देहरादून। उत्तराखंड पर्यटन विभाग में आयी तेजतर्रार आईएएस ज्योति खैरवार पर बदजुबानी का आरोप मढ़ा गया है। चारधाम यात्रा की तैयारियों के विषय में खैरवाल ने देहरादून में मीटिंग ली। खैरवाल अपर सचिव पर्यटन भी हैं। इस बैठक में ऋषिकेश स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम के यात्रा ऑफिस में तैनात ऑफिसर शामिल हुए।
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एएमडी तुलसी सिंह बिष्ट का कहना है कि एमडी ने मीटिंग के दौरान निगम कर्मियों के समक्ष उनके कार्यों पर असंतोष जताया व वीआरएस लेने के लिए कहा। बिष्ट का आरोप है कि एमडी ने भरी मीटिंग में उन पर अपमानजनक टिप्पणियां कीं। यहां तक बोला गया कि क्या कभी अपना चेहरा शीशे में देखा है आपने। बिष्ट के अनुसार, उन्होंने अपमानजनक टिप्पणियों से आहत होकर वीआरएस के लिए अपना आवेदन एमडी को भेज दिया है।
बिष्ट का कहना है कि उन्होंने 36 सालों तक जीएमवीएन में सेवाएं दीं। एक मजूबत स्तंभ के रूप में निगम को स्थापित करने के लिए दिन-रात लगे रहे, लेकिन सेवानिवृत्ति के अंतिम दिनों में वरिष्ठ अधिकारी के इस तरह से अपमानित किये जाने से बहुत आहत हुए हैं। उनका कहना है कि खैरवार के आदेश पर उन्होंने वीआरएस का आवेदन भेज दिया है।
इस संबंध में जब एमडी ज्योति खैरवाल से बात की गई तो उनका कहना है कि वह अक्सर सभी से यह कहती हैं कि आप जो कर रहे हैं, उसके हिसाब से अपना चेहरा शीशे में देखें। ऐसा कार्य करें कि शीशे में अपना चेहरा देखने लायक रह सकें। जहां तक एजीएम तुलसी सिंह बिष्ट के वीआरएस के आवेदन का मामला है, उन्हें प्राप्त नहीं हुआ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय का कहना है कि ज्योति खैरवार तेजतर्रार अधिकारी हैं। यदि उन्होंने ऐसा कहा है तो गलत किया है। ज्योति जिस विभाग में जाती हैं वहां अपनी छाप छोडऩे की कोशिश करती हैं। जब उन्हें टिहरी का डीएम बनाया गया तो उनकी तेजी देखकर बहुत जल्द यह सवाल उठा कि ट्रेनिंग के बाद दो साल पूरे होने से पहले डीएम कैसे बन गईं।
हालांकि उनके काम मीडिया में छाए रहे। जब वह एमडी जीएमवीएन बनायी गईं तो यहां आते ही बड़ा कदम उठाया और राजनीतिक, सचिवालय अफसरों के दबाव के चलते टीआरएच में मुफ्तखोरी की व्यवस्था पूरी तरह समाप्त कर दी। आदेश हो गए कि ऑनलाइन व्यवस्था के तहत सभी कमरों को पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। कोई भी वीआईपी कमरा खाली नहीं रहेगा। पहले लग्जरी कमरों की ही बुकिंग करानी होगी।
ज्योति खैरवाल के इस कदम का उद्देश्य जीएमवीएन के घाटे को कम करना था। जिसके चलते समय पर ईपीएफ का भुगतान नहीं हो पा रहा था और जीएमवीएन को 62 लाख का नोटिस मिला था। एमडी ज्योति खैरवाल ने जुर्माने को माफ कराने को लेकर अफसरों को निर्देश दिए। इसके साथ ही हर हाल में ये सुनिश्चित करने को कहा कि भविष्य में ईपीएफ समय पर भुगतान हो।