इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस सिपाही भर्ती 2013 से संबंधित सभी रिकार्ड तलब कर लिये हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर पुलिस भर्ती बोर्ड के किसी जिम्मेदार अधिकारी को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। भर्ती बोर्ड पर आरोप है कि उसने वर्ग वार रिक्तियों का खुलासा नहीं किया है जिससे अभ्यर्थियों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि किस श्रेणी में कितने पदों पर नियुक्ति की जानी है। याचिका पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र सुनवाई कर रहे हैं।
प्रमोद कुमार सिंह और नौ अन्य की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे और सीमांत सिंह ने पक्ष रखा। याचिका में 13 अगस्त 2018 को पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा जारी नोटिस को चुनौती दी गयी है। कहा गया है कि सिपाही भर्ती में गलत क्षैतिज आरक्षण लागू करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। तब भर्ती बोर्ड ने स्वीकार किया कि 1714 सामान्य श्रेणी के पदों पर आरक्षित वर्ग की महिलाओं की नियुक्ति कर दी गयी है। इसे संशोधित करने पर सामान्य वर्ग में 1714 पुरूष अभ्यर्थियों का चयन हो सकेगा और 2220 पिछड़ा वर्ग की और 310 एससी महिला अभ्यर्थी चयन से बाहर हो जायेंगी। इन बाहर हुई महिला अभ्यर्थियों को उनके वर्ग में चयन दिया जायेगा।
याचीगण का कहना है कि भर्ती बोर्ड ने कोर्ट के आदेश के बाद आज तक किसी भी वर्ग की रिक्तियों की जानकारी नहीं दी है। जो लोग गलत तरीके से चयनित हो गये थे वह आज भी काम कर रहे हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। कोर्ट ने पांच सितम्बर की तिथि नियत करते हुए भर्ती बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी को सभी रिकार्ड के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
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शिक्षामित्र याचियों की अध्यापक भर्ती काउंसिलिंग में शामिल होने देने का निर्देश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय सहायक अध्यापक भर्ती 2018 में शिक्षामित्र याचियों को भारांक के साथ एक सितम्बर से शुरू हो रही काउंसिलिंग में शामिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 18 अगस्त 2018 के शासनादेश के तहत काउंसिलिंग में शामिल होने दिया जाय। किन्तु इस आदेश से उनके पक्ष में अधिकार सृजित नहीं होगा। कोर्ट ने राज्य सरकार से 17 सितम्बर तक विशेष अपील पर जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 26 सितम्बर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति अशोक कुमार की खण्डपीठ ने कुलभूषण मिश्र व अन्य की विशेष अपील पर दिया है। एकलपीठ ने अपीलार्थी की याचिका खारिज कर दी थी। जिसे अपील में चुनौती दी गयी है। अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता राधा कान्त ओझा व एस.सी त्रिपाठी व शिवेन्द्र ओझा ने बहस की। याची अपीलार्थी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को लगातार दो भर्तियों में 2.5 अंक प्रतिवर्ष के भारांक के साथ शामिल होने की छूट दी है। इसके तहत शासनादेश भी जारी किया गया है।
याची को 66 अंक मिले हैं और सामान्य वर्ग का कट आॅफ मार्क 67 है। यदि भारांक जोड़कर परिणाम घोषित किया जाय तो याचीगण भी सफल घोषित हो जायेंगे और भर्ती परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। एकलपीठ ने असहमति व्यक्त करते हुए याचिका खारिज कर दी थी। जिसे विशेष अपील में चुनौती दी गयी है। अपीलार्थी याचीगण का कहना है कि शासनादेश के तहत शिक्षा मित्रों को प्रतिवर्ष कार्य अवधि का भारांक देकर भर्ती परिणाम घोषित किया जाय। फिलहाल कोर्ट ने प्राविधिक रूप से याचियों को सहायक अध्यापक भर्ती काउंसिलिंग में शामिल करने का अन्तरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार व शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है।
राजेन्द्र स्टील कंपनी डायरेक्टर बत्रा के प्रत्यर्पण कार्यवाही
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर की मेसर्स राजेन्द्रा स्टील कंपनी के पूर्व डायरेक्टर डी.के.बत्रा के अमेरिका से प्रत्यर्पण के संबंध लगने वाले समय की भारत सरकार के सहायक सालीसीटर से जानकारी मांगी है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि प्रत्यर्पण का अनुरोध पूरी पत्रावली कोर्ट आदेश के साथ अमेरिका के दूतावास को 24 जुलाई 18 को भेज दी गयी है। इस पर कोर्ट ने जानना चाहा कि प्रत्यर्पण में कितना समय लगेगा। मामले की सुनवाई 5 सितम्बर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने वमिक सतीराम यादव की अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया हैं कोर्ट ने आफिशियल लिक्वीडेटर के अधिवक्ता अर्नव बनर्जी को धारावी में कंपनी की सम्पत्ति की बिक्री सहित मूल्य के बावत जानकारी मांगी है। अर्जी पर अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल ने पक्ष रख। राजेन्द्र स्टील कंपनी का समापन हो चुका है। प्रक्रिया शुरू होने के बाद डायरेक्टर ने करोड़ों की सम्पत्तियां बेच दी। जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई कोर्ट लखनऊ ने डायरेक्टर डी.के.बत्रा की पेशी का आदेश जारी किया है। जिसके तहत उनका प्रत्यर्पण किया जाना है।
सावन में कांवरियों के लिए अलग रास्ते की कार्ययोजना तलब सुनवाई 25 सितम्बर को
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्रावण मास में कांवरियों के राजमार्गाें पर चलने से आ रही दिक्कतों को देखते हुए अलग रास्ता देने की कार्ययोजना तलब की है। कोर्ट ने कहा है कि इलाहाबाद, वाराणसी व अन्य राजमार्गाें से कांवरियों के आवागमन से यातायात की गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है। राज्य सरकार कांवरियों के लिए अलग रास्ते की कार्ययोजना तैयार कर पेश करे। याचिका की सुनवाई 25 सितम्बर को होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने विद्याकांत शुक्ला की जनहित याचिका पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता एच.पी.द्विवेदी, हाईवे के अधिवकता प्रांजल मेहरोत्रा व सरकारी अधिवक्ता प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने पक्ष रखा। याची का कहना है कि सावन महीने में भारी संख्या में पूरे प्रदेश में कांवरियों की भीड़ हाईवे से चलती है। शासन की सही व्यवस्था न होने के कारण आम यात्रियों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सरकार ने कांवरियों के लिए व्यवस्था नहीं की है। इस पर कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से सरकार की कार्ययोजना की जानकारी मांगी है।