लखनऊः यूपी सरकार ने अब हर साल एक अक्टूबर को दादा-दादी और नाना-नानी दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इसी सिलसिले में बीते 14 मार्च को कैबिनेट की बैठक में उप्र वरिष्ठ नागरिक नीति को मंजूरी दी गई थी। अब इसी नीति के तहत एक कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। यह दिवस राज्य के स्कूलों और काॅलेजों में मनाया जाएगा।
इसका क्या होगा फायदा
जानकारों के मुताबिक यूपी में चुनाव नजदीक है और इस योजना के शुरू होने से प्रदेश के वरिष्ठ नागरिक सरकार के प्रति जुड़ाव महसूस करेंगे। इसका फायदा सपा सरकार को चुनावों में मिल सकता है।
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स्वास्थ्य विभाग में इसकी हुई थी पहल
-'स्वस्थ रहें दादा-दादी, स्वस्थ रहें समाजवादी' स्लोगन के साथ स्वास्थ्य विभाग में इस योजना की पहल की गई थी।
-चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री सुधीर कुमार रावत ने अपने गृह जनपद उन्नाव से इसकी शुरूआत भी कराई थी।
-इसके तहत जिला अस्पतालों में रविवार के दिन एक कैम्प लगना था।
-जिसमें चिकित्सक वरिष्ठ नागरिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उनको परामर्श दिया जाना था।
-बताया जा रहा है कि इसमें कई खामियां पाई गईं। जिससे यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी।
बुजुर्गों का सम्मान मुख्य मकसद
-सरकार का मुख्य उद्देश्य बुजुर्गों का सम्मान करना है।
-इसी को देखते हुए यह योजना शुरू की गई है जो वरिष्ठ नागरिकों को सुखमय पारिवारिक माहौल देने में मददगार होगी।
-विशेष तौर पर इस नीति के अंतर्गत यह व्यवस्था दी गई है कि बच्चों एवं युवाओं को वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं से परिचित कराया जाएगा।
जागरुकता संबंधी शिक्षा होगी शामिल
-बेसिक शिक्षा, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग को आयोजन के निर्देश दिए गए हैं।
-राज्य वरिष्ठ नागरिक नीति में अंतर पीढ़ीय संबंधों को मजबूती प्रदान करने का प्रावधान।
-इसमें मीडिया का भी सहारा लिया जाएगा।
-वरिष्ठ नागरिकों के प्रति जागरुक एवं संवदेनशील होने की शिक्षा दी जाएगी।
-शैक्षिक पाठ्यक्रमों में वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के प्रति जागरुकता संबंधी शिक्षा शामिल की जाएगी।