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Assam Flood: क्यों झेलता है असम बाढ़ का कहर, इस बार तो समूचा सिलचर डूब गया

Assam Flood: असम बाढ़ की चपेट में है, जिसमें लाखों लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं दर्जनों लोगों मारे गए हैं। इस बार तो हालत ये है कि समूचा सिलचर शहर डूब गया है।

Neel Mani Lal
Published on: 22 Jun 2022 12:24 PM IST
Assam Flood situation critical
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असम में बाढ़ (Social media)

Assam Flood situation critical: असम एक और बाढ़ की चपेट में है, जिसमें लाखों लोग प्रभावित हुए हैं, दर्जनों लोगों मारे गए हैं। असम में इसके पहले कभी भी बाढ़ का इतना भयंकर रूप नहीं देखा गया है। ये अभूतपूर्व स्थिति है। जबकि अभी मानसून शुरू ही हुआ है और अनुमान है कि इस मानसून में बाढ़ के कम से कम दो चक्र आएंगे। इस बार तो हालत ये है कि समूचा सिलचर शहर डूब गया है।

बड़ा सवाल है कि साल दर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने को असम क्यों मजबूर है? दरअसल, मानसून के दौरान लगातार बारिश के अलावा, कई और वजहें हैं - प्राकृतिक और मानव निर्मित भी।

ब्रह्मपुत्र नदी

असम में एक एक्सट्रीम पर ब्रह्मपुत्र नदी की प्रकृति है। एक गतिशील और हमेशा अस्थिर नदी। इसका 5, 80,000 वर्ग किमी बेसिन चार देशों में फैला है : चीन, भारत, बांग्लादेश और भूटान, और सभी जगह अलग अलग वातावरण हैं।

पानी के बहाव और वॉल्यूम तथा तलछट के मामले में ब्रह्मपुत्र दुनिया की शीर्ष पांच नदियों में शामिल है। 2008 के एक शोध आंकड़ों के अनुसार, ब्रह्मपुत्र का डिस्चार्ज यानी स्रोत से पानी का बहाव 19,830 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड (क्यूमेक) है। यह केवल अमेज़न (99,150 क्यूमेक), कांगो (39,660 क्यूमेक) और यांग्त्ज़ी (21,800 क्यूमेक) से पीछे है।

इसके अलावा तलछट या सिल्ट के मामले में, ब्रह्मपुत्र के दो स्थान दुनिया में दूसरे और तीसरे नम्बर पर हैं। ब्रह्मपुत्र की वार्षिक तलछट बांग्लादेश के बहादुराबाद में 1,128 टन प्रति वर्ग किमी और गुवाहाटी के पांडु में 804 टन प्रति वर्ग किमी है।ब्रह्मपुत्र का उद्गम तिब्बत में है जो कि ठंडा, सूखा और वनस्पति विहीन क्षेत्र है। ग्लेशियर पिघलते हैं, मिट्टी का कटती है और यह सब एक अत्यधिक तलछटी नदी में बदल जाता है। सो तलछट की विशाल मात्रा तिब्बत से ही शुरू होती है।

जब तक नदी असम में प्रवेश करती है तब तलछट की ये भारी मात्रा किनारों पर जमा होती जाती है, जिससे लगातार कटाव होता है। चूंकि जैसे ही नदी एक ऊंचे ढलान से एक समतल मैदान में आती है, इसका वेग अचानक कम हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप नदी तलछट को उतार देती है। इस विशाल तलछट को झेलने में सहायक नदियां अपर्याप्त साबित होती हैं, जिससे बाढ़ आती है।

भूकम्प और बारिश

चूंकि असम भूकम्प वाला क्षेत्र है सो ब्रह्मपुत्र नदी एक स्थिर स्वरूप प्राप्त करने में सक्षम नहीं है। 1950 के विनाशकारी भूकंप के बाद, पूर्वी असम के डिब्रूगढ़ क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र का स्तर दो मीटर बढ़ गया था। इसके अलावा असम ऐसे जोन में है जहां सबसे ज्यादा बारिश होती है। अत्यधिक बारिश के कारण ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है और तबाही मचा देता है।

इंसानी योगदान

इन प्राकृतिक कारकों के अलावा मानव निर्मित कारण भी हैं - आवास निर्माण, वनों की कटाई, जलग्रहण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि। इन सभी कारकों से नदी में सिल्ट की मात्रा में बढ़ोतरी होती है।तलछट का जमाव खुद भी अस्थायी सैंडबार या नदी द्वीप बनाता है। लोगों का ऐसी जगहों पर बसना आम बात है, जो नदी के बहने के लिए जगह को सीमित कर देता है।

तेजी से जंगलों का कटना और बढ़ती आबादी बाढ़ का खतरा बढ़ने का एक बड़ा कारण है। बढ़ते वनों की कटाई के कारण मिट्टी की पकड़ कमजोर होती जा रही है। नतीजतन, बारिश होने पर मिट्टी बह जाती है और जंगलों के कारण पानी को रोकने वाला दबाव खत्म हो जाता है।जब वर्षा भारी होती है, तो सभी कारक मिलकर विनाशकारी स्थितियां बना देते हैं।

असम में बाढ़ की एक वजह चीन में भारी वर्षा और चीन द्वारा अपने बांधों से पानी छोड़ना भी है। इसी तरह भूटान से भी काफी पानी असम में आ जाता है। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि चीन ने सियांग (चीन में ब्रह्मपुत्र का नाम) नदी पर कई बांध बना दिये हैं और वह भारत में जलबहाव को कंट्रोल करता है।

कोई समाधान नहीं

ब्रह्मपुत्र को नियंत्रित करने का फिलहाल कोई समाधान नहीं है। सिर्फ तटबंधों के जरिये ही बाढ़ से बचने की कोशिशें होती हैं। अरुणाचल में जलविद्युत परियोजना का प्रस्ताव था लेकिन वह भी फिलहाल बन्द है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जबतक सभी संबंधित देश मिल कर कोई कदम नहीं उठाएंगे, तब तक बाढ़ की विभीषिका झेलना नियति बनी रहेगी।

सिलचर का हाल

असम का हाल ये है कि पिछले 24 घंटों में, दक्षिणी असम के सबसे बड़ा शहर और बराक घाटी के तीन जिलों के प्रवेश द्वार सिलचर अपने इतिहास में पहली बार पानी में डूब गया है। यहां कई इलाकों में पहली मंजिल तक पानी भर गया है। ये स्थिति बराक नदी के किनारे बेथुकंडी तटबंध में एक दरार की वजह से हुई है। दरार ने नदी के पानी को रात भर शहर में घुसने और जलमग्न करने के लिए भेज दिया। कई दिनों की लगातार वर्षा के चलते बराक नदी उफनाई हुई है। शहर के अधिकांश हिस्सों में बिजली, पेयजल या मोबाइल नेटवर्क नहीं है। चूंकि पूरा शहर जलमग्न है सो राहत व बचाव कार्यों में बहुत दिक्कत आ रही है।



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Ragini Sinha

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