिछड़ों में मौर्या लोगों की पार्टी महान दल से समाजवादी पार्टी का पहले ही गठबंधन हो चुका है। यही नहीं, बसपा के दो बड़े कुर्मी और राजभर नेता लालजी वर्मा और राम अचल राजभर सोमवार को ही समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं। अब यह भी सात नवंबर को अंबेडकरनगर बड़ी रैली करेंगे। जिसमें अखिलेश यादव मंच पर मौजूद रहेंगे।

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