लखनऊ : पहले यूपी की सड़कों को गडढामुक्त करने के दावे औंधे मुंह गिरे और अब योगी सरकार का एक और वादा चूक चुका है। आपने भी अक्सर सार्वजनिक मंचों से सीएम योगी आदित्यनाथ के उस दावे को सुना होगा। जिसमें उन्होंने 30 दिसम्बर तक प्रदेश के 30 जिलों को ओडीएफ घोषित करने का वादा किया था। यह तारीख पूरी होने में बमुश्किलन हफ्ते भर शेष है। पर अब तक सिर्फ छह जिले ही ओडीएफ घोषित हो पाए हैं। यह आंकड़ा राज्य में स्वच्छ भारत मिशन के प्रगति की असल तस्वीर पेश करता है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अक्टूबर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 148वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में हापुड़, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, बिजनौर और गाजियाबाद जिलों को खुले में शौच मुक्त घोषित करते हुए कहा था कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर 2019 में प्रदेश खुले में शौच मुक्त होगा। इस कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा था कि 31 दिसंबर तक प्रदेश के 30 जिले खुले में शौच मुक्त हो जाएंगे। गंगा के किनारे 25 जिलों के 1627 गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया है।
हालांकि चीफ सेक्रेटरी राजीव कुमार खुद जिलों को ओडीएफ घोषित करने की तैयारी का लगातार जायजा ले रहे थे। निदेशक पंचायतीराज रहे विजय किरन आनन्द को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पर उनके कार्यकाल में जो जिले ओडीएफ घोषित किए गए थे। वहां के जमीनी हकीकत की पोल पहले ही newstrack.com खोल चुका है। सरकार ने बीते दिनों अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में असफल रहने पर पंचायतीराज विभाग के निदेशक के पद से विजय किरन आनन्द को बाहर का रास्ता दिखाया। इस बारे में पंचायतीराज राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भूपेन्द्र सिंह चौधरी से बात करने की कोशिश की गई। पर उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।