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Rohingya Muslims: असम में पकड़े गए रोहिंग्या, कश्मीर से आने की सूचना, पुलिस कर रही जांच

Rohingya Muslims: असम राज्य से 12 बच्चों के साथ 26 रोहिंग्या मुसलमान पकड़े गए हैं। असम पुलिस के मुताबिक 12 बच्चों समेत 26 रोहिंग्या मुसलमान असम के सिलचर में मिले हैं।

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Newstrack Network
Published on: 29 May 2022 10:46 AM GMT
26 Rohingyas caught along with 12 children in Silchar, Assam, police engaged in investigation
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असम के सिलचर में पकड़े गए रोहिंग्या मुसलमान: Photo - Social Media

Lucknow: दुनियाभर में रोहिंग्या मुसलमान (Rohingya Muslims) का मामला अभी शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। दुनिया में रोहिंग्या मुसलमान ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है जिस पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म हो रहा है। असम राज्य से एक बड़ी खबर आ रही है कि 12 बच्चों के साथ 26 रोहिंग्या मुसलमान पकड़े गए हैं। इस मामले की जांच असम की पुलिस (Assam Police) कर रही है। असम पुलिस के मुताबिक 12 बच्चों समेत 26 रोहिंग्या मुसलमान असम के सिलचर में मिले (Rohingya Muslims found in Assam's Silchar) हैं। इनके बारे में कहा जा रहा है कि ये कश्मीर से यहां आए हैं।

रोहिंग्या कौन हैं?

जनगणना में शामिल नहीं की गई आबादी को रोहिंग्या मुसलमान माना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार ने उन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। हालांकि वे पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं।

म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है। म्यांमार में एक अनुमान के मुताबिक़ 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है।

Photo - Social Media

म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे हैं रोहिंग्या

हालांकि ये म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे हैं। रखाइन स्टेट में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।

आखिर क्यों नहीं सुलझती रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या

बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आज भी जर्जर कैंपो में रह रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों को व्यापक पैमाने पर भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। लाखों की संख्या में बिना दस्तावेज़ वाले रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं। इन्होंने दशकों पहले म्यांमार छोड़ दिया था।

Shashi kant gautam

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