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Arunachal Pradesh Tourism : अरुणाचल में नई रेल लाइनें, तवांग में चलेगी Toy Train

Arunachal Pradesh Tourism Department: तवांग राजधानी ईटानगर से करीब साढ़े चार सौ किमी उत्तर-पश्चिम साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेहद खूबसूरत शहर है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shivani
Published on: 21 Aug 2021 9:23 AM GMT
Arunachal Pradesh Tourism : अरुणाचल में नई रेल लाइनें, तवांग में चलेगी Toy Train
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Arunachal Pradesh Tourism Department : भारत के पूर्वोत्तर में तिब्बत की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका बरसों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। अब वहां दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे और कालका-शिमला रेलवे की तर्ज पर ट्वाय ट्रेन चलने की तैयारी है। अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पूर्वोत्तर सीमांत (एनएफ) रेलवे को इस परियोजना पर काम आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। सीमा पार चीन की ओर से आधारभूत परियोजनाओं में लगातार तेजी को ध्यान में रखते हुए और तवांग को पर्यटकों के लिए और लोकप्रिय बनाने के मकसद से ही यह परियोजना शुरू करने का फैसला किया गया है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अधिकारियों ने छह महीने के भीतर तवांग की टॉय ट्रेन परियोजना को पूरा करने का भरोसा दिया है। टॉय ट्रेन चलाने के अलावा सीमा पार की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए तवांग तक रेलवे लाइन बिछाने की परियोजना पर भी काम तेज करने का फैसला किया गया है। फिलहाल राजधानी ईटानगर से दस किमी दूर स्थित नाहरलागून तक ही ट्रेन जाती है। उसे रेलवे नेटवर्क से वर्ष 2014 में ही जोड़ा गया था।

बेहद खूबसूरत इलाका

तवांग राजधानी ईटानगर से करीब साढ़े चार सौ किमी उत्तर-पश्चिम साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेहद खूबसूरत शहर है। अपने बौद्ध मठों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर तवांग दशकों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है जिसमें शाहरुख़ खान की कोयला काफी मशहूर है। तवांग में भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है जिसकी स्थापना वर्ष 1681 के अंत में मेरा लामा लोद्रे ग्यात्सो ने की थी।


पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के प्रस्ताव के मुताबिक, यह ट्रेन तवांग शहर के इर्द-गिर्द ही चलेगी। इसमें कम से कम तीन कोच होंगे और हर कोच में 12 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होगी। यह परियोजना मुख्य रूप से पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। इसके तहत बाकी चीजों के अलावा फूड कोर्ट और क्राफ्ट बाजार जैसी सुविधाओं वाला एक पार्क भी शामिल है। टॉय ट्रेन परियोजना के लिए चार करोड़ रुपए की पूरी लागत राज्य सरकार ही वहन करेगी। इस रेल सेवा को शुरू करने के लिए करीब पांच सौ मीटर नई पटरियां बिछाई जाएंगी। रेलवे ने छह महीने के भीतर इस परियोजना को पूरा करने का भरोसा दिया है।

अरुणाचल में कई प्रोजेक्ट्स

अरुणाचल को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए रेलवे राज्य में कई अन्य परियोजनाओं पर भी काम कर रही है। इसमें भालुकपोंग से तवांग के करीब तक 378 किमी लंबी ब्रॉडगेज लाइन का निर्माण भी शामिल है। यह रेल लाइन 10 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचेगी और इसका अस्सी फीसदी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, भालुकपोंग-तवांग लाइन का निर्माण सबसे चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि यह रेलवे लाइन पांच सौ से नौ हजार फीट ऊंचाई तक के इलाकों से गुजरेगी।


अरुणाचल से लगी सीमा के पास चीन की आधारभूत योजनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भी सीमावर्ती इलाके में कनेक्टिविटी बेहतर करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत सामरिक महत्व की तीन रेलवे परियोजनाओं का काम भी चल रहा है। इनके तहत अरुणाचल के भालुकपोंग से तवांग, असम के मुरकोंगसेलेक से लेकर अरुणाचल के पासीघाट और असम के ही सिलापाथर से अरुणाचल के बाने के बीच पटरियां बिछाई जाएंगी। इन तीनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 50 हजार करोड़ से 70 हजार करोड़ रुपये तक आंकी गई है। कोरोना की वजह से इलाके में बंद रेल सेवाओं को अब तक शुरू नहीं किया जा सका है। अब नाहरलागून-गुवाहाटी के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस और नाहरलागून से दिल्ली के बीच चलने वाली एसी एक्सप्रेस को एक सितंबर से चलाने का फैसला किया गया है।

सीमापार की गतिविधियाँ चिंताजनक

भारत से लगी सीमा के इलाकों में चीन जिस तरह आधारभूत सुविधाएं विकसित कर रहा है वो पहले से भारत के लिए चिंता का विषय है। तिब्बत का न्यिंग्ची शहर अरुणाचल प्रदेश की सीमा से मात्र 17 किलोमीटर दूर है और हाल ही में मेनलैंड चीन से न्यिंग्ची तक बुलेट ट्रेन सेवा शुरू की गई है। तिब्बत में और खासकर न्यिंग्ची तक रेलवे नेटवर्क बिछाने के पीछे चीन की सोची समझी दीर्घकालिक योजना है इस रेलमार्ग की शुरुआत पिछले महीने ही हुई जिसे 1740 किलोमीटर लम्बे सिचुवान-तिब्बत रेल खंड का एक सामरिक रूप से अति मत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।


ये रेल लाइन सिचुवान से ल्हासा को जोड़ेगी। ल्हासा से न्यिंग्ची रेलमार्ग विद्युतीकृत है जिस पर अब 160 किलोमीटर की रफ़्तार से बुलेट ट्रेन भी दौड़ती है। अरुणाचल सीमा के पास तक चीन ने एक्सप्रेसवे भी बना दी है। न्यिंग्ची को ल्हासा से जोड़ने वाला ये एक्सप्रेसवे 250 किलोमीटर लंबा है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बांध भी बना रहा है। चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश पर नजर गड़ाए हुये है और कई बार यहां घुसपैठ भी कर चुका है। जिस तरह चीन अपना इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाता और मजबूत करता जा रहा है उससे साफ है कि वो किसी बड़ी योजना पर काम कर रहा है।

Shivani

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