Afghanistan taliban crisis: तालिबान ने दिखाया अपना क्रूर चेहरा, नृशंस सजाएं हो गईं लागू

Afghanistan taliban crisis: तालिबान फिर से अपराधियों को शरिया कानून के तहत क्रूर सजा देने और महिलाओं पर सख्त पाबंदियां लागू करने की तैयारी कर रहा है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-09-27 14:34 IST

तालिबान ने दिखाया अपना क्रूर चेहरा, नृशंस सजाएं हो गईं लागू (Social Media)

Afghanistan taliban crisis: तालिबान की वापसी के साथ ही अफगानिस्तान में क्रूर सजाओं का दौर लौट आया है। अपराधियों को सरेआम मौत के घाट उतार देना, हाथ पैर काट देना तालिबानी सजाओं में शुमार हैं। अपने पिछले शासन की तरह तालिबान अब फिर से अपराधियों को शरिया कानून के तहत क्रूर सजा देने और महिलाओं पर सख्त पाबंदियां लागू करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए तालिबान के एक अलग मंत्रालय ने काम भी शुरू कर दिया है। तालिबान के पिछले शासन के दौरान यह मंत्रालय शरिया कानून को बड़ी ही कठोरता से लागू करने के लिए कुख्यात था।

क्रेन से शव लटकाए गए 

ताजा घटना हेरात प्रान्त की है तालिबान ने चार अपहरणकर्ताओं को गोलीबारी में मारकर उनके शव क्रेन से लटका दिए। हेरात के उप गवर्नर मौलवी शीर अहमद मुहाजिर ने कहा कि अपहरणकर्ताओं को मारने के बाद उनके शव कई सार्वजनिक स्थलों पर दिखाए गए ताकि यह सबक सिखाया जा सके कि अपहरण की घटनाओं को सहन नहीं किया जाएगा। उप गवर्नर ने कहा कि यह साफ कर दिया गया है कि चोरी, अपहरण और दूसरे अपराध करने वालों को सख्त सजा दी जाएगी। सोशल मीडिया पर शेयर की जा रहीं तस्वीरों में एक पिक-अप ट्रक में खून से सनी लाशें पड़ी हैं और क्रेन से शव लटकाए गए हैं। वाहन के चारों तरफ खड़े हथियारबंद लड़ाकों को देखने के लिए भारी मात्रा में लोग जमा हुए थे। एक वीडियो भी तेजी से शेयर किया जा रहा है, जिसमें क्रेन से लटकते शव के गले में टंगी तख्ती पर 'अपहरणकर्ताओं को ऐसी सजा मिलेगी' लिखा गया है। मुजाहिर ने कहा कि शहर में अपहरण की और भी घटनाएं हुई थीं। तालिबान ने एक लड़के को बचा लिया था। इस दौरान एक अपहरणकर्ता को मार गिराया गया। तीन अन्य को गिरफ्तार किया गया है। एक दूसरी घटना में तालिबान अगवा किए गए शख्स को बचा नहीं पाया।अपहरणकर्ता पैसे हड़पने में कामयाब रहे।

अपराध रोकने के लिए ऐसा किया जा रहा है। 

हाल ही में तालिबान के संस्थापक सदस्य मुल्ला नूरद्दीन तुराबी ने कहा था कि जल्द ही अफगानिस्तान में पुरानी सरकार के दौरान दी जाने वाली सजाओं को लागू किया जाएगा। तुराबी ने कहा कि सुरक्षा के लिए हाथ काटना बहुत जरूरी है। ऐसी सजाएं अपराधियों को अपराध करने से रोकती हैं। तुराबी ने कहा कि खुलेआम सजा देने के लिए हर किसी ने हमारी आलोचना की थी। लेकिन हमने किसी के कानूनों को लेकर कुछ नहीं कहा। कोई हमें यह नहीं बताएगा कि हमारे कानून क्या होने चाहिए। हम इस्लाम को मानते हैं और हमारे कानून कुरान पर आधारित होंगे।

'सजाएं सरेआम दी जानी चाहिए या इसके लिए कोई पर्दा रखना होगा'

तुराबी ने कहा कि इस बार महिलाओं समेत जज मामले को सुनेंगे। लेकिन कानूनों की बुनियाद कुरान पर होंगी। पुरानी कुछ सजाओं को जारी रखा जा सकता है। उसने कहा, सुरक्षा के लिए हाथ काटना बहुत जरूरी है। ऐसी सजाएं अपराधियों को रोकती हैं। उसने कहा कि तालिबान इस बारे में विचार कर रहा है कि ये सजाएं सरेआम दी जानी चाहिए या इसके लिए कोई पर्दा रखना होगा। इस बारे में जल्द ही नीति आएगी।तुराबी ने यह भी कहा कि अब तालिबान टेलीविजन, मोबाइल फोन, फोटो और वीडियो पर रोक नहीं लगाएगा, क्योंकि ये लोगों के लिए जरूरी हो गए हैं। तालिबान मीडिया को संदेश पहुंचाने का माध्यम समझता है। इसके जरिये लाखों लोगों तक पहुंचा जा सकता है। उसने कहा कि अगर सरेआम सजा दी जाएगी तो लोग इसकी फोटो ले और वीडियो बना सकेंगे।

नई सरकार में जेल विभाग संभालने वाला 60 वर्षीय तुराबी पिछली तालिबानी सरकार में न्याय मंत्री था। उस वक्त उसे बेहद खतरनाक नेता माना जाता था। तालिबान के एक अधिकारी मोहम्मद यूसुफ ने कहा है कि हमारा मुख्य उद्देश्य इस्लाम की सेवा करना है। इसके लिए एक अच्छाई और बुराई मंत्रालय की जरूरत है। उन्होंने कहा, तालिबान शासन उल्लंघन करने वालों को इस्लामी नियमों के अनुसार सजा देगा। इसमें चोरों के हाथ काटे जाने जाने की सजा प्रमुख है।

आरोप सही साबित करने के लिए चार लोगों की गवाही जरूरी

यूसुफ ने कहा, जानबूझकर हत्या करने वालों को मौत की सजा दी जा सकती है। यदि उसने जानबूझकर हत्या नहीं की है तो उसे एक निश्चित राशि का भुगतान करने जैसी सजा भी दी जा सकती है। तालिबान के नए शासन में चोरी करने वाले चोरों के हाथ काट दिए जाएंगे, जबकि महिलाओं से अवैध यौन संबंध स्थापित करने वालों पर सार्वजनिक रूप से पत्थर फेंकने की सजा का प्रवाधान किया जाएगा। यूसुफ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को दोषी सिद्ध करने के लिए उसके खिलाफ चार लोगों की एक समान गवाही की आवश्यकता होगी। यदि चारों लोगों की गवाही में अंतर मिलता है तो सजा नहीं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट इन सभी मुद्दों को चौकसी के साथ देखेगा। हम सिर्फ इस्लामी नियमों और विनियमों के साथ एक शांतिपूर्ण देश चाहते हैं। शांति और इस्लामी शासन ही हमारी एकमात्र इच्छा है। इसके खिलाफ किसी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

महिलाओं को अकेले घर से नही निकलने देना

तालिबान ने अफगानिस्तान में 1996 से 2001 के अपने पिछले शासन में भी 'अच्छाई का प्रचार और बुराई की रोकथाम मंत्रालय' का गठन किया था। यह मंत्रालय तालिबान के शरिया कानून को बड़ी ही कठोरता से लागू करने के लिए कुख्यात था, जिसमें महिलाओं को अकेले घर से निकलने, उनके नौकरी करने, पढ़ाई करने पर पाबंदी थी। संगीत और मनोरंजन के अन्य साधनों पर भी सख्त प्रतिबंध लगाना शामिल था। शरिया कानून के तहत ताजीर (कम गंभीर अपराध) में सजा मुस्लिम कोर्ट के जज के विवेक पर निर्भर करती है। इसी तरह किसस (गंभीर अपराध) में आरोपी को पीड़ित के बराबर सजा भुगतनी होती है। हुदूद (सबसे गंभीर अपराध) में अपराधी के हाथ पैर काट देना, कोड़े मारना और सार्वजनिक मौत की सजा का प्रावधान है। इन अपराधों में चोरी, डकैती, अश्लीलता,समलैगिकता और शराब पीना शामिल है। इन्हें खुदा के कानून के खिलाफ माना जाता है।

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