China News: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट बनाएंगे चीन में बांध, कोई इंसानी दखल नहीं होगा
China News: आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से बांध में 3डी प्रिंटर और रोबोट का इस्तेमाल होगा।
China News: चीन (China) तिब्बत के पठार में एक ऐसा बांध (Dam) बनाने जा रहा है जो पूरी तरह आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) के उपयोग से निर्मित होगा। इसमें दुनिया के सबसे बड़े 3 डी प्रिंटर और सिर्फ रोबोट (robots) का इस्तेमाल किया जाएगा। 180 मीटर ऊंचे यांगक्वा हाइड्रोपावर प्लांट को कई हिस्सों में बनाया जाएगा। इसमें मानव रहित उत्खनन होगा। ट्रकों, बुलडोजर, पेवर्स और रोलर्स का उपयोग आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। साथ ही एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया में 3 डी प्रिंटिंग का उपयोग होगा। यानी बांध के हिस्से थ्री डी प्रिंटिंग से बनाये जाएंगे।
2024 में पूरा होने पर, यांगक्वा बांध हर साल लगभग पांच बिलियन किलोवाट-घंटे बिजली भेजेगा, जो येलो नदी की ऊपरी पहुंच से हेनान तक 10 करोड़ लोगों के घर पर बिजली भेजेगा। ये बिजली 1,500 किमी लम्बी हाई वोल्टेज लाइन के माध्यम से यात्रा करेगी। ये लाइन विशेष रूप से हरित ऊर्जा संचरण के लिए बनाई गई है।
मशीनें अलग -अलग कंपोनेंट के रूप में काम करेंगी
परियोजना के प्रमुख वैज्ञानिक लियू तियान्युन के अनुसार, त्सिंघुआ विश्वविद्यालय (विज्ञान और प्रौद्योगिकी) के जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि बांध निर्माण और 3 डी प्रिंटिंग प्राकृतिक रूप से एक समान हैं। उन्होंने कहा कि डेवलपमेंट और परीक्षण के वर्षों के बाद, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 3 डी प्रिंट प्रौद्योगिकी बड़े पैमाने पर क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त परिपक्व हो गई है। इसे भारी-भरकम, दोहराव और खतरनाक काम से इंसानों को मुक्त किया जा सकता है।
त्सिंघुआ विश्वविद्यालय में हाइड्रोसाइंस एंड इंजीनियरिंग की राज्य प्रमुख प्रयोगशाला के साथ लियू की टीम लगभग दस साल पहले बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाओं को थ्री डी प्रिंट करने के आईडिया के साथ आई थी। उनकी सोच थी कि एक संपूर्ण निर्माण स्थल को एक विशाल प्रिंटर में बदला जा सकता है, जिसमें बड़ी संख्या में स्वचालित मशीनें अलग -अलग कंपोनेंट के रूप में एक साथ काम करेंगी।
मशीनें मनुष्यों की तुलना में बेहतर काम कर सकती है
टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के साथ कुछ आर्किटेक्ट ने इमारतों में थ्री डी प्रिंटर प्रौद्योगिकी को लागू करना शुरू कर दिया है, हालांकि ऐसी परियोजनाएं अब तक छोटी रही हैं। पहली 3 डी-प्रिंटेड ऑफिस बिल्डिंग, दुबई फ्यूचर फाउंडेशन मुख्यालय में है और केवल छह मीटर ऊंची है। वैसे, चीनी सिविल इंजीनियर एआई का काफी पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका उपयोग दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बांध, बैहेटन के निर्माण के लिए किया गया था।
ये बांध मात्र चार वर्षों में बना दिया गया था। पिछली निर्माण परियोजनाओं में प्रौद्योगिकी का परीक्षण किया गया था कि क्या विशेष रूप से कुछ कठोर और खतरनाक वातावरण में स्मार्ट मशीनें मनुष्यों की तुलना में बेहतर काम कर सकती हैं। एआई तकनीक में सफलताओं का मतलब है कि मशीनें अब साइट पर लगभग सभी वस्तुओं को पहचान सकती हैं, बदलते वातावरण में अनिश्चितताओं से निपट सकती हैं, और कागज के अनुसार विभिन्न कार्यों को लचीले ढंग से कर सकती हैं। अच्छी बात ये है कि वे मानवीय त्रुटियां नहीं करती हैं।
मशीनें 24 घण्टे और ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्र में भी काम कर सकती हैं
लियू ने कहा कि ट्रक ड्राइवरों ने अक्सर गलत स्थान पर सामग्री दी, जबकि झटके और मजबूत कंपन ने रोलर ऑपरेटरों को पूरी तरह से सीधे रास्ते को बनाए रखने से रोका। और अधिकांश कर्मचारी तकनीकी डिजाइन को सही ढंग से पढ़ने में असमर्थ थे। ये दिक्कतें एआई के साथ नहीं होती हैं। इसके अलावा मशीनें लगातार 24 घण्टे और ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्र में भी बखूबी काम कर सकती हैं।
टीम ने कहा है कि बांध के निर्माण में सभी नौकरियों को मशीनों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाएगा। पास के पहाड़ों से चट्टानों का खनन कार्य की जटिलता के कारण मैन्युअल रूप से किया जाएगा। लियू की टीम ने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, जैसे हवाई अड्डे और सड़क निर्माण में भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एआई-आधारित ज्ञान, सूचना और डेटा पर आधारित एक नया उपकरण है जो हमारे भविष्य को आकार देगा।