विद्या शंकर राय
लखनऊ: यूपी की राजधानी स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सिस) युवाओं के लिए न केवल सरकारी नौकरियों के लायक तैयार कर रहा है, बल्कि उनके लिए स्वरोजगार के रास्ते भी खोल रहा है। संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि सिस की इसी खूबी के चलते अब देशभर से युवा यहां गार्डनर (माली) का प्रशिक्षण लेने के लिए आवदेन कर रहे हैं।
सिश के अधिकारियों के मुताबिक, एक समय था जब माली का काम एक परंपरागत पेशा बना हुआ था। लेकिन समय बदलने के साथ ही आधुनिक गार्डनर को भी नर्सरी में पौधों की देखभाल करने का हुनर आना चाहिए। गार्डनर का प्रशिक्षण लेने के बाद युवाओं को सरकारी विभागों के साथ ही प्राइवेट संस्थानों में भी नौकरियां मिल रही हैं।
केंद्र की मंजूरी से खुले रास्ते
सिस से जुड़े अधिकारियों ने बताया, कि पिछले वर्ष लगभग 70 लोगों को गार्डनर का प्रशिक्षण दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट पास बेरोजगार युवाओं को बागवानी से जोड़ना था। दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से सिस को कृषि कौशल विकास मिशन के तहत 200 लोगों को प्रशिक्षण देने को कहा गया था। इसके बाद सिस की ओर से 50-50 के दो बैच तैयार कर इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था। केंद्र सरकार ने न केवल इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, बल्कि संस्थान को आगे भी इस तरह के कार्यक्रम जारी रखने का कहा गया।
प. यूपी से पूर्वाचल तक के युवाओं ने किया आवेदन
संस्थान के निदेशक एस. राजन के मुताबिक, पिछले वर्ष कुछ बैच चलाए गए थे। इसमें पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वाचल तक के युवाओं के आवेदन आए थे। कुछ आवेदन महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से भी आए थे। उन्होंने बताया, 'इसके लिए शैक्षिक योग्यता तो महज हाईस्कूल है, लेकिन इसमें एमएससी और पीएचडी धारकों ने भी आवेदन किया था। कई ऐसे लोगों ने भी आवेदन किया जो बागवानी को उद्यम के तौर पर अपनाना चाहते हैं। हालांकि, ऐसे लोगों के लिए हमारे पास उद्यमिता से जुड़े दूसरे कार्यक्रम भी हैं। इसीलिए हम उन्हें उसमें आवेदन करने का सुझाव देते हैं।'
बकौल निदेशक, 'हमारा प्रयास है कि गार्डनर प्रशिक्षण में हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट पास युवाओं को ही शामिल करने का होता है, ताकि स्वरोजगार एवं सरकारी दोनों का उनका मकसद पूरा हो सके।'
ये प्रशिक्षण दिए जा रहे
सिस में दिए जा रहे प्रशिक्षण में युवाओं को आम, अमरूद और फूलों की खेती करने के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए खासतौर से कई विशेषज्ञ प्रशिक्षकों को बाहर से बुलाया जाता है। 50-50 युवाओं का बैच चलाया जाता है और यदि आवेदन अधिक आते हैं तो युवाओं को अगले बैच में शामिल कराकर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। इसके बाद उनकी परीक्षा भी ली जाती है। इसके बाद उन्हें कृषि विकास कौशल परिषद की ओर से एक प्रमाणपत्र भी दिया जाता है।
आईएएनएस