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अवमानना मामला: आंध्र प्रदेश HC ने 5 IAS अफसरों को सुनाई सजा,जाएंगें जेल

न्यायमूर्ति बट्टू देवानंद ने एसपीएस नेल्लोर जिले की एक किसान तल्लापका सावित्रम्मा द्वारा दायर एक अवमानना ​​याचिका पर 4 सेवारत आईएएस अधिकारियों और एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को दोषी करार देते हुए आदेश सुनाया।

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Kumar
Published on: 3 Sept 2021 10:33 AM IST
Andhra Pradesh HC Contempt case 5 IAS officers sentences
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आंध्र प्रदेश एचसी अवमानना मामला 5 आईएएस अधिकारियों को सजा। (Social Media)

आंध्र प्रदेश: गुरुवार को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने 4 सेवारत आईएएस अधिकारियों और एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को 10 फरवरी, 2017 के अदालती आदेश की ''जानबूझकर अवज्ञा'' करने के लिए अवमानना ​का दोषी ठहराते हुए अलग-अलग कारावास की सजा सुनाई।

मुख्य सचिव आदित्य नाथ दास सहित तीन अन्य आईएएस अधिकारियों को मामले में छोड़ दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ आरोप को खारिज कर दिया गया था। दोषी पाए गए आईएएस अधिकारियों में प्रधान वित्त सचिव शमशेर सिंह रावत, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त सचिव रेवू मुत्याला राजू, एसपीएस नेल्लोर जिला कलेक्टर के वी एन चक्रधर बाबू और पूर्व कलेक्टर एम वी शेषगिरि बाबू शामिल हैं।

मुत्याला राजू ने पहले एसपीएस नेल्लोर जिले के के जिलाधीश के रूप में भी काम किया था। 2017 में तत्कालीन प्रधान सचिव (राजस्व) रहे सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी मनमोहन सिंह को भी मामले में दोषी ठहराया गया।

किसान तल्लापका सावित्रम्मा की अवमानना ​​याचिका पर सुनाया आदेश

न्यायमूर्ति बट्टू देवानंद ने एसपीएस नेल्लोर जिले की एक किसान तल्लापका सावित्रम्मा द्वारा दायर एक अवमानना ​​याचिका पर यह आदेश सुनाया। रावत और सिंह को एक महीने की कैद की सजा सुनाई गई है जबकि अन्य को दो सप्ताह कैद की सजा सुनाई गई है।

इन सभी पर एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। याचिकाकर्ता के वकील सी वाणी रेड्डी के अनुसार, हालांकि न्यायमूर्ति देवानंद ने सजा को एक महीने के लिए स्थगित करने का आदेश दिया, ताकि दोषी अपील के लिए जा सकें।

2017 में उच्च न्यायालय में दायर की थी रिट याचिका

सावित्रम्मा ने 2017 में उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि उनकी तीन एकड़ जमीन राजस्व अधिकारियों ने ले ली और बिना किसी नोटिस या मुआवजे के भुगतान के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान को आवंटित कर दी। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2016 में राजस्व अधिकारियों ने उन्हें जमीन के लिए मुआवजा देने का वादा किया था और इसकी सूचना लोकायुक्त को भी दी गई थी।

3 महीने के भीतर मुआवजा देने के दिए निर्देश

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए राजशेखर रेड्डी ने 10 फरवरी, 2017 को याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया था और संबंधित राजस्व अधिकारियों को तीन महीने के भीतर मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

राजस्व अधिकारियों द्वारा अदालत के आदेश को लागू करने में विफल रहने के बाद 2018 में, सावित्रम्मा ने उच्च न्यायालय में अवमानना ​​का मामला दायर किया।



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Deepak Kumar

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