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Andhra Pradesh News: राजधानी के चक्कर में फंसा आंध्र प्रदेश
Andhra Pradesh News: मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने एक की बजाय तीन - तीन राजधानियों की घोषणा कर दी लेकिन तमाम समस्याएं झेलने के बाद अब उन्होंने विशाखापत्तनम के नाम का ऐलान किया है।
Andhra Pradesh News: एक राजधानी या तीन? आंध्र प्रदेश अभी यही तय नहीं कर पा रहा है। जब चंद्रबाबू नायडू आंध्र के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बड़े जोर शोर से प्रोजेक्ट अमरावती शुरू किया था जहाँ नई राजधानी होनी थी लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने एक की बजाय तीन - तीन राजधानियों की घोषणा कर दी लेकिन तमाम समस्याएं झेलने के बाद अब उन्होंने विशाखापत्तनम के नाम का ऐलान किया है। लेकिन अभी तक ये इरादा भी गोलमोल ही लगता है।
जगन के कई ऐलान
31 जनवरी को आंध्र प्रदेश वैश्विक निवेशक सम्मेलन में मुख्यमंत्री वाई.एस.जगन मोहन रेड्डी ने कहा था कि विशाखापत्तनम राज्य की राजधानी होगी और वह स्वयं वहां रहने जा रहे हैं। इससे पहले राज्य सरकार ने कहा था कि तीन राजधानियां बनाई जाएंगी जिनमें पहली विशाखापत्तनम (कार्यपालक राजधानी) में, दूसरी रायलसीमा क्षेत्र में कुर्नूल (न्यायिक राजधानी) में और तीसरी अमरावती (विधायिका) में होगी। अमरावती में राज्यपाल का कार्यालय और राज्य विधानसभा बनाने की योजना थी। तीन राजधानियां बनाने का उद्देश्य राज्य में विकेंद्रीकृत विकास सुनिश्चित करना था। इस ऐलान के बाद एक के बाद एक कानूनी चुनौतियों को देखते हुए जगन रेड्डी ने राज्य विधानसभा में कहा था कि राज्य सरकार आंध्र प्रदेश में तीन राजधानियां बनाने का प्रस्ताव वापस ले रही है। फिर वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल अमरावती आंध्र प्रदेश की राजधानी होगी। अब निवेशक सम्मेलन में जगन रेड्डी ने विशाखापत्तनम की घोषणा कर दी है।
आंध्र प्रदेश का विभाजन
यूं तो आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया था। लेकिन लम्बे विवाद और अन्दोलनों के बाद आंध्र के विभाजन का फैसला किया गया और तेलंगाना एक अलग राज्य बना दिया गया। फरवरी 2014 में संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा आन्ध्र प्रदेश में 13 जिले दिए गए। तय हुआ कि दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। यानी 2024 तक हैदराबाद संयुक्त राजधानी है। सो, राजधानी का मामला आंध्र प्रदेश के विभाजन के साथ ही शुरू हो गया था। विभाजन के बाद हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी बन गया।
नायडू का प्लान
आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती में एक हरित, भविष्यवादी और विश्व स्तरीय राजधानी बनाने की परिकल्पना की। नई राजधानी सिंगापुर की तर्ज पर बननी थी और इसकी निर्माण योजना सिंगापुर सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकारों ने तैयार की। नई राजधानी 217 वर्ग किलोमीटर में बनाने की योजना थी और इस पर लगभग 8 अरब डॉलर रकम खर्च होती। इस पूरी योजना के पीछे एक अघोषित पहलू यह भी था कि अमरावती के इर्द-गिर्द जमीन धनाढ़्य कम्मा किसानों की थी जो तेदेपा के समर्थक भी माने जाते हैं। इससे नुकसान रेड्डी समुदाय को होता। रेड्डी समुदाय को राज्य में राजनीतिक रूप से ताकतवर माना जाता है और वह जमीन-जायदाद के मामले में भी संपन्न है। अमरावती को राजधानी बनाए जाने की घोषणा के बाद इस क्षेत्र के आस-पास जमीन की कीमतें आसमान छूने लगीं और मालिकाना हक के स्थानांतरण और भूमि के इस्तेमाल में बदलाव की प्रक्रिया तेज गति से होने लगी।
अमरावती में राजधानी बनाने के लिए 54,000 एकड़ भूमि चिह्नित की गई जिनमें 42,000 एकड़ कृषि योग्य भूमि थी और 40,000 एकड़ सिंचित भूमि थी। किसानों की ज़मीन अधिग्रहण के लिए सरकार ने 1 जनवरी 2015 को एक नई योजना शुरू की- लैंड पूलिंग स्कीम इसके तहत पहले दो महीने में ही सरकार ने किसानों की 30 हज़ार एकड़ से ज़्यादा ज़मीन हासिल कर ली। आख़िरकार सरकार ने 38,851 एकड़ जमीन के लक्ष्य में से 32,637.48 एकड़ ज़मीन किसानों से अधिग्रिहित कर ली। तीन गांवों ने सरकार को ज़मीन देने से मना कर दिया था और उन गांव में रेड्डी जाति के लोग बहुसंख्यक हैं। ये लोग जगनमोहन की पार्टी के कोर वोटर्स माने जाते हैं। हालांकि जाति के नाम पर विरोध के बीच खुद जगनमोहन रेड्डी ने राजधानी के रूप में अमरावती का समर्थन किया था।
सरकार बदलते ही प्लान बदला
चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी सरकार मई 2019 में सत्ता से बाहर हो गई और जगन मोहन रेड्डी राज्य के नए मुख्यमंत्री बन गए। जगन मोहन रेड्डी के राजधानी का गेमप्लान अपने हिसाब से बदल दिया ताकि टीडीपी को नुकसान हो और उनकी पार्टी को फायदा पहुंचे। ऐसे में उन्होंने तीन राजधानियां बनाने की योजना पेश कर दी। इनमें एक राजधानी रायलसीमा में बनाने का प्रस्ताव था। हालांकि इसके बाद ऐसी आफतें आईं कि तीन राजधानियां बनाने की योजना पटरी से उतर गयी। जगन रेड्डी इसमें चूक गए कि राज्य सरकार को हाई कोर्ट की जगह बदलने के लिए कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं था। इस वजह से अमरावती से हाई कोर्ट शिफ्ट करने का मामला फंस गया। सत्ता में आने के बाद जगन सरकार ने विश्व बैंक से कहा कि पिछली सरकार के दिए कर्ज़ के आवेदन में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं। ये कर्ज़ अमरावती को राजधानी बनाए जाने के लिए लिया जाना था। नई सरकार के रुख़ के बाद एशियन डेवलपमेंट बैंक ने कर्ज़ देने की प्रक्रिया रोक दी। जमीनों के अधिग्रहण के मामलों में भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे जिसके चलते एक एसआईटी गठित की गयी। गड़बड़ियों के आरोप में एसआईटी ने टीडीपी सरकार में शहरी विकास मंत्री पी. नारायणा को गिरफ्तार किया था। हालांकि इसके बाद गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को ज़मानत मिल गई। वैसे, जांच की रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
पैसे की कमी
एक संकट ये भी है कि कई राजधानी बनाने के लिए उन जगहों पर जमीनें लेनी पड़तीं और भारी भरकम मुआवजे देने पड़ते जबकि राज्य सरकार के पास पर्याप्त पैसा नहीं था। आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति खस्ताहाल है और राजस्व के स्रोत भी सीमित हैं। राज्य सरकार के कुछ कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है। पेंशनभोगियों को भी 20 तारीख के आस-पास पेंशन दी जाती है। बहरहाल, तीन राजधानियों की योजना समाप्त नहीं की गई है, बस इसे फिलहाल टाल दिया गया है।