Zila Panchayat Election UP 2021: बहुमत के करीब वाली सपा आखिर क्यों बिखर रही, जानिए अंदर की बात

Zila Panchayat Election UP 2021: सपा 35 सीटों में 15 सीट पर जीत हासिल करने के बाद भी अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में असफल दिख रही है। जानें आखिर क्यों हो रहा ऐसा।

Report :  Ashvini Mishra
Published By :  Shreya
Update: 2021-07-03 04:03 GMT

समाजवादी पार्टी का लोगो (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Zila Panchayat Election UP 2021: चंदौली के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव (EX SP MP Ramkishun Yadav) अपने भतीजे को जिला पंचायत अध्यक्ष (Zilla Panchayat President) बनाने में नाकाम दिख रहे, आखिर क्यों ऐसा हो रहा है? सपा 35 सीटों में 15 सीट पर जीत हासिल करने के बाद भी अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में असफल दिख रही है। इसमें कई कारण दिखाई दे रहे हैं एक तो दो बार से पति-पत्नी के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष पर सपा-बसपा के शासनकाल में अध्यक्ष बने क्षेत्र बली सिंह की काबिले तारीफ रणनीति, यही नहीं लगातार तीसरी बार भी अपने खास, गाड़ी चालक दीनानाथ शर्मा को जिले का प्रथम नागरिक बनाने में सफल दिख रहे हैं।

दूसरा महत्वपूर्ण कारण है कि जिले में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए परिवारवाद एवं सिरमौर की राजनीति से अंदरूनी कलह भी चरम पर है। विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) आने वाला है पार्टी के लोग दिखाने के लिए पूर्व सांसद के साथ हैं लेकिन अंदर से कोई भी पार्टी का नेता उनके साथ दिल से नहीं जुड़ा है। क्योंकि यह कार्य पूर्व सांसद भी अन्य लोगों के साथ कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण जहां सकलडीहा के विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव लोक सभा प्रत्याशी संजय चौहान को जिताने के लिए जी जान से खड़े थे वहीं पूर्व सांसद का सहयोग नहीं मिला।

एक कारण यह भी है कि पूर्व सांसद रामकिशुन यादव के ही परिवार में प्रतिनिधियों को टिकट दिया जाता है। जिससे पार्टी में असंतोष रहता है। रामकिशुन यादव जहां सांसद रह चुके हैं, उनके भाई बाबू लाल यादव को मुगलसराय के विधायक का टिकट दिया जाता है। नियमताबाद ब्लॉक पर उनके भतीजे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को प्रमुख बनाया गया। जबकि पिछली बार भी पूर्व सांसद के बेटे को सपा का जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन अंतिम समय में टिकट काट दिया गया।

इस बार फिर उनके भतीजे तेजनारायण (Tejnarayan) को टिकट दिया गया है। सभी पदों पर एक परिवार के एकाधिकार से पार्टी के अंदरूनी कलह रहती है जो अब दिख रहा है। सभी सीटों पर उनके परिवार के ही लोग दावेदार होते हैं पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिलता है। यह भी अंदरूनी भितरघात का कारण है।

जिला पंचायत चंदौली कार्यालय (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

क्या तेज नारायण को नहीं मिलेगा सदस्यों का समर्थन

चंदौली के 35 जिला पंचायत सदस्यों में बहुमत के करीब 15 सदस्य जीतकर समाजवादी पार्टी अब अल्पमत में दिख रही है। जो स्थिति दिख रही है उससे यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तेज नारायण शायद दहाई अंको में भी सदस्यों का समर्थन नहीं प्राप्त कर पाएंगे।

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